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SME स्टॉक्स की ‘उड़ान’ क़ाबू कर सकेगा ASM?

SME शेयरों में रिटेल इन्वेस्टर्स की बड़ी भागीदारी के साथ बढ़ती अटकलबाज़ी इन दिनों सुर्खियों में है

SME स्टॉक्स की ‘उड़ान’ क़ाबू कर सकेगा ASM?

भारतीय शेयर बाजार में इन दिनों बड़े स्तर पर अटकलबाजी देखने को मिल रही है और S&P BSE SME IPO इंडेक्स बढ़कर सितंबर 2023 में 35,000 के स्तर पर पहुंच गया है, जो सितंबर 2020 में 1,400 अंकों पर था. इससे चिंतित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सख्त कदम उठाया. इस क्रम में 25 सितंबर, 2023 को SME स्टॉक्स की कीमतों में अचानक आने वाली तेजी को रेग्युलेट करने के लिए अतिरिक्त सर्विलांस मेजर (ASM) और ट्रेड-टू-ट्रेड (T2T) सेटलमेंट को लागू कर दिया.

एडिशनल सर्विलांस मेजर (ASM) क्या है?

ASM मैकेनिज्म का लक्ष्य मार्केट में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना है. ये शेयरों के लिए एक तरह से सेफ्टी नेट के रूप में काम करता है और क़ीमतों में नकली उतार-चढ़ाव और अत्यधिक अटकलबाजी को रोकता है. ASM को S&P BSE इंडेक्स के भाग के रूप में पेश करके, SEBI कथित अटकलों और बाज़ार से जुड़ी हेराफेरी के कारण SME कंपनियों के शेयर मूल्य में अत्यधिक बढ़ोतरी को काबू में करना चाहता है.

रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए सुरक्षा

एक दशक पहले SEBI ने रिटेल इन्वेस्टर्स को SME स्टॉक्स की क़ीमतों में बढ़ते उतार-चढ़ाव और अनिश्चितता से रोकने के लिए कम से कम ₹1-1.5 लाख का मिनिमम लॉट साइज पेश किया था. इस दौरान किए गए उपायों के बावजूद ऐसी कंपनियों में इन्वेस्टमेंट पर कोई असर नहीं पड़ा. वास्तव में नए SME स्टॉक्स को खासकर IPO के दौरान रिटेल इन्वेस्टर्स से बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला है।

IPOs के लिए रिटेलर्स की होड़

SME IPOs में रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी हाल के दौर में रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई है

कंपनी इश्यू साइज (करोड़ ₹) कुल सब्सक्रिप्शन रिटेल सब्सक्रिप्शन
कहान पैकेजिंग 5.76 730.45 1042.37
बैसिलिक फ्लाई स्टूडियो 66.35 358.6 415.22
ओरियाना पावर 59.66 176.58 204.04
काका इंडस्ट्रीज 21.23 292.66 358.88
ड्रोन डेस्टिनेशन 44.2 191.65 250.09

सेबी और दूसरे स्टॉक एक्सचेंजों के मुताबिक, रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी में कई गुना बढ़ोतरी के कारण SME स्टॉक में हेराफेरी के कई प्रयास किए गए हैं. इससे निपटने के लिए SEBI ने सभी SME शेयरों को ASM में शामिल किया और एक T2T सेटलमेंट लागू किया. इसका मतलब ये है कि इन शेयरों में इंट्राडे ट्रेडिंग नहीं हो सकती, जिससे स्टॉक की क़ीमतों में हेराफेरी और अटकलबाजी को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.

ये भी पढ़िए- SME: छोटा है पर कम खोटा नहीं

मुख्य बातें
सेबी द्वारा ASM और T2T की शुरुआत इस दिशा में एक शानदार कदम है. जैसा कि पहले बताया गया है कि SME शेयरों की ट्रेडिंग पर रोक से से रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी पर कोई असर नहीं पड़ा है. इसलिए ज़रूरी है कि शेयर प्राइस में हेरफेर और अटकलबाजी को रेगुलेट करने के लिए अभी और भी बहुत कुछ किया जाना चाहिए.


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