कैसे बनी कंपनी
LIC का गठन 19 जनवरी, 1956 को हुआ था। उस समय सरकार ने भारत में काम कर रही सभी 245 लाइफ इन्श्योरेंस कंपनियों का अधिग्रहण करने का फैसला किया था। इनमें विदेशी कंपनियां भी शामिल थीं। LIC बनाने का मकसद भारत में लाइफ इन्श्योरेंस का राष्ट्रीयकरण करना, बड़े पैमाने पर इन्श्योरेंस का प्रसार करना और लोगों की बचत का प्रभावी इस्तेमाल करना था। कंपनी के अब तक के सफर में कुछ अहम पड़ाव का जिक्र हम यहां कर रहे हैं।
क्या है एंबेडेड वैल्यू
एंबेडेड वैल्यू सभी लाइफ इन्श्योरेंस क्लेम का भुगतान करने के बाद लाइफ इन्श्योरेंस कंपनी के असेट्स वितरण योग्य मुनाफ़े में शेयरहोल्डर्स के हितों के वर्तमान मूल्य का अनुमान है। दूसरे शब्दों में, यह बेची जा चुकी पॉलिसी से शेयर होल्डर्स को मिले मुनाफ़े को लेता है। लाइफ इन्श्योरेंस कंपनी की वैल्यूएशन आम तौर पर एंबेडेड वैल्यू के गुणक के तौर पर कोट की जाती है। मौजूदा समय में, LIC के लिस्टेड पियर्स दो से चार गुना की मार्केट-कैप-टू-एंबेडेड-वैल्यू रेंज में ट्रेडिंग कर रहे हैं। ₹949 प्रति शेयर अपर बैंड प्राइस के आधार पर LIC का मार्केट कैप, ₹6 लाख करोड़ से अधिक है, जो इसकी एंबेडेड वैल्यू का 1.1 गुना है। इसके आधार पर LIC भारत में 5 वीं सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी बन सकती है। मौजूदा समय में चार सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक और इन्फोसिस हैं।