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स्टॉक से पैसा निकाल कर फ़ंड में लगाने की गाइड

स्टॉक निवेश से निकल कर फ़ंड में पैसा लगाने का प्लान है तो टैक्स बचाने जैसी बातें बहुत काम आएंगी

स्टॉक से पैसा निकाल कर फ़ंड में लगाने की गाइड

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स्टॉक मार्केट की एक दिलचस्प दुनिया है, ख़ासतौर से उनके लिए जिन्हें बिज़नस को गहराई से जानने-समझने का शौक़ है. ऐसे लोग फ़ाइनेंशियल स्टेटमेंट, मार्केट ट्रेंड और बिज़नस की पेचीदगियों में उतरना पसंद करते हैं. पैसों का फ़ायदा तो एक बात है, पर ऐसे लोगों को इस काम को करने में ही सुख मिलता है. अगर आपको भी इन चीज़ों में दिलचस्पी है, तो स्टॉक में सीधे निवेश से जुड़ी दुनिया आपकी पसंदीदा जगह हो सकती है.

हालांकि, ये हर किसी के बस की बात नहीं. कई लोग निवेश के काम में उतना वक़्त नहीं देना चाहते या दे सकते. और म्यूचुअल फ़ंड्स ऐसे लोगों के बड़े काम आते हैं. फ़ंड्स में निवेश करना, परेशानी से आज़ादी मिलने जैसा अनुभव देता है क्योंकि इनमें डाइवर्सिफ़िकेशन भी है और प्रोफ़ेशनल मैनेजमेंट के फ़ायदे भी.

मगर तब आप क्या करें, जब आपको अपने निवेश की गाड़ी का गियर बदल कर स्टॉक निवेश बाहर निकलना हो और वही पैसा म्यूचुअल फ़ंड्स में लगाना हो?
हमारे एक पाठक के सामने यही सवाल है. इस समय उनके स्टॉक निवेश की वैल्यू ₹25 लाख है और वो इस पैसे को म्यूचुअल फ़ंड्स में लगाना चाहते हैं. वो जानना चाहते हैं कि उन्हें बदलाव की इस छलांग को एक ही बार में लगा लेना चाहिए या थोड़ा-थोड़ा करके करना चाहिए? निवेशकों के सामने आने वाली ऐसी उलझन तब होती हैं जब वो दो अलग, मगर असरदार निवेश के तरीक़ों में से किसी एक को चुनने के दोराहे पर खड़े होते हैं.

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स्टॉक से फ़ंड के बदलाव का तरीक़ा

25 लाख रुपये बड़ी रक़म होती है, इसे स्टॉक इन्वेस्टमेंट से निकाल कर म्यूचुअल फ़ंड्स में डालना कोई छोटा फ़ैसला नहीं है. इसके लिए एक अच्छी तरह से सोची समझी स्ट्रैटजी होनी चाहिए, ख़ासतौर पर ऐसी स्ट्रैटजी जिसमें टैक्स भी कम लगे.

मान लीजिए आपके पोर्टफ़ोलियो में पांच स्टॉक हैं, और इन सभी की अपनी-अपनी अलग कहानी है:

कंपनी होल्डिंग का पीरियड कैपिटल गेन/ लॉस
A 8 महीने 12000
B 1 साल 5 महीने 30000
C 1 साल 6 महीने -25000
D 4 साल ₹1.35 लाख
E 5 साल 1 महीना ₹2 लाख

नीचे दिए गए तरीक़े से आप इन स्टॉक्स से अपना पैसा निकाल कर म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश कर सकते हैं और टैक्स भी असरदार तरीक़े से कम कर सकते हैं:

स्ट्रैटेजिक होल्डिंग

ज़्यादा रिटर्न पाना, आपकी होल्डिंग की अवधि पर निर्भर करता है. जिन स्टॉक्स को आप 12 महीनों तक ही होल्ड करते हैं उन पर 15 प्रतिशत की दर से शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है. हालांकि, अगर आपकी होल्डिंग की अवधि 12 महीने से ज़्यादा हो जाती है तो उस पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स का 10 प्रतिशत टैक्स लगता है (जिसमें ₹1 लाख तक की छूट है).

तो, आप अपनी कंपनी A को बेचने में जल्दी मत कीजिए. आपको अगर ₹12,000 का गेन भी मिलता है; तब भी कुछ समय इंतज़ार कीजिए, और उसके बाद आपको, बजाए 15 प्रतिशत के सिर्फ़ 10 प्रतिशत टैक्स ही देना होगा.

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बैलेंस बनाए रखना

एक और स्मार्ट तरीक़ा है अपने 'कैपिटल लॉस सेट ऑफ़' करना. इसका मतलब हुआ कि आप अपने नुक़सान को मुनाफ़े के साथ एडजस्ट कर सकते हैं, जिससे आपकी टैक्स की देनदारी कम हो जाती है. इसमें ये ज़रूर याद रखें कि आप लॉन्ग-टर्म कैपिटल लॉस को सिर्फ़ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन से ही सेट ऑफ़ कर सकते हैं, वहीं शॉर्ट-टर्म लॉस को दोनों, लॉन्ग-टर्म और शॉर्ट-टर्म गेन्स से एडजस्ट किया जा सकता है.

अब कंपनी C की बात करते हैं, जिसमें आपने ₹25,000 का नुक़सान उठाया, और कंपनी B, जिसमें प्रॉफ़िट ₹30,000 का रहा. इन स्टॉक्स को स्ट्रैटजी के साथ बेचने पर, आप अपने नुक़सान को मुनाफ़े से ऑफ़सेट कर सकते हैं, जिससे आपको नेट कैपिटल गेन सिर्फ़ ₹5,000 का ही होगा.

कैपिटल गेन की छूट का फ़ायदा

कंपनी D और E का कैपिटल गेन काफ़ी है. इसके लिए आप इस टिप को फ़ॉलो कर सकते हैं: अपनी टैक्स की देनदारी को कम करने के लिए आप ₹1 लाख की सालाना लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स की छूट का इस्तेमाल कर सकते हैं. कंपनी D को बेचने से आप इस छूट का पूरा इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि इससे मिलने वाला मुनाफ़ा ₹1.35 लाख है, ऐसे में आपका टैक्स कम होकर सिर्फ़ ₹3,500 रह जाएगा (₹1.35 लाख - ₹1 लाख और उसका 10 प्रतिशत ₹35,000 होगा जिस पर आपको टैक्स देना होगा).

जहां तक कंपनी E का सवाल है, इसका मुनाफ़ा ₹2 लाख है, इसके लिए सबसे अच्छा यही रहेगा कि इसे अगले फ़ाइनेंशियल ईयर में बेचा जाए ताकि आपको छूट का फ़ायदा एक बार और मिल सके.

इस बात को याद रखिए कि ऐसा कोई नियम नहीं है जिसके तहत आपको पूरा स्टॉक एक साथ ही बेचना हो. आप ये भी कर सकते हैं कि ₹1 लाख तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स के दायरे में आने वाले स्टॉक बेचें और और अपना टैक्स और भी कम कर लें.

म्यूचुअल फ़ंड में निवेश का तरीक़ा

अब आप स्टॉक बेचने से मिले पैसे को म्यूचुअल फ़ंड में लगा सकते हैं. क्योंकि निवेश में किया जाने वाला ये बदलाव इक्विटी निवेश के दायरे में आता है, तो आपको इस पैसे को निवेश करने के लिए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) की ज़रूरत नहीं है. इसके बजाए, आप इस पैसे को सीधे अपनी पसंद के दो या तीन फ़्लेक्सी-कैप फ़ंड्स में एक ही बार में (lump sum) निवेश कर सकते हैं. इक्विटी निवेश की दुनिया में से उतरने का ये आसान तरीक़ा होगा.

एक बड़ी बात जो आपको याद रखनी चाहिए, वो ये कि आप जल्दबाज़ी न करें! ₹25 लाख जैसी बड़ी रक़म के लिए, टैक्स कम करना आपके निवेश की स्ट्रैटजी का अहम हिस्सा होना चाहिए जिससे आपके रिटर्न अच्छी तरह से बढ़ें. तो, आप अपना समय लें, समझदारी से प्लान करें, और अपने निवेशों को तेज़ी से बढ़ते हुए देखें.

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