क्या आप इन दिनों फ़िलिस्तीन-इजराइल के बीच जारी संघर्ष से जुड़ी खबरें पढ़ रहे हैं? अगर ऐसा है, तब ज़रूर आपने ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स भी देखी होंगी, जैसे- “मिडिल ईस्ट में तबाही के कारण तेल की क़ीमतें बढ़ गई हैं,” “तेल की क़ीमतें भारत में महंगाई बढ़ाएगी और इक्विटी मार्केट को प्रभावित करेगी,” और ऐसे में “बढ़ती जियोपॉलिटिकल टेंशन (geopolitical tensions) के कारण इन्वेस्टर्स गोल्ड और डेट जैसे सुरक्षित ठिकानों की तलाश कर रहे हैं.”
मिडिल ईस्ट में सामने आ रही मानवीय आपदा और इसके संभावित आर्थिक नतीजों को देखते हुए ज़्यादातर इन्वेस्टर्स इक्विटी में आगे निवेश करने को लेकर काफी सावधान हैं. ऐसी स्थिति में इन्वेस्टर्स या तो इक्विटी में निवेश करना बंद कर देते हैं या उनमें निवेश करने से पहले दो बार सोचते हैं, और ये चिंता पूरी तरह से समझ में भी आती है. हमारे किसी न किसी रीडर को भी इस तरह की चिंता होती होगी, क्योंकि दुनिया की घटनाओं में हमेशा इक्विटी निवेश को प्रभावित करने की क्षमता होती है.
एस समय पर कोविड के कारण महंगाई बढ़ी और कई बैंक ध्वस्त हो गए. इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध भी शामिल है. इन सभी घटनाओं ने इक्विटी मार्केट को या तो बाधित कर दिया या फिर उनके सामने एक मुश्किल हालात पैदा कर दिए, जिससे हाल के वर्षों में इस तरह की उथल-पुथल देखने को मिली.
हालांकि, इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि आपको अपना इक्विटी इन्वेस्टमेंट बंद कर देना चाहिए. आइए बताते हैं ऐसा क्यों?
धैर्य बनाए रखें और आगे बढ़ते रहें
अगर आप सेंसेक्स की 30 साल की यात्रा को देखें तो पता चलता है कि देश के सबसे पुराने इंडेक्स ने कई आर्थिक घटनाक्रमों का सामना किया है (हालांकि हमने नीचे दिए गए चार्ट में उनमें से पांच के बारे में जानकारी दी है). वास्तव में 31 दिसंबर, 1993 से 30 अक्टूबर, 2023 के बीच सेंसेक्स में सालाना 10.39 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है!
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व्यावहारिक रूप से यदि कोई अनुशासित निवेशक होता तो उसका पैसा लगभग हर छह साल और नौ महीने में डबल हो जाता.
खेलों का उदाहरण लेते हुए, सक्षेप में कहें तो फॉर्म अस्थायी होती है और क्लास स्थायी होती है. हालांकि, आपके इक्विटी निवेश को अस्थायी झटका लग सकता है, लेकिन आखिर में वे ख़ुद को फिर से स्थापित करेंगे और आपका पैसा बढ़ाएंगे.
आइए, अब कम समय में पैदा होने वाले दबाव के आगे झुकने के बजाय लंबे समय के निवेश से जुड़े सुकून की अहमियत समझते हैं.
SIP का फ़ायदा
नीचे दी गई टेबल SIP रिटर्न पर लंबे समय के और अनुशासित निवेश के फ़ायदों पर प्रकाश डालती है. कोविड, यूक्रेन संघर्ष जैसे विभिन्न संकट और घटनाओं या 2008 की ग्लोबल फ़ाइनेंशियल क्राइसिस के बावजूद SIP निवेश लगातार एकमुश्त निवेश (lumpsum investments) से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. इससे समय के साथ आने वाली आर्थिक और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में इक्विटी निवेश के लिए एक धैर्यवान, व्यवस्थित रणनीति के महत्व का पता चलता है.
ऐसा इसलिए है क्योंकि SIP का मतलब ही मार्केट की अलग-अलग स्थितियों के बावजूद लगातार निवेश करना है. साथ ही, सुनिश्चित करना चाहिए कि मार्केट में गिरावट के दौरान भी ज़्यादा से ज़्यादा यूनिट हासिल की जाएं. ये स्ट्रैटजी ख़रीद की औसत लागत को कम करती है और ऊंचे रिटर्न की ओर ले जाती है.
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मुख्य बातें
मुश्किल दौर में धैर्य बनाए रखना जरूरी है और बिना सोचे-समझे कोई फैसला नहीं लेना चाहिए. ठीक उसी तरह जैसे बुरी ख़बरें शुरू में हमें प्रभावित करती हैं, लेकिन हम अक्सर पाते हैं कि थोड़ा सा समय देने पर हम इस पर ज़्यादा तर्कसंगत रूप से विचार कर सकते हैं. जब इक्विटी में निवेश की बात आती है तो ये सिद्धांत यहां भी लागू होते हैं.
हालांकि, आप सोच सकते हैं कि उथल-पुथल के समय में धैर्य का उपदेश देना आसान हो सकता है, लेकिन यही बात सबसे अच्छे निवेशकों को बाकियों से अलग करती है.