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क्‍या है कैश कन्‍वर्जन साइकल ? यह क्‍यों मायने रखता है ?

यह पैमाना वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट और उसकी प्रभावशीलता को समझने में मदद करता है

क्‍या है कैश कन्‍वर्जन साइकल ? यह क्‍यों मायने रखता है ?

कैश कन्वर्जन साइकल एक यूनिक मीट्रिक है जो इस बात का आकलन करता है कि एक कंपनी को अपनी इन्वेंट्री को कैश में बदलने में कितना समय लगेगा। जाहिर है कि यह नंबर जितना छोटा होगा उतना ही बेहतर होगा। कैश कन्वर्जन साइकल के तीन कंपोनेंट हैं: इन्वेंट्री डेज, रिसीवेबल डेज और पेबेल डेज। इन्वेंट्री डेज मापता है कि कंपनी को अपनी इन्वेंट्री बेचने में कितने दिन लगते हैं। रिसीवेबल डेज मापता है कि एक कंपनी को सेल्स के लिए कैश हासिल करने में कितने दिन लगते हैं। और पेबेल डेज मापता है कि कंपनी को अपने सप्लायर्स से कितने दिन का क्रेडिट मिलता है। कैश कन्वर्जन साइकल को इस तरह से कैलकुलेट किया जाता है। इन्वेंट्री डेज + रिसीवेबल डेज-पेबेल डेज।

ज्यादातर सेल्स क्रेडिट पर होती है, तो इस बात पर नजर रखना अहम हो जाता है कि कंपनी कितनी कुशलता से अपनी वर्किंग कैपिटल को मैनेज करती है। अगर कोई कंपनी यह सुनिश्चित कर सकती है कि वह अपनी इन्वेंट्री को तेजी से सेल्स में कन्वर्ट कर सकती है या जल्द ही कैश हासिल करती है या अपने सप्लायर्स से उदार क्रेडिट पीरियड मैनेज कर सकती है तो कंपनी न सिर्फ वर्किंग कैपिटल के मोर्चे पर बहुत बेहतर स्थिति में होगी बल्कि इन्वेंट्री कास्ट कम होने की वजह से काफी सक्षम होगी।


इस बात ध्यान रखना चाहिए कि अगर कंपनी सर्विस प्रोवाइडर है तो उसके मामले में इन्वेंट्री डेज उतना मायने नहीं रखेगा जितना प्रोडक्ट बेस्ड कंपनी के मामले में यह मायने रखता है।

इस मामले पर गौर करें: मारूति सूजुकी

मारूति सूजुकी, भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है। कंपनी का रिसीवेबल डेज 8.45 है, पेबेल डेज 63.44 (वित्त वर्ष 2021के लिए) है। यह इस बात का संकेत है कि मारूति अपना कैश तो तेजी से हासिल कर लेती है लेकिन कंपनी को अपने सप्लायर्स को पेमेंट के लिए लगभग 9 सप्ताह तक इंतजार कराती है।


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