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Divi's के बुरे दिन लद गए क्या?

रात कितनी भी काली हो, सुबह ज़रूर होती है. ये बात स्‍टॉक्स के लिए भी सही है लेकिन वो क्या है, जिस पर आप भरोसा करके अपना पैसा किसी स्टॉक में लगाएंगे

Divi’s के बुरे दिन लद गए क्या?

मार्केट और Divi's Laboratories के बीच थोड़े उतार-चढ़ाव भरे रिश्ते रहे हैं. ये स्टॉक भारतीय फ़ार्मा का उभरता हुआ सितारा रहा और 11 साल में से सिर्फ़ दो साल (calendar years) ही थे, जब स्टॉक ने नेगेटिव रिटर्न दिए. यही नहीं, पिछले 10 साल में इस स्टॉक ने इंडस्ट्री मीडियन से ज़्यादा ऑपरेटिंग मार्जिन बनाए रखा है.

हाल ही में डिवीज़ के मार्केट के साथ अच्छे रिश्तों में खटास आई है. तीसरे क्वार्टर के कमज़ोर नतीजों के बाद मार्केट ने कंपनी के स्टॉक को तगड़ा झटका दिया. वित्तीय नतीजों के दिन कंपनी के स्टॉक क़रीब 10% गिर गए.

डिवीज़ के स्टॉक में तेज़ गिरावट की वज़ह बनने वाले अहम फ़ैक्टर कुछ इस तरह के रहे -

कोविड के बाद
मई 2021, तब कोविड पूरे उफ़ान पर था. अमेरिका की मर्क (Merck & Co.) नाम की कंपनी ने डिवीज़ लैबोरेटीज़ को कोविड की दवा मोलनुपिराविर (molnupiravir) के लिए API यानी एक्टिव फ़ार्मास्यूटिकल इन्ग्रिडिएंट की अधिकृत मैन्यूफ़ैक्चरिंग के लिए चुना.

और जल्द ही साबित हो गया कि डिवीज़ को ही क्यों चुना गया. कंपनी अपने क़ारोबार के स्केल की वजह से बड़ी मात्रा में API सप्लाई कर सकी, जिसने अगले कुछ क्वार्टर में कंपनी का राजस्व काफ़ी बढ़ा दिया.

सब इस उम्मीद में थे कि कोविड का प्रकोप कम होने के बाद कंपनी का राजस्व गिर जाएगा. और यही हुआ भी. कंपनी का राजस्व दूसरी तिमाही में सात प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 31.5% गिरा. मर्क ने भी मालनुपिराविर की बिक्री में 13 % की गिरावट दर्ज की.

बढ़ती लागत और क़ीमतों का दोहरा दबाव
इससे पहले कि कंपनी अपने राजस्व को रिकवर कर पाती, उसे मुनाफ़े में भी एक झटका लग गया. ज़रूरी कच्चे माल जैसे लीथियम, आयोडीन और टाल्यून की क़ीमतें बढ़ गईं और ऊर्जा क़ीमतों में भी उछाल आ गया.

आमतौर पर लागत का दबाव आने पर कंपनियां अपनी क़ीमतें बढ़ा देती हैं, इस तरह से मार्जिन पर पड़ने वाला असर सीमित हो जाता है. लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ. लागत के दबाव के बीच डिवीज़ और दूसरी फ़ार्मा कंपनियों को जेनरिक में क़ीमतों के दबाव से भी निपटना पड़ा. लागत और क़ीमतों के दोहरे दबाव से डिवीज़ के मार्जिन में तेज़ गिरावट आई.

कैसे रहेंगे आने वाले दिन
पिछली तिमाही के कमज़ोर नतीजों ने भी स्टॉक को निराश किया और मार्केट ने भी सख़्त तेवर दिखाए. हालांकि, ऐसा लगता है कि नया साल डिवीज़ के लिए नई शुरुआत का मौक़ा हो सकता है.

मैनेजमेंट ने कहा है कि जेनरिक दवाओं में क़ीमतों का दबाव कम हुआ है और आने वाली तिमाही में मार्जिन में सुधार होना चाहिए. वॉल्यूम भी दोहरे अंकों में वापस आ गया है. वहीं कच्चे माल की क़ीमतें भी कम हुई हैं.इसके अलावा, डिवीज़ के लिए ग्रोथ के कई मौक़े दिख रहे हैं.

पेटेंट का एक्सपायर होना: मैनेजमेंट ने कहा है कि पेटेंट एक्सपायर होने से 20 अरब डॉलर से ज़्यादा के नए मौक़े बन रहे हैं. कंपनी ने दवाएं लांच करने के लिए कुछ एप्लीकेशन फ़ाइल की हैं, और कुछ आगे फ़ाइल करेगी.

दो प्रॉडक्‍ट का उत्पादन: दो उत्पादों के लिए व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया है और बड़ी फ़ार्मा कंपनियों से इसके मज़बूत रिश्तों की वजह से कंपनी को वित्त-वर्ष 24 की पहली तिमाही से इसका फ़ायदा मिलना शुरू हो जाएगा.

कस्टमर सिंथेसिस: एक से अधिक थेरेपी में कई ऐसे मौके हैं, जिन पर जेनरिक की क़ीमतों का दबाव नहीं है. दो सिंथेसिस प्रोजेक्ट पर काम तेज़ी से चल रहा है और चौथी तिमाही से राजस्व आना शुरू हो जाएगा और इसका पूरा असर वित्त-वर्ष 24 की पहली तिमाही में दिखेगा.

काकीनाडा: डिवीज़ काकीनाडा में ₹1,000 करोड़ निवेश करने जा रही है. ये फ़ैसिलिटी अगले दो-तीन साल में बन कर तैयार होने से पहले स्टेज में प्रोडक्शन शुरू कर सकती है.

आपके काम की बात
ये डिवीज़ की पहली गिरावट नहीं है. USFDA के नोटिस की वजह से 2016 में पहली गिरावट के बाद, कंपनी ने ज़ोरदार वापसी की और अगले पांच साल तक सालाना 43 प्रतिशत तक रिटर्न दिया.

इसके बावजूद, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि ग्रॉस मार्जिन में गिरावट ने कंपनी पर भरोसा रखने वालों को भी डिगा दिया होगा. लेकिन इसके बावजूद अगर कोई निवेश बनाए रखना चाहता है, तो वापसी की काफ़ी उम्मीदें, और आने वाली अगली कई तिमाहियां शानदार मौक़े लेकर आने वाले हैं.

लेकिन पाठकों को ध्यान रखना चाहिए कि ये स्टॉक रेकमेंडेशन में नहीं है. हमारा अनुरोध है कि आप किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले जरूरी जांच पड़ताल करें. याद रखें, मौके ईंधन की तरह हैं. लेकिन मजबूत फ़ंडामेंटल्स के बिना कोई ग्रोथ इंजन नहीं होता.


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