Anand Kumar
Tyre Stocks: टायर कंपनियों के लिए फ़ाइनेंशियल ईयर-23 काफ़ी हद तक अच्छा रहा है. इस इंडस्ट्री को फ़ाइनेंशियल ईयर 22 में ख़ासी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. दरअसल, इस दौरान रॉ-मटीरियल की ऊंची लागत और मुनाफ़े में कमी के चलते उन्हें मुश्किलों से जूझना पड़ा.
हालांकि, मज़बूत वॉल्यूम ग्रोथ और रॉ-मटीरियल की लागत में कमी के चलते मज़बूत वॉल्यूम ग्रोथ को देखते हुए इन कंपनियों ने अच्छी वापसी की है.
बालकृष्ण इंडस्ट्रीज को छोड़ दें तो सभी बड़ी कंपनियों ने फ़ाइनेंशियल ईयर 23 में रेवेन्यू और नेट प्रॉफ़िट में डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज की है.
इसी तरह, बाज़ार ने भी इस पर तगड़ी प्रतिक्रिया दी है, और इन सभी कंपनियों ने अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है.
FY23 में टायर मार्केट का परफॉर्मेंस
कारोबार सुधरने पर बाजार ने दिया तोहफ़ा
कंपनी | मार्केट कैप (₹ करोड़) | रेवेन्यू ग्रोथ (%) | नेट प्रॉफ़िट ग्रोथ (%) | 1 साल में शेयर का रिटर्न (%) |
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अपोलो टायर्स | 26426 | 17.3 | 73 | 132.1 |
सिएट | 8093 | 20.8 | 316.4 | 115.8 |
JK टायर | 4764 | 22.2 | 32.2 | 91.2 |
MRF | 42201 | 19.1 | 14.9 | 44.3 |
बालकृष्ण इंडस्ट्रीज | 46376 | 17.7 | -26.3 | 12.6 |
23 जून, 2023 तक का डेटा |
कौन से फ़ैक्टर इस इंडस्ट्री को और उसकी ग्रोथ को सपोर्ट कर रहे हैं? हम यहां इसी विषय में बात कर रहे हैं.
बेहतर डिमांड
घरेलू बाज़ार में मज़बूत डिमांड और पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल के साथ-साथ टूव्हीलर की अच्छी बिक्री, टायर इंडस्ट्री की ग्रोथ को रफ़्तार मिली है. इसके अलावा, OEM सेगमेंट (नए ख़रीदे गए वाहनों) ने सेल्स वॉल्यूम में डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज की है, जिससे रिप्लेसमेंट मार्केट सेगमेंट में फ़्लैट ग्रोथ और एक्सपोर्ट में गिरावट की भरपाई हुई.
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SUV में बूम
टायर कंपनियां वाहनों की ज़रूरत के आधार पर अलग-अलग ख़ूबियों वाले कई प्रोडक्ट बनाती और बेचती हैं. पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में, SUVs के लिए बेचे जाने वाले टायरों के बड़े सेट से टायरों पर कंपनियों को अच्छा प्रॉफ़िट मार्जिन मिलता है. पिछले कुछ वर्षों से SUVs की मांग बढ़ रही है और ये फ़ाइनेंशियल ईयर 2023 में ख़ासी ज़्यादा हो गई, जिससे टायर इंडस्ट्री को अच्छा फ़ायदा हुआ.
रॉ-मटीरियल की क़ीमतें कमी हुई
टायर के उत्पादन के लिए रबर, कार्बन ब्लैक और पेट्रोकेमिकल्स मुख्य मटीरियल हैं. फ़ाइनेंशियल ईयर-22 की पहली छमाही और फ़ाइनेंशियल ईयर-23 की पहली छमाही के बीच इन मैटेरियल्स की कॉस्ट ख़ासी बढ़ गई थी, जिसका इन सभी कंपनियों के प्रॉफ़िट मार्जिन पर ख़राब असर पड़ा था.
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हालांकि, फ़ाइनेंशियल ईयर-23 से इनुपुट मटीरियल की क़ीमतों में स्थिरता आने लगी. रॉ-मटीरियल्स की सप्लाई और क़ीमतों में सुधार के चलते उनके प्रॉफ़िट मार्जिन और प्रॉफ़िट आफ़्टर टैक्स या PAT में सुधार देखने को मिला.
हालांकि, इस मामले में बालकृष्ण इंडस्ट्रीज अपवाद रही, जिसने ऊंची क़ीमतों में रॉ-मटीरियल ख़रीदा और मैनेजमेंट ने जून 2023 के अंत तक ऊंची लागत वाले रॉ-मटीरियल्स के ख़त्म होने का दावा किया है.
आगे कैसा रहेगा सफ़र
इन कंपनियों के मैनेजमेंट को मज़बूत डिमांड और इनपुट क़ीमतों में कमी के चलते चालू फ़ाइनेंशियल ईयर में ग्रोथ जारी रहने का अनुमान है. हालांकि, इंडस्ट्री के स्वभाव पर ग़ौर करें, तो रॉ-मटीरियल की क़ीमतों में बढ़ोतरी या सप्लाई चेन बाधित होने से इंडस्ट्री के प्रॉफ़िट मार्जिन पर ख़ासा असर होगा.
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