क्रिप्टोकरंसी
क्रिप्टोकरंसी को लेकर बढ़ता आकर्षण निवेशकों को ललचा रहा है। क्रिप्टोकरंसी डिजिटल करंसी की कैटेगरी को कहा जा रहा है जो मौजूदा सरकार नियंत्रित रकम का विकल्प देने का प्रयास कर रही है। ट्रांजैक्शन में सहूलियत (इंटरनेशनल पेमेंट सहित), सरकारीनिगरानी से आजादी, गोपनीयता और सबसे अहम बात ऊंचे रिटर्न का ट्रैक रिकॉर्ड क्रिप्टो करंसी की मांग को बढ़ा रहा है। पिचबुक डाटा इंक के अनुसार, वीसी फंड्स ने 2021 में क्रिप्टो थीम में लगभग 30 अरब डॉलर निवेश किया है। यह पहले के सभी वर्षों में किए गए कुल निवेश से अधिक है।
लेकिन वैल्यू रिसर्च के पाठक शायद अब तक जान गए होंगे कि इन चीजों से परहेज करने वाले निवेशक बेहतर स्थिति में हैं। एक असेट जिसकी अपने आप में एक वैल्यू हैं, जैसे स्टॉक्स। स्टॉक्स खरीद कर आप कंपनी के मुनाफे में साझेदार बन जाते हैं। लेकिन जब बात क्रिप्टोकरंसी की आती है तो यहां ऐसा कोई फीचर नही है। इसके अलावा, अपने आप में कोई वैल्यू न होना, कानूनी स्टेटस न होना और बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव, हमेशा के लिए खोने या चोरी होने की संभावना या आसानी से हैक होने की आशंका इसे निवेश का जोखिम भरा विकल्प बनाती है। इसके अलावा सरकार किसी भी समय इसे गैर कानूनी घोषित कर सकती है।
क्रिप्टोकरंसी निवेश का आधार एक उम्मीद है कि कोई इन करंसी को भविष्य में ऊंची कीमतों में खरीद लेगा। सिर्फ इस परिभाषा के आधार पर यह निवेश नहीं है।
NFT
नॉन फंजिबल टोकन या NFT एक और ट्रेंड है जो निवेशकों में लोकप्रिय हो रहा है। सरल शब्दों में NFT किसी चीज की यूनिक डिजिटल कॉपी हैं। यह इमेज, ऑडियो क्लिप या वीडियो की कॉपी हो सकती है। जब एक खरीदार एक NFT खरीदता है तो वह कांट्रैक्ट की शर्तों के आधार पर डिजिटल आर्टवर्क के इस्तेमाल के लिए यूनिक लाइसेंस खरीदता है। लेकिन रेग्युलर लाइसेंस एग्रीमेंट और NFT के बीच सबसे बड़ा अंतर है कि NFT ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जहां ओनरशिप की पहचान को आसानी से प्रमाणित किया जा सकता है। इसका मतलब है कि NFT को दोबारा बेचा जा सकता है ओनरशिप के अधिकार को आसानी से स्थापित किया जा सकता है।
लेकिन इन सब बातों के बावजूद, जब इसे निवेशकों के नजरिए से देखा जाता है तो यह अब भी साफ नहीं है कि राइट्स के अलावा NFT की ओनरशिप निवेशकों के लिए क्या फायदे लाती है। बाजार अब भी शुरूआती दौर में है और इस पर काफी संदेह है कि इसे कानूनी मान्यता मिलेगी। पाठक इसे अभी पूरी तरह से नजरअंदाज कर सकते हैं।
ब्लॉकचेन
ब्लॉकचेन ने ही यह रास्ता खोला है कि क्रिप्टोकरंसी विकेंद्रीकृत तरीके से काम कर सके। ब्लॉकचेन की टेक्नोलॉजी यह सुनिश्चित करती है कि डाटा एक से अधिक लोकेशन पर स्टोर किया जाए। ऐसे में किसी के लिए इससे छेड़छाड़ करना बहुत मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए, यूज्ड कार की खरीद की बात करें तो कार बेचने वाला कार के ओडोमीटर के साथ छेड़छाड़ कर सकता है। लेकिन अगर कई संस्थाएं नियमित तौर पर सूचना को मेनटेन करने के साथ इसे अपडेट करती हैं तो बेचने वाला डाटा के साथ छेड़छाड़ नहीं कर पाता है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी किसी एक संस्था को एकपक्षीय तरीके से डाटा में बदलाव करने से रोकेगी।
सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन ने इस तरीके का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए किया है कि ट्रांजैक्शन और ओनरशिप का रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाए। सेबी के चेयरमैन अजय तिवारी ने हाल में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि बाजार नियामक नहीं चाहता है कि जब तक सरकार क्रिप्टोकरंसी को लेकर नियम कानून लेकर न आए तब तक म्युचुअल फंड क्रिप्टो असेट पर आधारित न्यू फंड ऑफर्स NFO लेकर आएं। ऐसे में निवेशकों के लिए बेहतर है कि निवेश के ऐसे विकल्पों से दूर रहे हैं। क्योंकि इनकी पहले की हिस्ट्री नहीं है और ये सरकार की नीतियों पर काफी ज्यादा निर्भर हैं।