Gold ETF: पारम्परिक रूप से सोना एक महंगा निवेश है. लेकिन गोल्ड फ़ंड्स (gold funds) के अस्तित्व में आने के साथ आखिरकार इसमें निवेश करना आसान हो गया है. हालांकि, क्या आपने कभी ये सोचा है कि सोना कहां से आता है और ये स्टॉक एक्सचेंजेस में कैसे पहुंचता है?
क्या फ़ंड हाउस फिजिकल गोल्ड ख़रीदते हैं? क्या इसका आयात किया जाता है? क्या इसे फिजिकली स्टोर किया जाता है? लोगों के मन में अक्सर ऐसे कुछ सवाल उठते हैं और इसलिए, हमने गोल्ड फ़ंड्स के पीछे के प्रोसेस को सामने रखा है.
आपने मन में उठ सकते हैं ये सवाल
फ़ंड हाउस किस तरह का गोल्ड ख़रीदते हैं?
गोल्ड बार्स जिनका वजन 1 किग्रा और प्योरिटी लेवल 99.5 फ़ीसदी होता है.
फ़ंड हाउस इस कीमती धातु की प्रमाणिकता की जांच कैसे करते हैं?
गोल्ड बार्स ओरिजिनल सर्टिफिकेट, रिफाइनर से मिली बार लिस्ट (bar list) और ज़रूरी शिपिंग डॉक्युमेंट के साथ आती हैं. इससे मेटल की प्योरिटी की पुष्टि होती है.
इन्वेस्टर म्यूचुअल फ़ंड हाउसेज द्वारा स्टोर की गई कीमती धातु को कैसे ख़रीदते हैं?
जैसे कि, ऊपर बताया गया कि फ़ंड हाउस जब गोल्ड बार्स को स्टॉक एक्सचेंजेस में ETFs में बदलते हैं तो एक इन्वेस्टर के रूप में आपके पास उसमें निवेश का विकल्प होता है.
देखिए ये वीडियो- धीरेंद्र कुमार बता रहे हैं कि गोल्ड में इन्वेस्टमेंट सही है या नहीं
आप ETF की एक यूनिट की ख़रीद और बिक्री कर सकते हैं, जो ऐसे छोटे इन्वेस्टर्स के लिए अच्छी ख़बर है जो गोल्ड या ज्वेलरी को ख़रीदने का बोझ नहीं उठा सकते.
ETF की एक यूनिट में लगभग 0.01 ग्राम के बराबर गोल्ड होता है. (हालांकि, कुछ फ़ंड हाउस ETFs की यूनिट 1 ग्राम गोल्ड के बराबर तय कर सकते हैं)
लेकिन आप ये याद रखिए कि इसके लिए आपको एक डीमैट अकाउंट की ज़रूरत होती है.
क्या आपको गोल्ड ETFs ख़रीदने चाहिए?
धनक पर हम आम तौर पर गोल्ड की लंबे समय में ग्रोथ की सीमित संभावनाओं को देखते हुए इसे ख़रीदने की सलाह नहीं देते हैं.
लेकिन अगर आप ख़रीदना ही चाहते हैं, तो हम आपको सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने का सुझाव देंगे. वे फिजिकल गोल्ड या गोल्ड ETFs से बेहतर विकल्प हैं.
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