ASM (Additional Surveillance measure) और GSM (Graded Surveillance Measure) भारतीय शेयर बाज़ारों में निष्पक्ष और पारदर्शी ट्रेडिंग के दो महत्वपूर्ण तरीक़े हैं. वे निवेशकों को संभावित जोख़िमों से बचाने में मदद करते हैं. आइए इस आर्टिकल में इन्हें समझते हैं, ताकि आपको शेयर बाज़ार के मुश्किल दौर का सामना करने में मदद मिलेगी.
Additional Surveillance measure (ASM) क्या है?
एडिशनल सर्विलांस मेज़र (ASM) मूल रूप से स्टॉक के लिए एक सेफ़्टी नेट है. ASM मैकेनिज़्म का फ़ोकस, बाज़ार के ऐसे बड़े उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना है, जहां ज़्यादा क्लाइंट कॉन्संट्रेशन (किसी एक व्यापारिक दिन में ऑर्डर बुक करने वाले लोगों की संख्या) नही है यानी क्लाइंट्स की तरफ से ज़्यादा ख़रीदारी नहीं दिख रही है और दूसरे, पहले से तय मापदंडों का उसे समर्थन हासिल नहीं है. उनमें से कुछ में मूल्य का अंतर, रोज़ का औसत वॉल्यूम जैसी चीज़ें शामिल होती हैं. ये मैकेनिज्म सुनिश्चित करता है कि शेयरों की क़ीमत में अचानक और बड़ा उतार-चढ़ाव न आए.
इसे भ्रामक मूल्य निर्धारण और अत्यधिक सट्टेबाज़ी को रोकने वाली प्रणाली समझिए. ASM का मुख्य लक्ष्य सट्टेबाज़ों और इंट्रा-डे ट्रेडर को इन शेयरों में बड़े स्तर पर पोज़िशन लेने से हतोत्साहित करना है.
Graded Surveillance Measure (GSM) क्या है?
इसी तरह ग्रेडेड सर्विलांस मेज़र (GSM) को SEBI ने 2017 में पेश किया, जो स्टॉक्स, ख़ासकर माइक्रो-कैप स्टॉक्स के लिए, एक वॉर्निंग सिस्टम की तरह है. इसे SEBI द्वारा इन्वेस्टर्स को क़ीमतों में असामान्य उतार-चढ़ाव वाली सिक्योरिटीज़ के बारे में अलर्ट करने के उद्देश्य से लाया गया था, जो उनकी फ़ाइनेंशियल हेल्थ से मेल नहीं खाते.
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ये मैकेनिज़्म, नेट वर्थ, नेट फ़िक्स्ड एसेट, P/E, P/B और मार्केट कैप जैसे कई मानदंडों पर भी आधारित है. SEBI का सुझाव है कि GSM सिक्योरिटीज़ में क़ारोबार करने वाले सभी मार्केट के भागीदारों को ज़्यादा अलर्ट रहना चाहिए.
ASM और GSM में क्या अंतर है?
ASM और GSM क्राइटेरिया उतार-चढ़ाव को कंट्रोल करने, और ये सुनिश्चित करने का है कि स्टॉक की क़ीमतें बेतहाशा न बढ़ें. ये सब स्थिरता क़ायम रखने और बाज़ार में अचानक बड़े उतार-चढ़ाव को रोकने को लेकर है. जबकि ASM सभी शेयरों के लिए लागू होता है, GSM मुख्य रूप से पेनी (penny) और माइक्रो-कैप (micro-cap) शेयरों पर ध्यान केंद्रित करता है, क्योंकि उनमें मूल्य के हेरफेर की संभावना ज़्यादा होती है. परिणामस्वरूप, जब GSM के तहत स्टॉक को शामिल करने की बात आती है, तो इसमें मौलिक मैट्रिक्स पर विचार करना भी शामिल होता है.
मार्केट में उचित तरीक़े के कामकाज और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ASM और GSM दोनों महत्वपूर्ण हैं. SEBI का कहना है कि ASM के तहत सिक्योरिटीज़ की शॉर्ट-लिस्टिंग पूरी तरह से मार्केट सर्वेलांस के आधार पर होती है. हालांकि, इसे कंपनी के खिलाफ़ कार्रवाई नहीं माना जाना चाहिए. असल में, इसके बावजूद निवेशकों को कंपनियों की अच्छे से जांच करने और रिसर्च करने की सलाह दी जाती है.
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