Anand Kumar
ये एक लड़के के घर-घर जा कर च्युइंग-गम बेचने से अरबपति बनने की कहानी है. वॉरेन बफ़े की अपने काम के प्रति जुनून की शुरुआत सात साल की उम्र में हुई जब उन्होंने एक क़िताब पढ़ी. ये क़िताब थी 'One Thousand Ways to Make $1000' यानी एक हज़ार डॉलर बनाने के हज़ार तरीक़े. इसके लेखक थे फ़्रांसिस सी. मिनाकर. ये न तो स्टॉक गाइड थी और न ही तुरंत अमीर बनने की कोई स्कीम. इसके बजाए, ये क़िताब बिज़नस शुरू करने के प्रैक्टिकल तरीक़े सुझा रही थी. ये ऐसे तरीक़े थे जो सीमित संसाधन, कड़ी मेहनत, सोच का नयापन और जुझारू होने की हिमायत करते थे.
क़रीब 90 साल पहले प्रकाशित होने वाली ये भूली हुई क्लासिक क़िताब, मार्केटिंग, इन्वेस्टिंग, सेल्स और कस्टमर रिलेशन जैसे सिद्धांतों पर है. यही सिद्धांत आज भी पर्सनल फ़ाइनांस की दुनिया में काफ़ी अहमियत रखते हैं. जैसे-जैसे आधुनिक फ़ाइनांस बढ़ा है, लोगों ने क्रिप्टोकरंसियों, एप, और ऑनलाइन बिज़नस शुरू कर दिए, मगर फिर भी मूल सिद्धांत वही रहे हैं जिनकी बात ये क़िताब करती है. बफ़े को प्रेरित करने वाली ये क़िताब हमें कुछ इस तरह के सूत्र देती है:
1. शुरुआती सफलता का लोभ
पहली बार कमाना काफ़ी उत्साह से भर देता है. इस उत्साह में, ये सोच कर फ़िज़ूलख़र्ची हो जाती है कि ये हमारी मेहनत का ईनाम है. मगर आजकल के बढ़े हुए ख़र्च, अचानक होने वाली इमरजेंसियों और बढ़ती महंगाई में जो ख़र्च बहुत छोटे लगते हैं, वो अक्सर लॉन्ग-टर्म सेविंग पर बुरा असर करते हैं.
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2. हाइप पर सवार होने के ख़तरे
एप्पल और अमेज़न जैसी कंपनियां क़ामयाबी की मिसाल हैं, मगर अनगिनत कंपनियां असफल हो कर ग़ायब भी हो गई हैं. अपना सारा पैसा किसी सुनी-सुनाई या एक-दूसरे की नक़ल करने के चलते नए ट्रेंड पर लगा देना, फ़ाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए एक रिस्क है. ये रिस्क स्टॉक में भी होता है और क्रिप्टोकरंसी जैसे नए ट्रेंड के निवेशों में भी.
3. डाइवर्सिफ़िकेशन ही चाभी है
कमाई और निवेश के कई तरीक़ों में, जैसे - स्टॉक, रियल एस्टेट, म्यूचुअल फ़ंड और इसके अलावा किसी और तरह के निवेश में - एक ही जगह और एक ही बार में सब कुछ दांव पर न लगाना समझदारी है. निवेश में अचानक आने वाली गिरावट के खिलाफ़ सुरक्षा के लिए डाइवर्सिफ़ाई करने से फ़ाइनेंशयल रिस्क कम हो जाता है.
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4. विपरीत निवेश की रणनीति
बाज़ार की भावनात्मक लय या रिदम अक्सर बिना सोचे-समझे किए जाने वाले निवेश की ओर ले जाती है. जब बाज़ार आशा से भरा हो तब एसेट की क़ीमत ज़्यादा हो सकती है और निराशा के दौर में वैलुएशन कम हो सकता है. झुंड के पीछे चलने के बजाय, विपरीत या विरोधाभासी नज़रिया अपनाएं. आज के उतार-चढ़ाव से भरे बाज़ार में, हर उछाल या गिरावट पर प्रतिक्रिया करना ठीक नहीं है. धीरज के साथ और बाज़ार की चाल को समझ कर फ़ैसले लेना अच्छे नतीजे देता है.
5. कमाना बनाम पूंजी बनाना
इनकम शुरू करना पहला क़दम है. इसकी सुरक्षा करना और इसे बढ़ाना दूसरा लेवल है. आज के जटिल फ़ाइनेंशियल सिस्टम, टैक्स के नियम और ढेर सारे निवेश के विकल्पों के साथ, पैसे मैनेज करना चुनौती भरा हो जाता है. ये किसी मछली को पकड़ने और पकाते समय कहीं ख़राब न होने, इन दोनों बातों का एक साथ ध्यान रखने जैसा मुश्किल काम है. वैल्थ मैनेजमेंट की समझ के बिना निवेश करना ठीक वैसा ही है जैसे, धन बनाने के मौक़े गंवाना का या बड़ी ग़लतियां करने का जोख़िम उठाना.
आज की दुनिया में पर्सनल फ़ाइनांस, सेविंग अकाउंट और फ़िक्स्ड डिपॉज़िट से की बात हो गई है. ये ऑनलाइन पोर्टफ़ोलियो, स्टॉक, रिटायरमेंट फ़ंड, क्रिप्टोकरेंसी और इसके अलावा भी कई दूसरी चीज़ों का मेल है. और टेक्नोलॉजी और मार्केट के विकसित होने के साथ-साथ, मिनाकर की सीख बेशक़ीमती बनी हुई है. बफ़े की छोटी शुरुआत से लेकर उनके अरबपति होने तक क़ारगर तरीक़े से काम करने वाली ये कालातीत सलाह, पर्सनल वैल्थ मैनेजमेंट में पैसों की समझ-बूझ और अनुशासन के महत्व का एक जीता-जागता सबूत है.
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