इनकम टैक्स एक जरिया है,जिसका इस्तेमाल सरकार अपने सामाजिक और आर्थिक मकसद को पूरा करने के लिए करती है। सरल शब्दों में कहें तो यह एक टैक्स है। कमाने वाले व्यक्ति इसका भुगतान सरकार को कुछ लाभ के बदले में करते हैं। जैसे कानून एवं व्यवस्था, हेल्थकेयर और एजुकेशन आदि सुविधाएं। सही प्लानिंग के जरिए आपकी टैक्स देनदारी को कम किया जा सकता है और इससे आपके हाथ में आपकी इनकम का बड़ा हिस्सा आ सकता है। इनकम टैक्स कैलकुलेट करते समय 1 अप्रैल से 31 मार्च के बीच 12 माह के दौरान होने वाली इनकम को शामिल किया जाता है। इनकम टैक्स एक्ट के तहत इस अवधि को 'प्रीवियस ईयर कहते हैं।
इससे जुड़ा एक टर्म है असेसमेंट ईयर। यह प्रीवियस ईयर के तुरंत बाद 1 अप्रैल से 31 मार्च का 12 माह की अवधि है। एक व्यक्ति प्रीवियस ईयर में अर्जित की गई इनकम के लिए असेसमेंट ईयर में रिटर्न फाइल करता है। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए असेसमेंट ईयर 2021-22 है। अगर किसी वित्त वर्ष में इनकी इनकम एक न्यूनतम सीमा से अधिक होती है तो आपको टैक्स चुकाना होता है। हालांकि कुछ दूसरे क्राइटेरिया भी हैं, जो आपकी इनकम टैक्स की देनदारी को प्रभावित करते हैं। जैसे आपका रेजीडेंसियल स्टेटस। यानी आप अपने घर में रहते हैं या रेंट पर।
ग्रॉस टोलल इनकम
ग्रॉस टोटल इनकम एक व्यक्ति की सभी सोर्स से होने वाली इनकम या एक वित्त वर्ष में हुई कुल इनकम का जोड़ है। यह नीचे दी गई पांच हेड में आ सकती है।
सैलरी से इनकम
इनकम को इस हेड में तभी रखा जा सकता है जब भुगतान करने वाले और भुगतान हासिल करने वाले के बीच इम्पलॉयर- इम्पलॉई का रिश्ता हो। सैलरी में बेसिक सैलरी या वेज, एन्युटी कंपानेंट, ग्रेच्युटी, सैलरी एडवांस, लीव एनकैशमेंट, कमीशन सैलरी और रिटायरमेंट बेनेफिट के अलावा अतिरिक्त सुविधाएं शामिल हैं। टैक्स छूट के बाद ऊपर दी गई इनकम का कुल जोड़ ही ग्रॉस सैलरी है।
इम्पलॉयर इम्पलॉई को ऑफिस के काम से जुड़े खर्च के लिए एक तय रकम का भुगतान करता है इसे अलाउंस कहते हैं। आम तौर पर अलाउंस को सैलरी में
शामिल किया जाता है और छूट उपलब्ध न होने की सूरत में इस पर टैक्स लगता है। कुछ अलाउंस पूरी तरह से टैक्स के दायरे में आते हैं। जैसे डियरनेस अलाउंस, सिटी कंपेनसेटरी अलाउंस, सर्वेट अलाउंस ओवरटाइम अलाउंस आदि। यहां टैक्स छूट और कटौती उपलब्ध है।
फीचर
पात्रता
कोई भी इंडीविजुअल या इंडीविजुअल का ग्रुप या आर्टिफिशियल बॉडीज जिन्होंने एक फाइनेंशियल ईयर में इनकम अर्जित की है उनके लिए इनकम टैक्स का भुगतान करना जरूरी है।
आईटी एक्ट इनकम अर्जित करने वालों की पहचान अलग-अलग कैटैगरीज में करता है।
इंडीविजुअल
हिंदू अविभाजित परिवार यानी HUF
ट्रस्ट
फर्म और कंपनियां
एसोसिएशन ऑफ परसन, बॉडी ऑफ इंडीविजुअल, स्थानीय प्राधिकरण
को ऑपरेटिव सोसायटी, आर्टिफिशियल ज्यूरीडिशियल, सरकारी संगठन
एंट्री एज
कोई उम्र तय नहीं
किसी नाबालिग को होने वाली आय उसके माता पिता की कुल इनकम में शामिल कर दी जाती है जिसकी कुल इनकम अधिक है
नाबालिग बच्चे की इनकम अगर उसके द्वारा किए गए मैनुअल वर्क का नतीजा है या ऐसी गतिविध से हुई है जिसमे उसके कौशल, प्रतिभा या विशेष ज्ञान या अनुभव का इस्तेमाल हुआ है तो यह इनकम उसके माता पिता की इनकम में नहीं जोड़ी जाती है। उदाहरण के लिए बाल कलाकार या गायक को अभिनय या गायन से होने वाली आय को ऊपर बताए गए प्रावधान के तहत कवर नहीं किया जाता है।
दूसरे पहलू
रिटर्न फाइल करने के लिए परमानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन की जरूरत होती है।
आप पुराने या नए टैक्स रेजीम में से कोई एक चुन सकते हैं
स्टैंडर्ड डिडक्शन: सैलरी इनकम के हेड में आने वाले असेसी के लिए 50,000 रुपए तक का डिडक्शन उपलब्ध है।
हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए): इम्पलॉयर आपके आवास पर खर्च के लिए यह अलाउंस देता है। इम्पलॉयर आपका एचआरए सैलरी पैकेज में देना चुन सकता है, चाहें आप किराए के घर में रह रहें हों या अपने घर में। इसका प्रभावी इस्तेमाल करने के लिए यह समझना जरूरी है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसे कैसे ट्रीट करता है। एचआरए तय करने के लिए सैलरी को बेसिक सैलरी, डियरनेस अलाउंस और इम्पलाई द्वारा हासिल किए टर्नओवर के कमीशन के एक फीसदी के कुल जोड़ के तौर पर परिभाषित किया जाता है।
लीव ट्रैवेल अलाउंस (LTA): जब आप और आपकी फैमिली लीव पर ट्रैवेल के जाती है तो इस पर आने वाले खर्च को LTA में डाला जाता है। LTA का भुगतान आपको किया जाता है और चार साल में दो बार यह टैक्स फ्री है। एलटीए के तहत ट्रैवेल आप भारत, नेपाल, भूटान, श्रीलंका और मालदीव में ही कर सकते हैं।
अतिरिक्त सुविधाएं: अतरिक्त सुविधाएं ऐसे बेनेफिट्स हैं] जो आपको सैलरी के अतिरिक्त मिलते हैं। जैसे रेंट फ्री आवास, कार लोन। अतरिक्त सुविधाएं टैक्स के दायरे में भी हो सकती हैं और टैक्स फ्री भी।
2-हाउस पॉपर्टी से इनकम
आपके पास कोई आवासीय या कमर्शियल प्रॉपर्टी है तो यह टैक्स के दायरे में आती है। आपके पास दो घर हैं तो आपको इस आधार पर टैक्स से मिलती है कि आप दो घर का इस्तेमाल अपने लिए कर रहे होंगे और इसके अलावा अगर आपकी कोई प्रॉपर्टी है और आपने इसे किराए पर नहीं दिया है तब भी यह माना जाएगा कि आपको इससे रेंटल इनकम हो रही है और आपको इस पर इनकम टैक्स देना होगा। हालांकि, ऐसे मामले में, आप यह चुन सकते हैं कि किस प्रापर्टी को यह माना जाए कि आप इसमें रह रहे हैं। ऐसे में आप उस प्रॉपर्टी को चुनें जिससे आपको सबसे ज्यादा टैक्स बेनेफिट हो।
इनकम टैक्स डिपाटमेंट आप पर इनकम हासिल करने की रियल एस्टेट की क्षमता पर टैक्स लगता है न कि वास्तविक रेंट पर। इसे प्रॉपर्टी की ग्रॉस एनुअल वैल्यू कहा जाता है और यह फेयर रेंटल वैल्यू, हासिल किए गए रेंट या म्युनिसिपल वैल्यू का अधिकतम है। ग्रॉस एनुअल वैल्यू से 30 फीसदी एनुअल वैल्यू की कटौती करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा आप भुगतान किए गए प्रॉपर्टी टैक्स और प्रॉपर्टी के अगेंस्ट लिए गए लोन के लिए किए गए ब्याज भुगतान की रकम डिडक्ट कर सकते हैं।
3- बिजनेस या प्रोफेशन के प्रॉफिट और गेन से इनकम
अपने प्रोफेशन और बिजनेस से होने वाली इनकम पर टैक्स लगता है। बिजनेस चलाने पर मिलने वाली रकम और होने वाले खर्च के बीच जो अंतर होता है वह आपकी ऐसी इनकम है जिस पर टैक्स लगता है। यहां बिजनेस के लिए इस्तेमाल किए जा रहे असेट के डेप्रिसिएशन, ऑफिस प्लेस के लिए रेंट, मशीनरी और फर्नीचर के लिए इन्श्योरेंस और रिपेयर्स, एडवरटीजमेंट, ट्रैवलिंग, आदि पर डिडक्शन की अनुमति है।
4- कैपिटल गेन्स से इनकम
निवेश के तौर पर रखी हुई कैपिटल असेट को ट्रांसफर करने होने वाला मुनाफा या गेन्स टैक्स के दायरे में आता है। गेन शार्ट टर्म या लांग टर्म हो सकता है। आम तौर लांग टर्म कैपिटल गेन्स के लिए इंडेक्सेशन बेनेफिट को लागू किया जाता है। इंडेक्सेशन बेनेफिट के तहत आपका गेन तय करने के लिए महंगाई को ध्यान में रखा जाता है।
5- अन्य सोर्स से इनकम
कोई भी इनकम जो ऊपर बताई गई चारो हेड में नहीं आती है वह इनकम अन्य सोर्स से इनकम के तौर पर टैक्स के दायरे में आती है। बैंक डिपॉजिट से होने वाली ब्याज इनकम, लॉटरी जीतना या किसी व्यक्ति से 50,000 रुपए से अधिक का गिफ्ट लेना जो परिवार का सदस्य न हो।