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NPS Tier 2 के आंशिक विदड्रॉल पर टैक्स लगता है?

यहां धनक के एक पाठक की तरफ से पूछे गए NPS से जुड़े सवाल का जवाब दिया जा रहा है

NPS Tier 2 के आंशिक विदड्रॉल पर टैक्स लगता है?

क्या NPS Tier 2 के आंशिक विदड्रॉल पर टैक्स लगेगा?- पंकज वानखेड़े
इस सवाल के जवाब से पहले आपको जानना चाहिए कि NPS टियर-2 क्या है? दरअसल, NPS टियर-2 एक किफ़ायती, स्वैच्छिक या वॉलंटरी निवेश वाला अकाउंट है. ये किफ़ायती इसलिए है, क्योंकि इन फ़ंड्स की मैनेजमेंट फ़ीस 0.09 प्रतिशत से ज़्यादा नहीं है. वॉलंटरी इसलिए, क्योंकि आपके पास इक्विटी या डेट या फिर दोनों में निवेश करने की आज़ादी है. मगर, इस सबके बावजूद आपको ध्यान रखना चाहिए कि टियर-II ऑप्शन, केवल टियर-I सब्सक्राइबर्स के लिए ही है.

टियर-I और II के बीच अंतर

वैसे तो दोनों ही NPS में आते हैं, पर टियर-I, निवेश रिटायरमेंट प्लानिंग और टैक्स सेविंग के लिए बेहतर है. टियर-I के साथ, कुछ अपवादों को छोड़कर, आप 60 साल से पहले अपना पैसा नहीं निकाल सकते. और जब आप उस उम्र तक पहुंचते हैं, तब भी आपको अपने कुल कॉर्पस का केवल 60 प्रतिशत ही मिलता है. बाक़ी 40 फ़ीसदी को एन्युटी में ट्रांसफ़र कर दिया जाता है.

वहीं, टियर-II में आपको अपनी सुविधा के अनुसार पैसा निकालने की अनुमति होती है. आप इसमें म्‍यूचुअल फ़ंड की तरह ही SIP के ज़रिये भी निवेश कर सकते हैं. लेकिन एक्टिवली मैनेज्ड म्‍यूचुअल फ़ंड के उलट, ये काफ़ी कम मैनेजमेंट फ़ीस लेते हैं. हालांकि, टियर-2 में एडिशनल ट्रांज़ैक्शन और विदड्रॉल पर कॉस्ट लगती है, लेकिन कम मैनेजमेंट फ़ीस से एक बड़ा फ़र्क़ पैदा होता है.

ये भी पढ़िए- NPS: मेच्योरिटी से पहले पैसा कैसे निकालें?

NPS टियर-I में आंशिक विदड्रॉल पर कितना टैक्स?

NPS टियर-I में सब्सक्राइबर को ख़ास उद्देश्यों से आंशिक विदड्रॉल की अनुमति होती है. इसमें मिली रक़म को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (12B) के तहत टैक्स से छूट हासिल है.

NPS टियर-II में आंशिक विदड्रॉल पर कितना टैक्स?

NPS की वेबसाइट पर स्पष्ट लिखा है कि Tier II NPS अकाउंट पर कोई टैक्स बेनेफ़िट नहीं मिल रहा है.

हालांकि, टियर-II की उलझाने वाली टैक्सेशन पॉलिसी इसकी एक बड़ी ख़ामी है. जहां टैक्स कानून साफ़ तौर पर बताते हैं कि टियर-I निवेश पर टैक्स कैसे लगाया जाता है, वहीं ये टियर-II पर ख़ामोश हैं. नतीज़तन, अकाउंटेंट आमतौर पर टियर-II को डेट फ़ंड के तौर पर देखते हैं. इसका मतलब है कि अगर आप अपना निवेश तीन साल से ज़्यादा समय तक रखते हैं, तो आपके प्रॉफ़िट पर 20 प्रतिशत टैक्स लगेगा. लेकिन डेट फ़ंड्स को अब इंडेक्सेशन फ़ायदा नहीं मिलता है, इसलिए इस बात पर और भी भ्रम है कि टियर-II निवेश पर टैक्स कैसे लगाया जाएगा.

अगर ये साबित हो जाता है कि टियर-II निवेश को भी इंडेक्सेशन बेनेफ़िट नहीं मिलेगा, तो लॉन्ग-टर्म में टैक्स के लिहाज़ से इसका ख़ासा ज़्यादा असर होगा. आपकी सालाना इनकम के आधार पर आप पर 30 फ़ीसदी तक टैक्स लगाया जा सकता है. दूसरी ओर, अगर आप अपना निवेश 12 महीने से ज़्यादा समय तक रखते हैं तो लार्ज-कैप म्‍यूचुअल फ़ंड प्रॉफ़िट पर 10 फ़ीसदी टैक्स लगता है. इसलिए, म्‍यूचुअल फ़ंड अब ज़्यादा टैक्स-एफिशिएंट हैं.

ये भी पढ़िए- म्यूचुअल फ़ंड या नेशनल पेंशन सिस्टम, क्या है बेहतर?

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