10 ग्राम गोल्ड की कीमत ₹60,000 से ज़्यादा होने के साथ, हाल में अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं.दीवानगी की हद तक गोल्ड को पसंद करने वाले भारतीयों के लिए यह चिंताजनक ख़बर है. और इस बात की चर्चा जोरों पर है कि गोल्ड के बदले लोन देने वाली NBFC कंपनियों और बैंकों का रेवेन्यू ख़ासा बढ़ सकता है.वैसे ऐसा पहली बार नहीं होगा. अरसे से यही हो रहा है. जब भी गोल्ड की कीमतों में बड़ा उछाल आता है तो इसने गोल्ड के बदले लोन देने वाली कंपनियों की लोन बुक और रेवेन्यू को प्रभावित किया है.
ऐतिहासिक डेटा पर गौर करें तो हम गोल्ड के बदले लोन देने वाली कंपनियों की अर्निंग में उछाल की उम्मीद कर सकते हैं। ठीक है?
बहुत कम समय के लिए ये सच हो सकता है लेकिन हमें शक है कि इससे गोल्ड के बदले लोन देने वाली कंपनियों के लिए लंबे समय में कुछ अच्छा होगा. ऐसा क्यों है ये आगे जानिए.
गोल्ड कीमतों में उतार-चढ़ाव
मैक्रो फैक्टर की वजह से गोल्ड कीमतों में काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव रहता है. जब भी वैश्विक अर्थव्यवस्था दबाव में हो या ऐसा कोई संकेत दिखता है तो निवेशक डर जाते हैं. साथ ही, महंगाई का दबाव लंबे समय तक बने रहने की आशंका से गोल्ड पर दांव लगाते हैं और गोल्ड की कीमतें बढ़ जाती हैं.लेकिन इसका उलटा भी उतना ही सच है. जैसे-जैसे ये डर कम हो जाता है या केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा देते हैं तो गोल्ड की कीमतें कम हो जाती हैं. पिछले साल जब रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई शुरू हुई तब भी ऐसा हुआ था. शुरुआत में गोल्ड की कीमतों में उछाल आया. लेकिन जैसे ही लड़ाई की खबरें पुरानी होने लगीं कीमतों में तेजी थम गई.
कहने का मतलब ये है कि थोड़े समय के लिए इससे कुछ फ़ायदा हो सकता है. लेकिन लंबे समय में इसका वही हाल होगा जिसे बिज़नेस एज युजुअल कहते हैं. यानी सब कुछ पहले जैसा.
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बैड लोन: मज़बूत अंडराइटिंग प्रॉसेस के बिना लोन बुक की ग्रोथ दोधारी तलवार साबित हो सकती है. ये सच है कि गोल्ड की बेहतर कीमतों का मतलब गोल्ड कंपनियों के लिए ज़्यादा कोलेटरल है. मजबूत अंडरराइटिंग प्रॉसेस के बिना लोन देने की हिस्ट्री वाली कंपनियों का कीमतों में आई इस उछाल से कुछ खास भला नहीं होने वाला है.
बढ़ती प्रतिस्पर्धा: कोराना महामारी आने के बाद से गोल्ड लोन स्पेस में प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी हो गई है. NBFC, बैंक और गोल्ड के बदले लोन देने वाली अन्य कंपनियां मार्केट शेयर बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं. इसका मतलब है कि लोन लेने वाले ग्राहकों को लुभाने के लिए इन संस्थानों के बीच सबसे सस्ता लोन देने की होड़ शुरू हो सकती है.
हमारी राय: हम लंबे समये से ये बात कहते रहे हैं कि गोल्ड इन्वेस्टमेंट के लिए बेहतर विकल्प नहीं है. दरअसल, ये लंबे समय में महंगाई को भी मात नहीं दे पाता है. आप ज्वैलरी खरीद सकते हैं. ज्वैलरी गिफ्ट दे सकते हैं. या थोड़ा गोल्ड खरीदकर घर में भी रख सकते हैं. गोल्ड कम से कम इतना तो करेगा कि उसकी वैल्यू बनी रहेगी. और ये आपके बुरे वक्त में काम आ सकता है. फिर भी अगर आपको गोल्ड में निवेश ही करना है तो फिजिकल गोल्ड के बजाए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड यानी (SGV) में निवेश करें. इसमें आपको न सिर्फ गोल्ड की कीमतें बढ़ने का फ़ायदा मिलेगा बल्कि आपको सालाना 2.5% ब्याज भी मिलेगा.
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