कंपनी कई तरह के प्रॉफिट: ऑपरेटिंग प्रॉफिट, प्रॉफिट बिफोर एक्सपेप्शनल आइयटम्स एंड टैक्सेज, नेट प्रॉफिट आदि रिपोर्ट करती है। सबका अपना महत्व है। ऑपरेटिंग प्रॉफिट का कैलकुलेशन के लिए ऑपरेशंस से कंपनी का रेवन्यू लेते हैं और अन्य ऑपरेटिंग एक्सपेंसेश को घटा देते हैं। इसे EBITDA यानी अर्निंग बिफोर इंस्ट्रेस्ट, टैक्सेज, डेप्रिएसेशन एंड अमोरटाइजेशन भी कहते हैं। इस मीट्रिक के लिए किसी और इनकम पर विचार नहीं किया जाता है।
'प्रॉफिट बिफोर टैक्सेज एंड एक्सेप्शनल आयटम्स' एक मीट्रिक है जो इनकम स्टेटमेंट में काफी नीचे होता है। इसमें सभी ऑपरेटिंग एंड नॉन-ऑपरेटिंग इनकम और एक्सपेंसेज शामिल किया जाता है लेकिन एक्सपेप्शनल आयटम्स को निकाल दिया जाता है। और इन सब आयटम्स को शामिल करने के बाद फाइनल प्रॉफिट नेट प्रॉफिट होता है। चूंकि यह सबसे अंत में पाया जाता है इसलिए इसे 'बॉटम लाइन' भी कहा जाता है।
ऐसे में नेट प्रॉफिट का आंकड़ा एक्सेप्शनल्स, टैक्सेज और डेप्रिएशन सहित कई फैक्टर्स से प्रभावित हो सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि नेट प्रॉफिट को काफी गहराई से देखा जाए न कि सिर्फ फेस वैल्यू पर। ऑपरेटिंग प्रॉफिट, प्रॉफिट बिफोर टैक्स और एक्सेप्शनल आयटम्स नेट प्रॉफिट की तुलना में मुनाफे के बेहतर पैमाने हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि आपको एक्सपेप्शनल आयटम्स, टैक्स या डेप्रिसिएशन को नजरअंदाज करना चाहिए। ये भी कंपनी की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करते हैं और इनका आकलन भी किया जाना चाहिए।
इस केस पर गौर करें: भारती एयरटेल
वित्त वर्ष 20, के लिए भारती एयरटेल की सालाना रिपोर्ट से खुलासा होता है कि 36,088 करोड़ रुपए का बड़ा नुकसान उठाने के बावजूद कंपनी ऑपरेटिंग लेवल पर मुनाफे में थी। कंपनी का ऑपरेटिंग लेवल 20,572 करोड़ रु था। नुकसान डेप्रिसिएशन, वित्तीय लागत और एक्सेप्शनल आयटम्स का नतीजा था।