मैंने अपने पहले के फ़ंड को SWP के लिए SBI में एक नए हाइब्रिड फ़ंड में बदला है. अगर मैं अगले महीने से ही SWP शुरू करना चाहूं, तो उस पर टैक्स का क्या असर होगा? क्या SWP की पूरी रक़म पर टैक्स लगेगा? TDS क्या होता है? - सब्सक्राइबर
म्यूचुअल फ़ंड से पैसे निकालने पर टैक्स (कैपिटल गेन टैक्स) लगता है, और म्यूचुअल फ़ंड का टैक्स, उसे होल्ड करने के पीरियड, और फ़ंड के प्रकार पर निर्भर करता है, फिर चाहे इक्विटी फ़ंड हो या नॉन-इक्विटी फ़ंड.
सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान (SWP) के साथ, आप चरणबद्ध तरीक़े से अपने म्यूचुअल फ़ंड निवेश को धीरे-धीरे रिडीम (धन निकाल सकते हैं) कर सकते हैं . ये सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) से उलटा होता है, जिसमें आप नियमित रूप से म्यूचुअल फ़ंड प्लान के मुताबिक़ एक तय रक़म निवेश करते हैं. बाज़ार में गिरावट आने पर SWP आपको पूरी तरह से इक्विटी निवेश से बाहर निकलने के रिस्क को कम कर देता है. ये रिडेम्शन प्राइस का एवरेज निकलता है, ठीक उसी तरह से जैसे SIP परचेज़ अमाउन्ट का एवरेज निकालता है. ये अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग करने वालों के लिए रेगुलर इन्कम तय करने में मददगार हो सकता है. रिडेम्शन का पैसा आपके रजिस्टर्ड बैंक अकाउंट में जमा किया जाता है.
SWP के मामले में
टैक्स इम्प्लीकेशन
टैक्सेशन के रूल एक जैसे रहते हैं और इस बात पर निर्भर करते हैं कि फ़ंड एक इक्विटी फ़ंड या नॉन-इक्विटी फ़ंड है. जो फ़ंड्स डोमेस्टिक इक्विटी में कम से कम 65 फ़ीसदी का निवेश करते हैं उन्हें इक्विटी फ़ंड माना जाता है, और दूसरे फ़ंड्स को नॉन-इक्विटी फ़ंड कहा जाता है. यहां पर बताया गया है कि उन पर टैक्स कैसे लगाया जाता है:
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इक्विटी-ओरिएंटेड फ़ंड:
12 महीनों के अंदर निकाले गए निवेश के मुनाफ़े को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है. और उसमे 15 फ़ीसदी तक टैक्स लगाया जाता है. 12 महीने के बाद निकाले गए निवेश के मुनाफ़े को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और इसमे 10 फ़ीसदी तक का टैक्स लगता है. हर एक फ़ाइनेंशियल ईयर में ₹1 लाख तक के इक्विटी पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन को टैक्स की छूट मिलती है.
- नॉन इक्विटी-ओरिएंटेड फ़ंड: तीन साल से ज़्यादा समय तक रखे गए निवेश पर मुनाफ़े को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और इंडेक्सेशन पर मुनाफ़ा देने के बाद इसमे 20 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता है. अगर इसे तीन साल के अंदर बेचा जाए, तो मुनाफ़े को टैक्स लायक़ आमदनी में जोड़ दिया जाता है और निवेशक के स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है.
कैपिटल गेन के टैक्स रेट
फ़ंड के प्रकार | शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन | लोंग टर्म कैपिटल गेन |
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इक्विटी-ओरिएंटेड फ़ंड | 15 फ़ीसदी | 10 फ़ीसदी (1 लाख से ज़्यादा के मुनाफ़े पर) |
नॉन इक्विटी-ओरिएंटेड फ़ंड | निवेशक के टैक्स स्लैब के मुताबिक | 20 फ़ीसदी (इंडेक्सेशन के बाद) |
अगर निवेश एक टाइम पीरियड में किया गया है, जैसे कि SIP के मामले में, तो फ़र्स्ट-इन-फ़र्स्ट-आउट (FIFO) के तरीक़े पर विचार किया जाता है. और पहले ख़रीदी गई यूनिट को सबसे पहले रिडीम किया गया समझा जाता है. बहरहाल, डेट फ़ंड और इक्विटी फ़ंड के अलग-अलग तरह के टैक्स स्ट्रक्चर होते हैं. जब कि सोर्स पर टैक्स कटौती (TDS) निवासियों के लिए लागू नहीं है, ये NRI पर लागू होता है.
NRI के स्रोत पर टैक्स कटौती (TDS)
फ़ंड के प्रकार | शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन | लोंग टर्म कैपिटल गेन |
---|---|---|
इक्विटी-ओरिएंटेड फ़ंड | 15 फ़ीसदी | 10 फ़ीसदी में (1 लाख तक की छूट) |
नॉन इक्विटी-ओरिएंटेड फ़ंड | 30 फ़ीसदी | 20 फ़ीसदी (इंडेक्सेशन के बाद) |
याद रखें, कुछ म्यूचुअल फ़ंड्स, जैसे ELSS , में तीन साल तक का लॉक-इन पीरियड होता है. विड्रॉल करते समय इस बात का ज़रूर ध्यान रखें.
टैक्स कैलकुलेशन को आसान बनाने के लिए, आप धनक की ऑनलाइन वेब साइट पर ' मेरे निवेश ' पर जा सकते हैं और अपना निवेश अपलोड कर सकते हैं (जो ऑटोमेटिक है और फ़िज़ूल की मेहनत से बचाता है), साथ ही आप अपनी टैक्स रिपोर्ट भी यहां पा सकते हैं.