इस साल के यूनियन बजट में भारत को जलवायु परिवर्तन के ख़तरों से बचाने पर फ़ोकस साफ़ दिखता है. हालांकि बजट में वित्त मंत्री के कुछ ऐलानों से उर्वरक कंपनियों में पैसा लगाने वाले निवेशक सहज नहीं हैं.
पर सवाल है कि क्या ये ऐलान वाक़ई चिंतित करने वाले हैं?
सब्सिडी में कटौती
जब शेयर धारकों ने सुना कि सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी पर ₹1.75 लाख करोड़ से ज़्यादा ख़र्च नहीं करेगी, तो वो निराश हो गए. ये आकंड़ा पिछले साल के रिवाज़्ड एस्टीमेट से 22% कम है.
हालांकि, सब्सिडी को लेकर सरकार का बजट पत्थर की लकीर नहीं होता है. सरकार सब्सिडी का बजट कच्चे माल की क़ीमतों के आधार पर तय करती है. जब कच्चे माल की क़ीमतें बढ़ जाती हैं, तो उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है और सरकार किसानों को राहत देने के लिए अपने बजट की समीक्षा करती है.
उदाहरण के लिए, जब वित्त वर्ष 2023 में कच्चे माल की क़ीमतों में उछाल आया था, तो सरकार ने अपने सब्सिडी बजट को संशोधित किया था. अब क़ीमतें क़ाबू में हैं, और सरकार ने एक बार फिर अपने बजट को संशोधित किया है.
देखा जाए तो दशकों से यही होता आ रहा है.
हाल में किए गए ऐलान का शेयर की क़ीमतों पर कुछ समय के लिए असर भले ही पड़े, लेकिन लंबे समय में ये सामान्य हो जाएगा.
कहीं नहीं जा रहे रासायनिक उर्वरक
खेत की उर्वरता को ख़राब होने से रोकने के लिए सरकार ने एक और नई स्कीम को नाम दिया है - PM PRNAM (PM Program for restoration, Awareness, Nourishment and Amelioration of Mother).
इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार राज्य सरकारों को ऑर्गैनिक और जैविक-उर्वरक और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करेगी. रासायनिक उर्वरक का अंधाधुंध इस्तेमाल ज़मीन की उपज घटा रहा है.
ज़मीन पर, इस स्कीम का असर दिखने में वक़्त लगेगा और भारत के जैव उर्वरकों पर पूरी तरह से शिफ्ट होने में भी लंबा समय लगने वाला है. निवेशकों को भूलना नहीं चाहिए कि भारत में उर्वरकों का उत्पादन, मांग की तुलना में बहुत कम होता है. अक्सर उर्वरक ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले मौसम में रासायनिक उर्वरकों की किल्लत हो जाती है. ऐसे में, अगर किसान बड़ी संख्या में जैव-उर्वरकों पर शिफ्ट होते हैं, तब भी ये कमी पूरी नहीं होगा. और यहां, इस बात की काफ़ी संभावना है रासायनिक उर्वरक भी जैव-उर्वरक के साथ-साथ इस्तेमाल होते रहें.
आपके काम की बात
हो सकता है कि कम समय के लिए, शेयर की क़ीमतों में उतार-च़ढ़ाव आए. लेकिन इसका जो असर बिज़नस ऑपरेशन पर होगा, तो भी मामूली ही होगा. अभी तो सरकार ने जैव-उर्वरकों के लिए कोई लंबे समय का प्लान सामने नहीं रखा है. ऐेसे में, ये दावा करना कि रासायनिक उर्वरकों के दिन लद गए हैं, जल्दबाज़ी होगी.
केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के कर्ज़ का लक्ष्य बढ़ा कर, ₹20 लाख करोड़ कर दिया है. इसका फ़ायदा न सिर्फ़ उर्वरक कंपनियों को मिलेगा बल्कि एग्रोकेमिकल और कृषि से जुड़ी दूसरी कंपनियों के लिए भी ये फ़ायदेमंद होगा.