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ज़्यादा स्टॉक ख़रीदने वाले म्यूचुअल फ़ंड, अच्छे होते हैं या ख़राब?

ज़्यादा कंपनियों के स्टॉक ख़रीदने वाले फ़ंड अल्फ़ा जेनरेट कर रहे हैं या ये बात सही नहीं

ज़्यादा स्टॉक ख़रीदने वाले म्यूचुअल फ़ंड, अच्छे होते हैं या ख़राब?

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Mutual funds: अतीत में बिल्कुल उलटे उदाहरण सामने आते रहे हैं. एक तरफ़, आपके सामने चर्चित शख्सियत पीटर लिंच (Peter Lynch) के अमेरिका बेस्ड मैगेलन फ़ंड (Magellan Fund) ने 1,400 कंपनियों के स्टॉक्स ख़रीदे और 13 साल के दौरान 29 फ़ीसदी का दमदार रिटर्न दिया. तभी तो इस महान निवेशक ने कहा होगा: "कोई आश्चर्य नहीं, मैं इस बात के लिए जाना जाता था कि ऐसा कोई शेयर नहीं जो मुझे पसंद नहीं."

दूसरी तरफ़, अर्श से फ़र्श तक का सफ़र करने वाला मॉर्गन स्टैनली ग्रोथ फ़ंड (Morgan Stanley Growth Fund) भारत में लॉन्च होने वाले पहले विदेशी फ़ंड के रूप में चर्चित था और देश छोड़ने से पहले, अपने पोर्टफ़ोलियो में क़रीब 300 स्टॉक की होल्डिंग के लिए बदनाम रहा.

अतीत के ऐसे उलटे नतीजों के परिप्रेक्ष्य में, हमने भारत के मौजूदा दौर के फ़ंड्स की पड़ताल करने का फ़ैसला किया कि क्या ज़्यादा स्टॉक रखने वाले फ़ंड अल्फा जेनरेट कर सकते हैं.

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ज़्यादा स्टॉक्स ख़रीदने वाले फ़ंड
सबसे पहले, हमने भारत में सक्रिय रूप से मैनेज हो रहे डायवर्सिफ़ाइड इक्विटी फ़ंड्स पर नज़र डाली.

ऐसे 248 फ़ंड्स में से, आठ फ़ंड्स ने ख़ासे ज़्यादा स्टॉक ख़रीदे हैं. हक़ीक़त में, उनके पोर्टफ़ोलियो में एक तिहाई से ज़्यादा पैसा, 1 फ़ीसदी से कम एलोकेशन वाले स्टॉक्स में निवेश किया गया. लेकिन इनमें से दो फ़ंड्स व्हाइटओक और HDFC मल्टी कैप , मार्केट के लिए काफ़ी नए हैं. इसलिए, हमें लगता है कि उनके हाल के प्रदर्शन का आकलन करना जल्दबाज़ी होगी.

इसीलिए, हम आपको लॉन्ग टेल वाले उन पांच फ़ंड्स के बारे में बता रहे हैं. (लॉन्ग टेल इस इंडस्ट्री में प्रचलित शब्द है, जो बड़ी संख्या में स्टॉक्स में निवेश करने वाले फ़ंड्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है.)

फ़ंड स्टॉक्स की संख्या बॉटम 5% में स्टॉक्स बॉटम 10% में स्टॉक्स बॉटम 33% में स्टॉक्स
निप्पॉन इंडिया स्मॉल कैप 169 36 56 110
HDFC लार्ज एंड मिड कैप 158 52 70 112
ABSL स्मॉल कैप 98 16 27 57
ICICI प्रू मल्टी कैप 93 19 28 57
निप्पॉन इंडिया मल्टी कैप 91 18 28 62
नोट: 30 अप्रैल, 2023 को पोर्टफ़ोलियो डिस्क्लोजर के अनुसार; 'बॉटम 5%' का मतलब सबसे छोटी स्टॉक होल्डिंग्स है जो फंड की कुल संपत्ति का 5% तक जोड़ते हैं. बॉटम 10% और 25% का मतलब भी ऐसा ही है.

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उनका प्रदर्शन
अक्सर कहा जाता है कि अगर आपको किसी ख़ास शेयर में ज़्यादा भरोसा है तो आप उसमें ज़्यादा निवेश करेंगे, ये सही है न?

सही... ग़लत... या शायद हो सकता है.

ठीक है, क्योंकि ABSL स्मॉल-कैप फ़ंड की अपने पोर्टफ़ोलियो में बड़ा बदलाव करने की रणनीति का अभी तक फ़ायदा नहीं मिला है. हक़ीक़त में, फ़ंड अभी तक अपने बेंच मार्क, यानी स्मॉल-कैप इंडेक्स को मात देने में भी नाक़ाम रहा है.

ग़लत, क्योंकि 169 स्टॉक होल्ड करने के बावजूद, निप्पॉन इंडिया स्मॉल-कैप फ़ंड एक चमकते सितारे की तरह नज़र आता है. उसने शानदार मार्जिन के साथ हर साल अपने बेंचमार्क को पीछे छोड़ा है.

और संभवतः अन्य तीन ने काफ़ी हद तक अपने संबंधित बेंचमार्क के मुताबिक़ ही प्रदर्शन किया है, जो अपने संबंधित बेंचमार्क इंडेक्स से 1-2 फ़ीसदी बेहतर ही रहा है.

क्या लॉन्ग टेल फ़ंड्स ने बेंचमार्क को पीछे छोड़ दिया
नकारात्मक आंकड़ों से फ़ंड के कमज़ोर प्रदर्शन के संकेत मिलते हैं.

फ़ंड 2018 2019 2020 2021 2022 2023
निप्पॉन इंडिया स्मॉल कैप 10.4 5.7 3.9 12.5 10.2 6
ABSL स्मॉल कैप 4.4 -3.2 -5.2 -10.5 -2.8 4
HDFC लार्ज एंड मिड कैप 1.4 0.7 -9.1 6.9 4.6 1.9
ICICI प्रू मल्टी कैप 3.3 -2 -7.6 -3 2.8 2.3
निप्पॉन इंडिया मल्टी कैप 0.7 -6.1 -17.1 9.2 12.1 5.2
नोटः 2023 में 8 जून, 2023 तक का प्रदर्शन है. आंकड़े % में हैं.

सोची समझी रणनीति?
ऐसा नहीं है.

कम से कम निप्पॉन स्मॉल कैप के मामले में ऐसा नहीं है. दरअसल, उसका प्रदर्शन बेहतर रहा है, इसलिए उसे इन्वेस्टर्स की तरफ़ से ज़्यादा पैसा मिला है. इसके चलते, फ़ंड क्वालिटी स्टॉक को आज़माने और खोजने पर मजबूर हो गया. यही वजह है कि फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो में ज़्यादा स्टॉक्स हैं.

आमतौर पर, 'विनर' बने रहने के दबाव का फ़ंड के प्रदर्शन पर असर पड़ता है, लेकिन निप्पॉन इंडिया स्मॉल कैप के मामले में तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ. यही बात इस लिस्ट में शामिल ज़्यादातर दूसरे फ़ंड्स में भी है. ये फ़ंड, इन्वेस्टर्स का पैसा बढ़ने के कारण दूसरे स्टॉक्स पर ग़ौर करने को मजबूर हो गए. दरअसल, पोर्टफ़ोलियो में मौजूद स्टॉक्स में ही निवेश जारी रखना व्यावहारिक नहीं है. (स्टॉक की क़ीमत में उछाल और वैलुएशन में अचानक बढ़ोतरी को ध्यान में रखना चाहिए.)

यहां, मन में सवाल उठता है कि ABSL स्मॉल कैप और काफ़ी हद तक नए व्हाइटओक जैसे फ़ंड्स को लॉन्ग टेल क्यों है. या हो सकता है कि यहां समस्या फ़ंड मैनेजर्स की क्वालिटी की हो, न कि क्वांटिटी की.

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