Varun Beverages Stocks Price: वरुण बेवरेजेज़ पिछले कुछ समय से "हॉट स्टॉक्स" की तक़रीबन हर लिस्ट में अपनी जगह बनाए हुए है. इसने पिछले तीन साल के दौरान आश्चर्यजनक रूप से 74 फ़ीसदी सालाना रिटर्न दिया है और फ़िलहाल इसका मार्किट कैपिटलाइजेशन ₹1 लाख करोड़ से ज़्यादा हो गया है.
वैसे तो हम आमतौर पर किसी ख़ास स्टॉक्स पर बात करने से बचते हैं, लेकिन इस दिग्गज कंपनी की सफलता की जांच पड़ताल तो बनती है.
तो, यहां उन वजहों की चर्चा हो रही है जिनसे वरुण बेवरेजेज़ को दिग्गज FMCG कंपनी बनने में मदद मिली.
पेप्सिको का भरोसा
बेवरेज और स्नैक्स की बड़ी कंपनी पेप्सिको भारत में अपनी अलग-अलग फ्रेंचाइज़ी के ज़रिये काम करती है, जिसमें से एक वरुण बेवरेजेज़ भी है. हालांकि, पिछले दशक में कंपनी की एफ़ीशिएंसी और लगातार परफ़ॉर्मेंस ने पेप्सिको का ध्यान खींचा और उसने इसे लगभग पूरे भारत में मैन्युफ़ैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के विशेष अधिकार दे दिए हैं.
पिछले कुछ सालों का परफॉर्मेंस
कंपनी ने लगातार टॉपलाइन और बॉटमलाइन ग्रोथ दर्ज की है
मीट्रिक्स | दिसंबर '18 | दिसंबर '19 | दिसंबर '20 | दिसंबर '21 | दिसंबर '22 |
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रेवेन्यू (₹ cr) | 5228 | 8631 | 7660 | 9310 | 13772 |
सेल्स वॉल्यूम (केसेज; करोड़ में) | 34 | 49.3 | 42.5 | 56.9 | 80.2 |
टैक्स के बाद प्रॉफ़िट (₹ करोड़) | 300 | 472 | 357 | 746 | 1550 |
नेट प्रॉफ़िट मार्जिन (%) | 5.9 | 6.6 | 5.5 | 8.4 | 11.7 |
ROE (%) | 15.9 | 17.7 | 10.4 | 19.6 | 33.8 |
पेप्सिको इंडिया की कुल बेवरेज सेल में योगदान (%) | 51 | 80 | 85 | 85 | 90 |
इसके चलते, भारत में पेप्सिको की कुल बिक्री में इसकी हिस्सेदारी फ़ाइनेंशियल ईयर 2016 के 45 प्रतिशत से बढ़कर फ़ाइनेंशियल ईयर 2022 में 90 प्रतिशत से ज़्यादा हो गई.
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एफ़ीशिएंसी पर फ़ोकस
पेप्सिको के रिसर्च, डेवलपमेंट और विज्ञापनों का काम संभालने के साथ, कंपनी के पास केवल एफ़िशिएंसी में सुधार पर फ़ोकस करना है. इसने इसका ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाया और वर्टीकल इंटीग्रेशन के ज़रिये अपनी एफ़ीशिएंसी को बढ़ाया है, यानी, मैन्युफ़ैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन प्रोसेस के हर पहलू पर इसका पूरा कंट्रोल है. कंपनी खुद ही बोतलें बनाती है और इसके ट्रांसपोर्ट व्हीकल, गोदाम और डिस्ट्रीब्यूशन डिपो भी अपने ही हैं. इस हाई एफ़ीशिएंसी और पूरी सप्लाई चेन पर कंट्रोल के चलते, बीते कुछ साल के दौरान मार्जिन भी ख़ासे बढ़ गए हैं.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार
भारतीय FMCG सेक्टर की लीडिंग कंपनियों में से एक के तौर पर अपनी स्थिति मज़बूत करने के साथ-साथ, कंपनी ने अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में भी क़दम बढ़ाए हैं. इसने पिछले दशक में नेपाल, श्रीलंका, मोरक्को, जाम्बिया और जिंबाव्वे में मैन्युफ़ैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन फ़ैसिलिटी शुरू की हैं. इसके अलावा, ये डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो और दक्षिण अफ्रीका में पैठ बढ़ाने की योजना बना रही है.
सावधानी की बात
वरुण बेवरेजेज़ ने बेशक़ हाल के दिनों में अपने निवेशकों को मोटी कमाई कराई है. हालांकि, हर बिज़नस में रिस्क होता है और वरुण बेवरेजेज़ भी इससे अछूती नहीं है.
उदाहरण के लिए, ऊपर दिए गए कारणों से ये साफ़ है कि आगे जाकर पेप्सिको के साथ किसी भी टकराव का इसके बिज़नस पर ख़ासा असर पड़ सकता है. इसके अलावा, इसकी अज्ञात अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में विस्तार की कोशिशों का भी भयावह अंत हो सकता है.
इसलिए, निवेश करने में ज़ल्दबाजी करने से पहले ये ध्यान रखें कि ये हमारी तरफ से स्टॉक रेकमेंडेशन नहीं है. निवेश करने से पहले जरूरी मेहनत कर लें. पिछला परफ़ॉर्मेंस फ़्यूचर रिटर्न की गारंटी नहीं है .
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