BSE की ख़ूबियों के साथ उसकी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. वैसे भी, BSE एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है.
लेकिन क्या BSE इंडेक्स में शामिल होने या उससे बाहर होने पर किसी स्टॉक की क़ीमत पर असर पड़ता है?
इसका पता लगाने के लिए, हमने केस स्टडी के रूप में BSE 100 इंडेक्स का इस्तेमाल करने का फ़ैसला किया.
एंट्री के बाद कैसा रहा कंपनियों का सफ़र
पिछले दशक से अब तक, हमने पाया कि 34 कंपनियों की BSE 100 में शामिल होने से तीन साल पहले और बाद की शेयर प्राइस हिस्ट्री मौजूद थी.
इनमें से, 33 कंपनियों ने इंडेक्स में शामिल होने से पहले तीन साल में ऊंचा रिटर्न दिया, जिन्होंने इंडेक्स से बाहर निकलने के बाद तीन साल में छह फ़ीसदी के मीडियन रिटर्न की तुलना में तीन साल में एब्सॉल्यूट 148 फ़ीसदी का रिटर्न दिया।
इस मामले में Tata Motors DVR अपवाद रहा था, जिसने अपनी एंट्री के बाद तीन साल के दौरान 167 फ़ीसदी का एब्सॉल्यूट रिटर्न दिया. हालांकि एंट्री से पहले उसका एब्सॉल्यूट रिटर्न -74 फ़ीसदी रहा था.
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एग्जिट के बाद कैसा रहा कंपनियों का सफर
इसी प्रकार, हमने पाया कि 32 कंपनियों की BSE 100 में शामिल होने से तीन साल पहले और तीन साल बाद की शेयर प्राइस हिस्ट्री है.
उनमें से, 18 कंपनियों ने एग्जिट होने के बाद बेहतर रिटर्न दिया. उन्होंने एग्जिट से पहले -55 फ़ीसदी रिटर्न की तुलना में एग्जिट के बाद 24 फ़ीसदी मीडियन रिटर्न दिया.
वहीं, बाकी 14 कंपनियों ने इंडेक्स में रहते हुए ऊंचा रिटर्न दिया. एग्जिट से पहले उनका तीन साल का मीडियन रिटर्न -4 फ़ीसदी था, जबकि एग्जिट के बाद उन्होंने -63 फ़ीसदी रिटर्न दिया.
क्या है निष्कर्ष
स्पष्ट है कि ज़्यादातर कंपनियों ने इंडेक्स में जगह बनाने से पहले बेहतर प्रदर्शन किया. इसी प्रकार, 56 फ़ीसदी कंपनियों ने इंडेक्स से बाहर होने के बाद बेहतर प्रदर्शन किया. दरअसल, इन कंपनियों का ऐतिहासिक स्टॉक प्राइस डेटा उपलब्ध था.
इस तरह, आंकड़े इसमें छिपे इस ट्रेंड के संकेत देते हैं कि इंडेक्स का एक कंपनी के शेयर की क़ीमतों पर नकारात्मक असर होता है. तो, क्या इसका मतलब ये है कि अगर एक स्टॉक इंडेक्स में प्रवेश करता है तो वो कमजोर प्रदर्शन करेगा?
नहीं. भले ही, हमें इससे जुड़ा एक ख़ास पैटर्न मिला है लेकिन इस ट्रेंड से कोई ठोस निष्कर्ष निकालना सही नहीं है. स्टॉक की क़ीमतों को प्रभावित करने वाले कई फ़ैक्टर्स हो सकते हैं. भले ही यह कहा जा सकता है कि इंडेक्स में शामिल होने या बाहर होने से स्टॉक क़ीमतों पर असर पड़ता है, लेकिन ये इससे जुड़ी कई फ़ैक्टर्स में से एक है.
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