Dixon Tech Share Price: डिक्सन टेक ₹25,000 से ज़्यादा के मार्केट कैप के साथ भारत की बड़ी इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफ़ैक्चरिंग सर्विसेज (EMS) देने वाली कंपनियों में से एक है. कंपनी होम अप्लायंस से लेकर सिक्योरिटी सर्वेलांस डिवाइस तक की रेंज में कई इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाती है. जनवरी में अपने 52 हफ्ते के निचले स्तर को छूने के बाद, स्टॉक ने दमदार वापसी की है. और, पिछले तीन महीने में ये 43 फ़ीसदी का रिटर्न दे चुका है.
इस स्टोरी में हम उन फ़ैक्टर्स पर ग़ौर करने की कोशिश कर रहे हैं, जिनके चलते कंपनी के परफ़ॉर्मेंस में सुधार हुआ है.
एक नई पार्टनरशिप
कंपनी ने हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े स्मार्टफ़ोन ब्रांड में से एक शाओमी इंडिया (Xiaomi India) को अपने नए कस्टमर के रूप में जोड़ा है. बाज़ार Xiaomi के शामिल होने को लेकर आशावादी हैं, क्योंकि इससे कंपनी को ग्रोथ के नए मौक़े मिल सकते हैं और इसके क्लाइंट पोर्टफ़ोलियो में ज़्यादा डाइवर्सिफ़िकेशन आ सकता है. उसके क्लाइंट्स में मोटोरोला (प्रमुख क्लाइंट), नोकिया, सैमसंग और जियो जैसे ग्लोबल स्मार्टफ़ोन दिग्गज पहले से शामिल हैं.
डिक्सन अब अपने पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरीज़ के ज़रिये शाओमी मोबाइल फ़ोन बनाएगी और एक्सपोर्ट करेगी. उसकी फ़ाइनेंशियल ईयर 24 की तीसरी तिमाही से नोएडा में 3,20,000 स्क्वायर फुट में बनी नई फ़ैसिलिटी में मैन्युफ़ैक्चरिंग शुरू करने की योजना है.
स्मार्टफ़ोन पर दांव
भले ही, Xiaomi साझेदारी प्रमुख फ़ैक्टर रही है, लेकिन स्टॉक से उम्मीदों की एक वजह इसके मोबाइल और EMS डिवीन के विस्तार से संबंधित है. इसके मोबाइल सेगमेंट में पांच साल में ज़बरदस्त ग्रोथ देखी गई है. पिछले पांच साल में, मोबाइल सेगमेंट से रेवेन्यू 96 फ़ीसदी प्रति वर्ष की दर से बढ़ा है.
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...इसलिए रहें सतर्क
इससे पहले कि आप निवेश के मामले में जल्दबाज़ी करें, ध्यान दें कि ये स्टॉक रेकमंडेशन नहीं है. इस स्टोरी का मक़सद उन फ़ैक्टर्स के बारे में बताना है, जिनके दम पर डिक्सन का शेयर जनवरी में 52 सप्ताह के निचले स्तर से उबर सका. हालांकि, हर निवेश की तरह इसमें जोख़िम भी बहुत हैं.
इस प्रकार, ये स्पष्ट है कि कंपनी मुख्य रूप से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स बनाती है. इसकी ऑर्डर बुक इन उत्पादों के साइकल के प्रति ख़ासी संवेदनशील है. इसके अलावा, इसे बड़े-बड़े क्लाइंट्स के होने की एक क़ीमत चुकानी पड़ती है. ग्लोबल लीडर्स को लुभाने के लिए, ये कम मार्जिन (पांच साल का औसत शुद्ध मार्जिन 2.1 फ़ीसदी) पर काम कर रही है. इसके अलावा, कम्पोनेंट्स के लिए चीन पर इसकी भारी निर्भरता इसे जिओपॉलिटिकल जोख़िमों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील बनाती है.
इसलिए, निवेश करने से पहले हर पहलू पर विचार ज़रूर कर लें.
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