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एकमुश्‍त निवेश के लिए लो रिस्‍क फ़ंड कैसे चुनें?

आइये देखते हैं कि आपको क्‍या जानने की ज़रूरत है जब आप फ़ंड में निवेश तो करना चाहते हैं लेकिन रिस्‍क लेने के लिए तैयार नहीं हैं

एकमुश्‍त निवेश के लिए लो रिस्‍क फ़ंड कैसे चुनें?

मान लेते हैं कि आप म्‍यूचुअल फ़ंड में एक तय रक़म निवेश करना चाहते हैं लेकिन अधिक रिस्‍क लेने के लिए तैयार नहीं हैं। अगर आप लो रिस्‍क फ़ंड तलाश रहे हैं तो किसी खास म्‍यूचुअल फ़ंड स्‍कीम की ओर देखने के बजाए, सही कैटेगरी या म्‍यूचुअल फ़ंड के टाइप पर गौर करना ज्यादा अहम है।

म्‍यूचुअल फ़ंड की कई कैटेगरीज हैं,जो निवेशकों की अलग-अलग ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हैं। अगर आप कम अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं यानी अगर आपको रक़म की ज़रूरत पांच साल से पहले है, तो आपको फिक्‍स्ड-इनकम फ़ंड से आगे देखने की ज़रूरत नहीं है।

डेट फ़ंड स्‍पेस में कई कैटेगरीज हैं। अगर आपके पास निवेश के लिए कम से डेढ़ साल का समय है तो आप उच्‍च गुणवत्‍ता के शार्ट ड्यूरेशन फ़ंड चुन सकते हैं। ये फ़ंड बांड में निवेश करते हैं और कम अवधि के गोल के लिए सटीक इन्‍वेस्‍टमेंट एवन्‍यू हैं। लेकिन आपको याद रखना चाहिए कि डेट फ़ंड इक्विटी फ़ंड की तुलना में लो रिस्‍क वाले हैं लेकिन इनमें कुछ रिस्‍क तो रहता ही है।

अगर इस बात की संभावना नहीं है कि आपको अगले पांच से सात साल तक रक़म की ज़रूरत होगी, तो आपको इक्विटी ओरिएंटेड फ़ंड में निवेश पर विचार करना चाहिए। आप निवेश की दुनिया में नए हैं, इक्विटी में पहले निवेश नहीं किया है या रिस्‍क कम करना चाहते हैं तो अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड चुन सकते हैं। ये हाइब्रिड फंड हैं जो पोर्टफ़ोलियो का 65-85 फीसदी इक्विटी में निवेश करते हैं और बाकी फिक्‍स इनकम में। फिक्‍स्ड इनकम एलोकेशन मार्केट में तेज गिरावट होने पर निवेश को सहारा देता है। और फ़ंड रक़म का बड़ा हिस्‍सा इक्विटी में निवेश कर रहा है, ऐसे में यह आपके लंबी अवधि के गोल के लिए इंफ्लेशन एडजस्‍टेड रिटर्न हासिल करता है। इस फ़ंड का फ़ायदा यह है कि ये प्‍योर इक्विटी फ़ंड की तुलना में अधिक स्थिर और कम रिस्‍क वाले होते हैं। जब मार्केट ऊपर जाता है तब इनको अच्‍छा गेन होता है लेकिन मार्केट में तेज गिरावट आने पर ये प्‍योर इक्विटी फ़ंड की तुलना में कम तेजी से गिरते हैं।

एकमुश्‍त निवेश के लिए लो रिस्‍क फ़ंड कैसे चुनें?

एकमुश्‍त निवेश के लिए लो रिस्‍क फ़ंड कैसे चुनें?

हम चार्ट से देख सकते हैं, जब भी मार्केट अचानक गिरता है, अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड प्‍योर-इक्विटी फ्लेक्‍सी कैप फ़ंड की तुलना में कम गिरते हैं।

अगर आपको लगता है कि इक्विटी में 70 फीसदी बहुत ज़्यादा है और आप इक्विटी में निवेश कम रखना चाहते हैं तो आप इक्विटी सेविंग्‍स फ़ंड पर विचार कर सकते हैं। ये हाइब्रिड फ़ंड हैं तो एक तिहाई रकम हर एक में इक्विटी, आर्बिट्राज और फिक्‍स्ड इनकम में निवेश करते हैं। आर्बिट्राज टैक्‍स के लिए इक्विटी माना जाता है लेकिन रिटर्न और रिस्‍क के लिहाज से यह काफ़ी हद तक फिक्‍स्ड इनकम की तरह है। ये फ़ंड अग्रेसिव हाइब्रिड फंड से भी कम रिस्‍क वाले हैं। लेकिन आपको यह बात याद रखनी चाहिए कि इक्विटी एलोकेशन कम होने की वजह से संभव है कि ये लंबी अवधि में अग्रेसिव हाइब्रिड फंड की तुलना में कम रिटर्न हासिल करें।

इसके अलावा, आप जब भी इक्विटी ओरिएंटेड फ़ंड में निवेश कर रहे हों, तो आपको सारी रक़म एक बार में निवेश नहीं करनी चाहिए। इसके बजाए इस रक़म को फैला कर निवेश करें। एक सामान्‍य नियम तो यह है कि आपको इस रक़म को कमाने में जितना समय लगा है, उसके आधे समय में इसे फैला कर निवेश करें। अगर यह रकम आपको सालाना बोनस के तौर पर मिली है तो इसे छह माह में फैला कर निवेश करें।

सही कैटेगरी फाइनल करने के बाद, इसमें सही फ़ंड पर गौर करें। डेट फंड के मामले में, मकसद ऊंचा रिटर्न नहीं लेकिन उच्‍च गुणवत्‍ता वाला पोर्टफ़ोलियो बनाना है। इसी तरह, इक्विटी फ़ंड चुनते हुए मार्केट में अलग-अलग फेज में फंड के प्रदर्शन की तुलना उसके समकक्ष फ़ड के प्रदर्शन से करें। कम अवधि के रिटर्न के आकर्षण में न फंसे।


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