दुनिया की सबसे बड़ी एग्रोकेमिकल कंपनियों में से एक UPL ने घोषणा की है कि वो अपना स्पेशियलिटी केमिकल्स बिज़नस, एक पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी को सौंप देगी. स्पेशियलिटी बिज़नस की वैल्यू ₹3,572 करोड़ है. इस बिज़नस को स्लंप सेल बेसिस पर UPL स्पेशियलिटी केमिकल्स को ट्रांसफ़र किया जाएगा. कंपनी ने बताया है कि ट्रांसफ़र 3-4 महीने में हो जाएगा और इसके लिए शेयर होल्डर्स की मंज़ूरी ली जाएगी.
UPL स्पेशियलिटी केमिकल्स
वित्त-वर्ष 2023 में ₹16,090 करोड़ राजस्व के साथ USCL भारत की सबसे बड़ी स्पेशियलिटी केमिकल कंपनियों में से है. ये फसल की सुरक्षा, फ़ार्मा, पेन्ट और दूसरी इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले इन्ग्रीडिएंट बनाती है और साथ ही दूसरी कंपनियों को भी सप्लाई करती है. इसका क़रीब 86 प्रतिशत राजस्व UPL की ग्रुप कंपनियों, UPL कॉरपोरेशन और UPL SAS से आता है.
USCL के 15 से ज़्यादा टेक्निकल और फ़ार्मुलेशन प्लांट और एक डेडीकेटेड R&D सेंटर हैं. कंपनी को लागत के लिहाज़ से भी बढ़त हासिल है. इसके अलावा ये चुनिंदा भारतीय कंपनियों में है, जिसे जटिल और ख़तरनाक केमिकल बनाने का अनुभव है. कंपनी का बिज़नस, राजस्व और मुनाफ़ा दोनों मोर्चों पर पिछले तीन साल में तेज़ी से बढ़ा है.
USCL के फ़ाइनेंशियल्स
फ़ाइनेंशियल्स (₹ करोड़ ) | वित्त वर्ष 23 | वित्त वर्ष 22 | वित्त वर्ष 21 | 2साल की ग्रोथ (% सालाना) |
---|---|---|---|---|
राजस्व | 16090 | 14080 | 9937 | 27 |
EBITDA | 1792 | 1445 | 920 | 40 |
EBITDA मार्जिन (%) | 10 | 9 | 9 | |
ROCE (%) | 45 | 31 |
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री-स्ट्रक्चरिंग की वज़ह
UPL ने बताया है कि बिज़नस की संभावनाओं का फ़ायदा उठाने और सेक्टर के अनुकूल माहौल का लाभ लेने के लिए ये क़दम उठाया जा रहा है. साल 2015-20 के बीच भारत की स्पेशियलिटी केमिकल इंडस्ट्री, सालाना 10 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. इसके अलावा, कंसल्टेंसी फ़र्म फ्रॉस्ट & सुलिवन ने वित्त-वर्ष 2022-25 तक दोहरे अंक में ग्रोथ जारी रहने का अनुमान लगाया है.
कंपनी अपना दो तिहाई राजस्व UPL ग्रुप कंपनियों को सप्लाई करके हासिल करती है, वहीं मैनेजमेंट, आने वाले वर्षों में B2B सेगमेंट यानी भागीदारी का फ़ायदा उठाना चाहता है. कंपनी के अनुभव और विशेषज्ञता को देखते हुए मैनेजमेंट को लगता है कि ये सेगमेंट क़ारोबार में कुशलता के मोर्चे पर सुधार करते हुए अपनी शानदार ग्रोथ जारी रखेगा.
इसके अलावा, इस बदलाव से UPL को क़र्ज़ कम करने में मदद मिलेगी. कंपनी अपने ₹22,999 करोड़ के क़र्ज़ के एक हिस्से को ट्रांसफ़र कर सकेगी और कुछ क़र्ज़ चुका सकेगी. इससे कंपनी को कम ब्याज चुकाना पड़ेगा.
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