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साइक्लिकल स्‍टॉक में निवेश सही है?

आइये देखते हैं कि क्‍या साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स उतने ही खराब हैं जितनी उनकी साख खराब है

साइक्लिकल स्‍टॉक में निवेश सही है?

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साइक्लिकल स्‍टॉक्स (Cyclical Stocks) को लेकर हमेशा काफ़ी शोर रहा है। ऐसे, जैसे ये स्‍टॉक अर्थव्यवस्था में गिरावट आने पर, आपका पोर्टफ़ोलियो बरबाद कर देने की क्षमता रखते हों। निवेश की दुनिया इन्हें लेकर एक क़िस्म के अंधविश्वास के क़रीब रही है।

गहराई से छानबीन करें, तो पता चलेगा कि साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स पर कही जाने वाली काफ़ी बातें ग़लत जानकारियों का नतीजा हैं।
ये स्‍टोरी इन अहम सवाल का जवाब देगी कि साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स क्‍या हैं? क्‍या इनमें निवेश करना चाहिए? करना चाहिए तो कब करना चाहिए?

साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स क्या हैं?
ये ऐसी कंपनियों के स्टॉक हैं जिनका प्रदर्शन अर्थव्यवस्था प्रदर्शन से जुड़ा होता है। आसान शब्‍दों में, ये कंपनियां अर्थव्यवस्था के अच्‍छे प्रदर्शन पर अच्‍छी कमाई करती हैं और जब अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब होती है तो अक्‍सर ये लाइफ़ सपोर्ट पर चली जाती हैं।
नतीजा ये होता है कि ये कंपनियां तेज़ उतार-चढ़ाव वाली होती हैं और साइकल्‍स (cycles) से गुज़रती हैं। यानि, इनकी कमाई में बढ़त और गिरावट का दौर आता-जाता रहता है।
मिसाल के तौर पर, स्‍टील इंडस्‍ट्री को आमतौर पर बड़े तौर पर साइक्लिकल इंडस्‍ट्री माना जाता है। नीचे दिया गया ग्राफ़ पिछले 20 साल में चार प्रमुख स्‍टील कंपनियों की क्‍यूमिलेटिव अर्निंग दिखाता है। ये कंपनियां हैं - टाटा स्‍टील, जिंदल स्‍टील एंड पावर, जेएसडब्‍ल्‍यू स्‍टील, और सेल।

साइक्लिकल स्‍टॉक में निवेश सही है?

जैसा आप देख सकते हैं, इन कंपनियों की कमाई में साइक्लिकल ट्रेंड साफ़ तौर पर दिखाई देता है।

साइक्लिकल स्‍टाक्‍स कितनी तरह के हैं?
मुख्य रूप से साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन तय करने वाले फ़ैक्‍टर्स को लेकर संवदेनशील होते हैं। लेकिन साइक्लिकल बनाने वाले इन फैक्‍टर्स को दो भागों में बांटा जा सकता है -

साइक्लिकल स्‍टॉक में निवेश सही है?


साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स में निवेश करें या नहीं?
साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स के बारे में अगर ये दावा किया जाता है कि ये तेज़ उतार-चढ़ाव और जोख़िम वाले हैं, तो ये दावे निराधार नहीं है। हालांकि इसका ये मतलब नहीं कि ये आपको अच्‍छा रिटर्न नहीं दे सकते हैं।

साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स निवेशकों को अच्छा मुनाफ़ा दे सकते हैं। लेकिन शर्त ये है कि निवेशक मार्केट में सही समय पर आए और बाहर निकल जाए। यानी, सही समय पर इन स्टॉक्स में निवेश शुरु किया जाए और सही वक़्त पर उसे बेच दिया जाए।

स्‍टील कंपनियों, जैसे टाटा स्‍टील, जेएसडब्‍ल्‍यू स्‍टील और सेल का उदाहरण लें, तो इन कंपनियों ने 2008 के वित्‍तीय-संकट की वजह से 2008-2013 के बीच न के बराबर रिटर्न दिया। इस दौरान स्‍टील कंपनियों का सालाना औसत रिटर्न -8.7% रहा। हालांकि पिछले तीन साल में, इन्‍हीं स्‍टॉक्‍स ने ऊंचाई का दौर देखा, और 36.7% का औसत रिटर्न दर्ज किया।

इस तरह से, अगर आपने इन कंपनियों में गिरावट के दौर में निवेश किया था, और आज तक ये स्‍टॉक्‍स आपके पास हैं, तो आपका पोर्टफ़ोलियो बहुत मज़बूत नज़र आएगा।

हालांकि ये कहना आसान है और करना मुश्किल। ये स्‍टॉक्‍स जिन साइकल से गुज़रते हैं, वो बहुत से फ़ैक्‍टर तय करते हैं। इसकी वजह से तेज़ी और मंदी के दौर का अंदाज़ा लगाना बेहद मुश्किल है, और अक्‍सर ये एक जुआ बन जाता है।
आप सही समय पर ये स्‍टॉक ख़रीदते हैं, तो आपको इन्‍हें कमज़ोर प्रदर्शन के लंबे दौर में अपने पास रखे रहना होगा। अगर इन कंपनियों के बुनियाद मज़बूत नहीं है, तो मुश्किल दौर ख़त्म होने से पहले ही ये ढ़ह सकती हैं।


ऐसे में, अगर आप साइक्लिकल सेक्‍टर में निवेश की प्‍लानिंग कर रहे हैं तो इस सेक्‍टर के मार्केट लीडर्स कहीं ज्‍यादा सुरक्षित होंगे।

इसके अलावा, ग्‍लोबल साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स के विपरीत लोकल साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स डेट पर कम निर्भर हैं, ऐसे में ये आम तौर पर काफी कम जोखिम वाले होते हैं। मारूति सुजुकी का मामला लें तो कंपनी ने 2009 और 2014 के बीच इकोनॉमिक स्‍टैगनेशन के दौर में भी 4.1% सालाना रिटर्न दिया था।

आखिर में क्‍या साइक्लिकल स्‍टॉक्‍स में निवेश करें ये आपकी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश के समय पर निर्भर करता है। और ज्‍यादातर इक्विटी इन्‍वेस्टिंग के साथ भी ऐसा ही है।


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