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क्या मुझे इक्विटी फ़ंड के मुनाफ़े पर टैक्स देना होगा?

Income Tax Rules: नई टैक्स रिज़ीम के नियमों से इसे अच्छी तरह से समझते हैं

क्या मुझे इक्विटी फ़ंड के मुनाफ़े पर टैक्स देना होगा?

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Tax on Mutual Fund: इसका जवाब होल्डिंग पीरियड और आपकी सालाना इनकम पर निर्भर करता है. तो आइए, पहले होल्डिंग पीरियड के पेंच को ही समझते हैं.

  • Short-Term Capital Gains Tax: अगर आपने 12 महीने से कम समय के लिए इक्विटी केंद्रित फ़ंड को होल्ड किया है तो आपको 15 फ़ीसदी टैक्स (शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स) देना चाहिए.
  • अगर आपने एक साल से ज़्यादा समय के लिए फ़ंड को होल्ड किया है तो ₹1 लाख से कम फ़ायदा होने की स्थिति में आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा. इस स्थिति में आपको अपनी सालाना इनकम को ध्यान में रखने की ज़रूरत है. इसीलिए, हम आपको पांच स्थितियों के बारे में बता रहे हैं, जिससे पता चलेगा कि आपको कितना टैक्स (Income tax rules on mutual funds) देना होगा.

स्थिति 1 - कोई टैक्स नहीं

  • रेगुलर इनकम: शून्य
  • इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स (equity mutual funds) से हुआ फ़ायदा: ₹2.5 लाख

इस मामले में, आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा.

क्यों? इसकी वजह ये है कि नए टैक्स रिज़ीम (new tax regime) के तहत, ₹3 लाख से कम इनकम (म्यूचुअल फ़ंड्स से हुए फ़ायदे सहित) टैक्सेबल नहीं है.

स्थिति 2 (नई टैक्स रिज़ीम में जिनकी म्यूचुअल फ़ंड से इतर इनकम ₹3 लाख से कम हो)

  • सालाना इनकमः ₹2 लाख
  • इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स (mutual funds) से हुआ फ़ायदाः ₹2.5 लाख
  • इसे अब ₹1.5 लाख मान लीजिए (याद रखिए, म्यूचुअल फ़ंड्स पर होने वाले ₹1 लाख तक के फ़ायदे को टैक्स से छूट हासिल है)

कुल सालाना इनकम की गणना करने से पहले, ये जान लीजिए कि नए रिज़ीम में ₹3 लाख तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है. (इसलिए, हर महीने ₹25,000 और उससे कम कमाने वाले व्यक्ति पर कोई टैक्स नहीं बनता है)

अब हमारे पास ये जानकारी है तो चलिए, आपकी कुल इनकम की गणना करते हैं:

सालाना इनकम (₹2 लाख) + फ़ंड से हुआ फ़ायदा (₹1.5 लाख, तीसरा बुलेट प्वाइंट देखिए) = ₹3.5 लाख.

इसका मतलब है कि टैक्स फ़्री लिमिट (नॉन टैक्सेबल लिमिट) से आपने ₹50,000 ज़्यादा कमाए.

नतीजतन, आपको ₹50,000 पर 10 फ़ीसदी टैक्स देना होगा, जो ₹5,000 बनता है.

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स्थिति 3 (म्यूचुअल फ़ंड के फ़ायदे से इतर जिनकी इनकम ₹3- 7 लाख के बीच होती है)

  • सालाना इनकम: ₹4 लाख
  • इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स से हुआ फ़ायदा: ₹2.5 लाख
  • लेकिन इसे ₹1.5 लाख कर देते हैं (याद रखिए, म्यूचुअल फ़ंड्स पर होने वाले ₹1 लाख तक के फ़ायदे को टैक्स से छूट हासिल है)

भले ही सभी शर्तें पिछले केस के समान रहीं, लेकिन फिर भी यहां ख़ासा फर्क आ गया.

ध्यान रखिए कि सालाना इनकम ₹4 लाख है. ये नए रिज़ीम में ₹3 लाख की नॉन टैक्सेबल लिमिट से ज़्यादा है.

हालांकि, इस मामले में भी आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा.

क्यों? दरअसल, इसी तकनीकी पेंच के चलते हमारे टैक्स सिस्टम में उन सभी लोगों को टैक्स से छूट हासिल है, जिनकी कमाई ₹7 लाख प्रति वर्ष से कम है.

लेकिन याद रखिए कि ये बात सिर्फ आपकी सालाना इनकम पर लागू होती है और इसमें किसी इन्वेस्टमेंट से होने वाला कैपिटल गेन (capital gains) शामिल नहीं है.

अब आप इस अंतर को समझ गए होंगे तो चलिए, आपकी कर देनदारी की गणना करते हैं.

  • आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा, क्योंकि आपकी इनकम ₹7 लाख की लिमिट से कम है.
  • हालांकि, आपको म्यूचुअल फ़ंड से हुआ फ़ायदा ₹1.5 लाख (तीसरा बुलेट प्वाइंट देखिए) है, जिस पर 10 फ़ीसदी टैक्स लगेगा.

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स्थिति 4 (नए टैक्स रिज़ीम के तहत जिनकी इनकम ₹7 लाख से कम है, लेकिन फ़ंड से हुए फ़ायदे को जोड़ने पर ये लिमिट से ऊपर चली जाती है)

  • सालाना इनकम: ₹6 लाख
  • इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स (mutual funds) से हुआ फ़ायदा: ₹2.5 लाख
  • लेकिन इसे ₹1.5 कर देते हैं (याद रखिए, म्यूचुअल फ़ंड्स पर होने वाले ₹1 लाख तक के फ़ायदे को टैक्स से छूट हासिल है)

इस समय, आप पूछ सकते हैं कि पिछले केस और इसमें क्या अंतर है?

अगर ग़ौर से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि पिछले केस में, फ़ंड से हुए फ़ायदे सहित कुल इनकम ₹7 लाख से कम थी. इस आंकड़े से कम पर आपको अपनी सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होता.

हालांकि, इस केस में कुल इनकम ₹7 लाख से ज़्यादा हो जाती है.

(आप ₹6 लाख की सालाना इनकम और म्यूचुअल फ़ंड्स से हुए ₹1.5 लाख के फ़ायदे को जोड़कर ये जान सकते हैं)

इसका मतलब है कि आपको अपनी सालाना इनकम और फ़ंड पर हुए फ़ायदे दोनों पर टैक्स देना होगा.

अब आप पर टैक्स की गणना इस तरह की जाएगी:

आपकी ₹6 लाख की सालाना इनकम पर ₹15,000 की टैक्स देनदारी बनेगी. ये नए टैक्स रिज़ीम के इनकम टैक्स स्लैब्स पर आधारित है.

फिर, आपके ₹1.5 लाख के म्यूचुअल फ़ंड के फ़ायदों (तीसरा बुलेट प्वाइंट देखिए) पर 10 फ़ीसदी टैक्स लगेगा, जो ₹15,000 होता है.

इसलिए, इस केस में आपको कुल ₹30,000 का टैक्स देना होगा.

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स्थिति 5 (म्यूचुअल फ़ंड के फ़ायदे को शामिल किए बिना जिनकी इनकम ₹7 लाख से ज़्यादा है)

  • सालाना इनकम: ₹10 लाख
  • इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड्स से हुआ फ़ायदा: ₹2.5 लाख
  • लेकिन इसे ₹1.5 कर देते हैं (याद रखिए, म्यूचुअल फ़ंड्स पर होने वाले ₹1 लाख तक के फ़ायदे को टैक्स से छूट हासिल है)

ये केस लगभग केस-4 के ही समान है.

यहां, आपकी ₹10 लाख की सालाना इनकम पर ₹60,000 का टैक्स बनता है (नए टैक्स रिज़ीम के तहत इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर)

इसके अलावा, फ़ंड से हुए ₹1.5 लाख के फ़ायदे (तीसरा बुलेट प्वाइंट देखिए) पर 10 फ़ीसदी टैक्स लगेगा, जो ₹15,000 रुपये होता है. इसलिए, आपकी कुल टैक्स देनदारी ₹75,000 होगी.

पुरानी टैक्स रिज़ीम अपनाने वालों के लिए
पुराने रिज़ीम में, नॉन टैक्सेबल लिमिट ₹2.5 लाख है. अगर आपकी सालाना इनकम इस अमाउंट से कम है तो स्थिति-1 और 2 को देखें.

हालांकि, नए टैक्स स्ट्रक्चर के विपरीत पुराने रिज़ीम में सीनियर सिटीजंस और सुपर सीनियर सिटीजंस को ज़्यादा फ़ायदे मिलते हैं. इस स्थिति में, टैक्स फ़्री इनकम क्रमशः ₹3 लाख और ₹5 लाख है.

एक अन्य अहम बात ये है कि आपको ₹5 लाख तक की इनकम पर टैक्स नहीं देना होता. (नए टैक्स रिज़ीम में, ये ₹7 लाख है). ज्यादा स्पष्टता के लिए स्थिति-3, 4 और 5 पर गौर करें.

आखिर में, नए और पुराने टैक्स रिज़ीम में भले ही टैक्स स्लैब्स में भले ही कुछ अंतर हो, लेकिन आपकी सालाना इनकम की गणना के लिए एक समान नियम लागू होंगे.

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