मुझे नहीं पता कि मेरे पाठकों में से कितने क्रिकेट के प्रशंसक हैं, लेकिन अगर आपने कभी क्रिकेट देखा है, तो आपने 'परसंटेज शॉट' (percentage shot) सुना होगा. परंपरागत रूप से, जिस तरह से क्रिकेट खेला जाता था, उसमें ज़्यादातर बल्लेबाज़ सिर्फ़ वही शॉट खेलते थे, जिनमें उन्हें पता होता था कि वे सुरक्षित रहेंगे. अगर कुछ अप्रत्याशित हुआ, तो वे आउट हो सकते थे, लेकिन आउट होना किसी के प्लान का हिस्सा नहीं होता था. आजकल, ख़ास तौर पर सीमित ओवरों के क्रिकेट में, ये परसंटेज शॉट का दौर है. बल्लेबाज़ जानता है कि आउट होने का एक निश्चित प्रतिशत का जोख़िम है और ये जोख़िम स्वीकार्य है. कुछ न करना और गेंद बर्बाद करना अपने आप में एक जोख़िम है.
इक्विटी निवेश में, सब कुछ परसंटेज शॉट है. हम ख़ुद को धोखा देना पसंद करते हैं, ख़ास तौर पर पीछे मुड़कर देखने पर कि वो वाला निवेश बिल्कुल पक्का था, लेकिन असल में, हर एक निवेश के साथ हमेशा एक संभावना होती है कि कुछ ग़लत हो सकता है. इस मायने में, इक्विटी निवेश अनिवार्य रूप से परसंटेज शॉट है. नाक़ाम होने की संभावना तो हमेशा होती है. इतना ही नहीं, जब आप कई स्टॉक में निवेश करते हैं और बरसों तक ख़रीदते और बेचते हैं, तो नाक़ाम न होने की संभावना शून्य होती है और असल में अक्सर नाक़ाम होने की संभावना होती है. सावधानी से चुनाव करने वाले निवेशक सफल होने से ज़्यादा फ़ेल होते हैं.
तो फिर क्या किया जाए?
तो, हर कोई असफल होता है; हर कोई ग़लतियां करता है. मैं भी करता हूं, आप भी करते हैं, वॉरेन बफ़े भी करते हैं. बड़ा सवाल ये है कि फिर क्या होता है? उसके बाद क्या होता है? यही उन निवेशकों के बीच का अंतर है जो सफल होते हैं और जो संघर्ष करते हैं. कुछ ऐसे निवेश हैं जो हमारी किसी ग़लती की वजह से ख़राब प्रदर्शन करते हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जो सिर्फ़ घटनाओं का एक ऐसा मोड़ होते हैं - जिसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता था. चीनी वायरस की वजह से, हम सभी को हाल ही में इस बात का अच्छा ख़ासा अनुभव हुआ है कि बाहरी घटनाएं कैसे गुगली फेंक सकती हैं, जो सबसे सुरक्षित सीमा को कम प्रतिशत वाले शॉट में बदल देती हैं. हममें से कई लोगों ने अच्छी कंपनियों को चुना लेकिन लॉकडाउन ने उन व्यवसायों को बहुत नुक़सान पहुंचाया. फिर, जैसे ही हमने इन घटनाओं के लिए अपनी उम्मीदों को एडजस्ट किया, एक मज़बूत रिकवरी आई. लेकिन ये रिकवरी हर किसी के लिए एक जैसी नहीं थी और इसने कई आश्चर्यों को जन्म दिया और फिर से कुछ कैलकुलेशन उलट दिए. अंत में, लॉकडाउन कुछ अप्रत्याशित था, कुछ ऐसा जिसे विशुद्ध दुर्भाग्य, एक असल की ब्लैक-स्वान घटना कहा जा सकता है.
हममें से कई लोगों को निवेश में कई तरह की असफलताएं मिली हैं, जहां स्टॉक के हमारे अपने आकलन में कुछ गड़बड़ था. इस समय, ये साफ़ है कि आने वाले कुछ सालों में पैसा महंगा होने वाला है. लगता है कि आने वाले वक़्त में ये होगा ही. अब, ये अंदाज़ा लगाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि जब रेट बढ़ते हैं तो व्यवसायों का क्या होता है और कैसी कंपनियां ख़राब प्रदर्शन करती हैं और कौन सी बेहतर या कम बुरा प्रदर्शन करती हैं. हममें से जो निवेशक रहे हैं, वे ऐसी स्थितियों से गुज़रे हैं और फिर भी, हमने ऐसी ग़लतियां की हैं जो इससे पैदा होती हैं. सवाल है कि क्या हम फिर से ऐसी ग़लतियां करेंगे या हमने कुछ सीखा है?
जैसा कि मैंने कहा, हर कोई ग़लतियां करता है, सवाल ये है कि हम उनसे क्या सीखते हैं. ये भी सच है कि ऐसा कहना आसान है लेकिन लागू करना मुश्किल. एक आम निवेशक के तौर पर अपनी ख़ुद की रिसर्च करते हुए, ठीक-ठाक ग़लतियां करना, काफ़ी सारे सबक़ सीखना, उनसे एक्सपेरिमेंट करना और साथ ही हमेशा ग़लतियों का विश्लेषण करने और उन्हें कभी न भूलना एक लंबी प्रक्रिया है. क्या आप ऐसा कर सकते हैं? मैं नहीं कर सकता, कम से कम व्यक्तिगत स्तर पर तो नहीं. काम के बोझ की समस्या तो है ही, साथ ही ये स्वीकार करने में मनोवैज्ञानिक कठिनाई भी है कि मैं ग़लत था.
प्रतिशत को बेहतर बनाना
तो, अब तक हमने चार बातें स्थापित कर ली हैं. एक, इक्विटी निवेश एक प्रतिशत का खेल है. दूसरा, ज़्यादा बनाने की चाभी अपने प्रतिशत में सुधार करना है. तीसरा, प्रतिशत में सुधार करने के लिए विफलताओं का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है. और चौथा, एक निवेशक के लिए असल में ऐसा करना मुश्किल है. तो, इससे हम क्या समझे हैं?
यही वो जगह है जहां वैल्यू रिसर्च स्टॉक एडवाइज़र आता है. जब आप मेंबर होते हैं, तो आप अब एक ऐसे व्यक्ति नहीं होते जो फ़ैसले लेने, विफलता का पता लगाने और फिर उससे सीखने का असंभव सा बड़ा और जटिल काम करने की कोशिश कर रहा हो. आपके पास हमारी पूरी टीम है जो आपके लिए ये सब कर रही है.
मैं ये दावा नहीं कर रहा हूं कि हम ग़लतियां नहीं करते. बिलकुल नहीं. इस समय, हमारे पास 49 रेकमेंड किए गए स्टॉक हैं, लेकिन आठ ऐसे स्टॉक भी हैं जिन्हें हमने अपने मेंबरों से छोड़ देने के लिए कहा था. चीज़ें उतनी अच्छी तरह से काम नहीं कर पाईं हैं जितनी हमने उम्मीद की थी. कोई बात नहीं. उन्हें छोड़ दें, अपने सबक़ सीखें और उन पर जाएं जो काम कर गए हैं. इस तरह से ज़्यादा से ज़्यादा परसंटेज शॉट बाउंड्री पार पहुंचते हैं.
ये एक टीम गेम है. आइए और हमारी टीम को अपनी तरफ़ से खेलने दीजिए.
और वैल्यू रिसर्च स्टॉक एडवाइज़र के मेंबर के तौर पर आपको क्या मिलेगा?
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उन्हें हम 'फ़ीचर' कहते हैं. इसके अलावा, हमारे पास एक बेशक़ीमती 'नॉन-फ़ीचर' है - ये देखना कि क्या ग़लत हुआ है और ये पक्का करना कि फिर ऐसा न हो.
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