फ़र्स्ट पेज

निवेश के सही होने और सही लगने का फ़र्क़

PPF के बजाए इक्विटी में निवेश करते तो क्या होता, ये समझना आसान लगता है पर है नहीं.

निवेश के सही होने और सही लगने का फ़र्क़

back back back
5:34

क्या बेहतर है, PPF या स्टॉक इन्वेस्टमेंट? कई मायनों में, ये एक बेमतलब की तुलना है क्योंकि दोनों एसेट क्लास, बचत करने वालों के पोर्टफ़ोलियो में काफ़ी अलग क़िस्म का रोल अदा करती हैं. हालांकि, इस तरह की तुलना काफ़ी काम की भी है, क्योंकि भारत में PPF एक शाश्वत सत्य जैसा लंबे समय का फ़िक्स्ड-इनकम इन्वेस्टमेंट है. क़रीब-क़रीब हर बचत करने वाला कुछ न कुछ पैसा PPF में रखता है, और ये कम से कम एक साल के लिए निवेश में रहता ही है, अक्सर तो ये एक या दो दशक के लिए भी निवेश में बना रहता है.

कुछ दिन पहले, मैंने अपनी टीम के रिसर्चर से PPF और सेंसेक्स रिटर्न के बीच तुलना करने के लिए कहा. इसके लिए पूरे सेंसेक्स और PPF के पूरे इतिहास का समय कैलकुलेट किया जाना था. ये काल्पनिक क़वायद थी जिसमें तय किया गया कि सालाना ₹10,000 के निवेश पर इसे कैलकुलेट किया जाएगा और इसकी शुरुआत 1979 से की जाएगी, जब सेंसेक्स शुरु होता है. हमारी इस काल्पनिक केस-स्टडी में 1979 से 2023 तक, हर साल ₹10,000 निवेश किए गए. यूं तो, BSE सेंसेक्स 1986 में शुरु हुआ, पर क्योंकि इसका आधार 1979 का रखा गया था; इसलिए, वैल्यू को इस साल से (back-calculated) कैलकुलेट किया गया.

इसकी हेडलाइन है कि PPF का एनुअलाइज़्ड रिटर्न 9.9 प्रतिशत था और सेंसेक्स जैसे निवेश का 14.3 प्रतिशत. ये सुन कर कैसा लगा आपको? क्या क़रीब चार प्रतिशत का एक्स्ट्रा सालाना रिटर्न, स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव के बावजूद अच्छा है? क्या ये ऐसा है कि भारत सरकार की PPF पर मिलने वाली सॉवरिन गारंटी को छोड़ा जा सके? ज़्यादातर लोग जो एक साल या दो, या तीन साल के निवेश के बारे में ही सोचते हैं, उनके लिए चार प्रतिशत ज़्यादा का रिटर्न काफ़ी अच्छा होगा, पर दुनिया बदल देने वाली घटना नहीं है.

अगर आप इन लोगों में से एक हैं, तो मुझे आपका मन बदलने का मौक़ा दीजिए. इन 44 सालों के दौरान, PPF में हर साल जमा किए गए ₹10,000 बढ़ कर ₹59.7 लाख हो गए. वहीं सेंसेक्स में ₹10,000 का निवेश बढ कर ₹2.3 करोड़ हो गया. ये क़रीब चार गुना ज़्यादा पैसा है, सटीक तौर पर, ये 3.9 गुना होगा. क्या आपको लगता है कि ₹2.3 करोड़ के बजाए ₹59.7 लाख का फ़र्क़ नज़रअंदाज़ किया जा सकता है? मैं मानता हूं कि 44 साल का अरसा बहुत लंबा होता है, और कोई भी इतने वक़्त के लिए निवेश नहीं करता. हालांकि, इस पूरी क़वायद का मक़सद ये नहीं था कि एकदम सटीक रिटर्न कैलकुलेट किया जाए, बल्कि ये दिखाने का था कि लंबे अरसे में कंपाउंडिंग के कारण रिटर्न में एक छोटा सा फ़र्क़ भी काफ़ी बड़ा हो जाता है. ये फ़र्क़ किसी के अमीर हो जाने और ठीक-ठाक पैसे बनाने का होता है.

ये भी पढ़िए- निवेशकों का सुहाना सफ़र और वैल्यू रिसर्च स्टॉक एडवाइज़र की सलाह

ऐसा नहीं है कि ये फ़र्क़ 44 साल के पहले पहले नहीं हुआ. अगर हम 30-साल यानी, 2009 को देखें, तो पता चलेगा कि सेंसेक्स का रिटर्न PPF निवेश से 3.3 गुना ज़्यादा था. इस समय PPF निवेश ₹19.9 लाख पर था, जबकि सेंसेक्स ₹65.2 लाख पर. सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव वाले स्वभाव की वजह से पहले दशक के बाद, ये फ़र्क़ 3X और 4.5X के बीच रहा. इक्विटी निवेश में ये होता ही है.

नोट करने वाली अहम बात है कि फ़िक्स्ड-इनकम निवेश महंगाई को पछाड़ने और लंबे समय में वेल्थ खड़ी करने में सक्षम नहीं हैं. इस बात का ध्यान रखें कि हम यहां PPF की बात हो रही है—जो फ़िक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट का सबसे अच्छा तरीक़ा है. PPF की ब्याज दर एक आम बैंक फ़िक्स्ड डिपॉज़िट से कहीं ज़्यादा रही है; और ऊपर से, इसमें टैक्स से पूरी राहत भी होती है. जहां तक बैंक FD जैसे निवेशों की बात है, उसमें तो आप महंगाई के बराबर फ़ायदा पाने की उम्मीद भी नहीं कर सकते, असल मुनाफ़े की तो बात ही रहने दें, ख़ासतौर पर जब हर साल आपके अकाउंट से टैक्स के पैसे रिसते रहते हैं.

इक्विटी निवेश, ख़ासकर म्यूचुअल फ़ंड SIP के ज़रिए किया जाने वाला निवेश भारत में तेज़ी से बढ़ रहा है. हालांकि, सच तो ये है कि कुल मिला कर, बचत के संदर्भ में, भारत काफ़ी हद तक एक फ़िक्स्ड-इनकम वाला देश ही है. दसियों करोड़ लोगों की बचत बैंक की FD, PPF, पोस्ट ऑफ़िस डिपॉज़िट, और इसी तरह के निवेशों में है और वो शायद ही कभी इनके विकल्प के बारे में सोचते हैं. ये बुनियादी बात, कि इक्विटी का उतार-चढ़ाव एक कुछ समय का मसला होता है और फ़िक्स्ड-इनकम से कम मिलने वाला रिटर्न ज़िंदगी भर की समस्या है, अब भी लोगों के ज़ेहन में गहराई से नहीं बैठा है. स्थिर, गारंटी वाला, कम रिटर्न, या बहुत उतार-चढ़ाव वाला ऊंचा रिटर्न. आप इनमें एक ही चुन सकते हैं.

ये भी पढ़िए- क्या टेक फ़ंड में निवेश का ये अच्छा समय है?


टॉप पिक

उतार-चढ़ाव वाले मार्केट के लिए बेहतरीन म्यूचुअल फ़ंड

पढ़ने का समय 3 मिनटPranit Mathur

म्यूचुअल फ़ंड पोर्टफ़ोलियो को कैसे गिरावट से सुरक्षित करें?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

वैल्यू रिसर्च एक्सक्लूसिव: मल्टी-कैप फ़ंड्स पर हमारी पहली रेटिंग जारी!

पढ़ने का समय 4 मिनटआशीष मेनन

चार्ली मंगर की असली पूंजी

पढ़ने का समय 5 मिनटधीरेंद्र कुमार

लंबे समय के निवेश के लिए म्यूचुअल फ़ंड कैसे चुनें?

पढ़ने का समय 2 मिनटरिसर्च डेस्क

वैल्यू रिसर्च धनक पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

बाज़ार में उथल-पुथल है? आप गहरी सांस लीजिए

मार्केट की उठापटक के दौरान आपके शांत रहने की एक आसान गाइड

दूसरी कैटेगरी