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स्‍टॉक बेचना है तो चेक करें ये 6 प्‍वाइंट

स्‍टॉक कब बेचना है इसका फ़ैसला करते समय निवेशकों को कुछ बातों पर गौर करना चाहिए

स्‍टॉक बेचना है तो चेक करें ये 6 प्‍वाइंट

स्‍टॉक बेचने का सही समय कौन सा है? निवेशकों के लिए इस पर सही फैसला करना हमेशा मुश्किल रहा है। आम तौर पर निवेशक या तो अच्‍छे स्‍टॉक समय से पहले बेच देते हैं या खराब स्‍टॉक्‍स के साथ बने रहते हैं। लेकिन सच तो यह है कि स्‍टॉक बेचने में प्राइस और कास्‍ट को बहुत तवज्‍जो नहीं देनी चाहिए। यहां पर मायने ये रखता है कि कंपनी कितनी मजबूत है और क्‍या वैल्‍यूएशन सही है? निवेशकों के लिए ज़रूरी है कि वे अपनी भावनाओं को काबू में रखें और धैर्य दिखाएं क्‍योंकि सिर्फ यही लंबे समय में उनको रिवार्ड देगा। स्‍टॉक कब बेचना है, इसके लिए कोई एक तय नियम नहीं है, हां जब आप स्‍टॉक बेचने के बारे में सोच रहे हों तो कुछ बातों पर विचार ज़रूर करें:

· फंडामेंटल: जब कंपनी की अर्निंग्स, रिटर्न ऑन इक्विटी या मार्जिन सामान्‍य हालात में भी लगातार नीचे जा रहा तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि कंपनी मुश्किल दौर की ओर जा रही है।

· वैल्‍यूएशन: अगर कोई स्‍टॉक अपनी हिस्‍टोरिक वैल्‍यूएशन की तुलना में बहुत ऊंची वैल्‍यूएशन पर ट्रेडिंग कर रहा है तो यह चिंता की बात हो सकती है। हो सकता है कि स्‍टॉक सिर्फ ऊंची वैल्‍यूएशन की वज़ह से न गिरे लेकिन अर्निंग या मोमेंटम में कोई भी गिरावट बड़े करेक्‍शन में तब्‍दील हो सकती है। ग्रोथ स्‍टॉक्‍स के मामले में इस पर सावधानी से नज़र रखनी चाहिए।

· चलन से बाहर होता प्रोडक्‍ट: अगर कंपनी का प्रोडक्‍ट या सेवा चलन से बाहर जा रही है या इसका इस्‍तेमाल लगातार कम हो रहा है और कंपनी अपग्रेड नहीं कर रही है। या प्रोडक्‍ट या सेवाओं को प्राथमिकता में नहीं रख रही है तो यह शायद आपके लिए कहीं और देखने का समय है। यह आम तौर पर टेक्‍नोलॉजी, रेग्‍युलेटरी इन्‍वायर्नमेंट या उपभोक्‍ता की प्राथमिकता में बदलाव की वजह से होता है।

· ऊंचा डेट: बैलेंस शीट पर डेट होना खराब बात नहीं है। लेकिन अगर डेट उस सीमा को पार कर जाए जितना कंपनी हैंडल कर सकती है तो यह संभावित खतरा है।

· मैनेजमेंट: मैनेजमेंट की क्‍वालिटी सबसे अहम है क्‍योंकि यही लोग तय करते हैं कि कंपनी को कहां जाना है और कंपनी इसे कैसे हासिल करेगी। अगर मैनेजमेंट की ईमानदारी पर थोड़ा भी शक है या बिना किसी ठोस वजह के बड़े लेवल पर प्‍लेजिंग है तो यह कंपनी से निकलने की मजबूत वजह है।

· ऑडिटर की रिपोर्ट: अगर कोई ऑडिटर रिपोर्ट करता है कि डिस्‍क्‍लोजर संतोषजनक नहीं है या सूचित करता है कि पेश की गई सूचनाएं अधूरी हैं तो निवेशक को इसे सतर्क हो जाने के संकेत के तौर पर लेना चाहिए।

ऊपर बताए गए छह फैक्‍टर्स पर आप कांबीनेशन में भी विचार कर सकते हैं। ज्यादातर एक फैक्‍टर दूसरे फैक्‍टर को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, मुनाफ़े में लगातार गिरावट कंपनी के चलन से बाहर जा रहे प्रोडक्‍ट का नतीजा हो सकता है या ऑडिटर की डिस्‍कलोजर संतोषजनक न होने की रिपोर्टिंग मैनेजमेंट क्‍वालिटी खराब होने की वजह से हो सकती है। इन सभी फैक्‍टर्स के लिए सोर्स एनुअल रिपोर्ट है। चेयरमैन के मैसेज से लेकर मैनेजमेंट डिस्‍कशन और ऑडिटर रिपोर्ट सहित सबकुछ इस रिपोर्ट में होता है।


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