धनक (वैल्यू रिसर्च) में हम हमेशा इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में हमेशा SIP के ज़रिए निवेश की सलाह देते हैं। ऐसे में क्या टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड में SIP से निवेश करना चाहिए? पहले तो समझते हैं टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड हैं क्या?
टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड क्या है?
टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड पैसिव तरीक़े से मैनेज किए जाने वाले ओपेन एंड के डेट फ़ंड होते हैं जिनकी मेच्योरिटी की तारीख़ पहले से तय होती है। ऐसे फ़ंड, डेट इंडेक्स की तरह अपने समय के आसपास मैच्योर हो रही डेट सिक्योरिटीज़ में निवेश करता है।
पिछले कुछ महीनों में, टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड ने निवेशकों को काफी लुभाया है। इसकी वजह रहा है बेहतर रिटर्न। टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड को ऐसे डिजाइन किया गया है कि अगर निवेशक मैच्योरिटी तक निवेश को अपने पास रखता है, तो उसे ब्याज दर के रिस्क से सुरक्षा मिल जाती है। संभावित रिटर्न का संकेत यील्ड-टू-मैच्योरिटी (YTM) से पता चलता है।
इस समय जब ब्याज दरें अपने सबसे ऊंचे स्तर पर हैं, तो टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड में निवेश करना और रेट ऑफ़ रिटर्न तय करना या लॉक कर देना बेहतर है। निवेशकों को ऐसी स्कीमों पर तभी ग़ौर करना चाहिए, जब वो इसके साथ अपना इन्वेस्टमेंट भी मैच कर सकें। मिसाल के तौर प, अगर निवेशक ऐसे फ़ंड में 3 साल के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो उनको 2025-26 के आसपास मेच्योर हो रहे फ़ंड पर ग़ौर करना चाहिए।
नतीजा
आमतौर पर, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान इक्विटी फ़ंड के लिए बेहतर दांव है, क्योंकि निवेशकों को रुपये की लागत के औसत हो जाने का फ़ायदा मिलता है। इसका मतलब, कि जब मार्केट में उतार-चढ़ाव आता है तो निवेशकों को अलग-अलग क़ीमतों पर यूनिट मिलती हैं।
टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड
टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड एक डेट फ़ंड है। और डेट फ़ंड इक्विटी फ़ंड जितने उतार-चढ़ाव वाले नहीं होते। टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड में निवेश का पहला लक्ष्य रेट लॉक-इन करना है। इसलिए आप टारगेट मैच्योरिटी फ़ंड में एकमुश्त तरीक़े से निवेश कर सकते हैं।