Sheela Foams Share Price: भारत की सबसे बड़ी पॉलीयुरेथेन (PU) फ़ोम बनाने वाली कंपनी शीला फ़ोम्स ने दो अधिग्रहणों की घोषणा की है. उसने ₹2,150 करोड़ में अपनी प्रतिद्वंदी कंपनी, कर्ल-ऑन (Kurl-On) की 95 फ़ीसदी हिस्सेदारी और ₹300 करोड़ में फ़र्लेंको फ़र्नीचर (Furlenco Furniture) में 35 फ़ीसदी हिस्सेदारी हासिल कर ली है.
कर्ल-ऑन का अधिग्रहण 30 नवंबर, 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है. फ़र्लेंको की डील भी अगस्त 2023 तक पूरी होने की उम्मीद की जा रही है.
शीला फ़ोम्स के बारे में
शीला फ़ोम क्रमशः ‘फ़ेदर फ़ोम’ और ‘लैमीफ़्लेक्स’ ब्रांड नाम से PU और पॉलिएस्टर फ़ोम बेचती है. इसके मैट्रेस ब्रांड ‘स्लीपवेल’ फ़ोम मैट्रेस सेगमेंट में सबसे ज़्यादा जाने-माने ब्रांड्स में से है, जिसका मार्केट शेयर 30 फ़ीसदी से ज़्यादा है. FY23 में, कंपनी के कुल रेवेन्यू (FY23) में ‘स्लीपवेल’ की लगभग 29 फ़ीसदी हिस्सेदारी थी. कंपनी अपने ओवरसीज़ मैन्युफ़ैक्चरिंग और सेल्स ऑपरेशन के ज़रिये 29 फ़ीसदी रेवेन्यू जेनेरेट करती है.
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कंसोलिडेट हो रहा मैट्रेस सेगमेंट
स्लीपवेल की तरह, कर्ल-ऑन को रबरयुक्त कॉयर मैट्रेस में लीडरशिप हासिल है. इस अधिग्रहण के साथ, आधुनिक मैट्रेस मार्केट में शीला फ़ोम का कुल मार्केट शेयर 21 फ़ीसदी हो जाएगा और ये टॉप पर पहुंच जाएगी.
शीला फ़ोम्स और कर्ल-ऑन के एक साथ आने और अब नेटवर्क को मज़बूती मिलने से लॉजिस्टिक की कॉस्ट बेहतर होने की उम्मीद है. अपनी मैन्युफ़ैक्चरिंग फ़ैसिलिटी के तालमेल के साथ, वे प्रोडक्ट एफिशिएंसी और कॉस्ट सेविंग की भी उम्मीद करते हैं.
फ़र्नीचर रिटेल सेक्टर में डाइवर्सिफ़िकेशन लाना
फ़र्लेंको भारत के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते ऑनलाइन फ़र्नीचर रिटेलर और रेंटल बिज़नस में से है. फ़र्नीचर मार्केट के काफ़ी बड़े साइज के चलते, शीला फ़ोम्स इस निवेश को डाइवर्सिफ़िकेशन का एक तरीक़ा मानती है. कंपनी को अपने प्रोडक्ट क्रॉस-सेल करने के लिए फ़र्लेंको की ऑनलाइन मौजूदगी के फ़ायदे के साथ-साथ प्रोडक्ट के बेहतर तालमेल की भी उम्मीद है. इसके अलावा, अपने कंसॉलिडेटेड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के साथ वो फ़र्लेंको के प्रोडक्ट दुकानों और शो रूम के ज़रिए बेचने की भी उम्मीद कर सकते हैं.
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फ़ाइनेंस पर असर
अधिग्रहण के बाद शीला फ़ोम्स का रेवेन्यू क़रीब ₹800 करोड़ (कर्ल-ऑन का FY22 रेवेन्यू) बढ़ जाएगा. हालांकि, ध्यान देना होगा कि शीला फ़ोम्स के पास कैश रिज़र्व काफ़ी नहीं है, इसलिए इस ट्रांज़ैक्शन के लिए उसे क़र्ज़ की ज़रूरत पड़ेगी. और मौजूदा मार्केट को देखते हुए, मैनेजमेंट इसे लेकर ख़ासा आश्वास्त है.