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एक्टिव म्यूचुअल फ़ंड: 'भारत में बुनियादी चैलेंज कॉस्ट नहीं बल्कि पहुंच है'

रवि शास्त्री, डाइरेक्टर और चीफ़ एग्ज़ीक्यूटिव ऑफ़िसर, एन.जे. एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, म्यूचुअल फ़ंड उद्योग से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब दे रहे हैं।

एक्टिव म्यूचुअल फ़ंड: 'भारत में बुनियादी चैलेंज कॉस्ट नहीं बल्कि पहुंच है'


रेग्युलेटर का, ख़र्च स्लैब को रिवाइज़ करना, पैसिव इन्वेस्टिंग पर ज़ोर, और कई नई AMCs (एक्टिवली मैनेज्ड फ़ंड्स) का आना, इन कारणों से कॉस्ट पर और ज़्यादा फ़ोकस बढ़ जाता है। क्या आप मानते हैं कि बिज़नस को मुनाफ़े में रखते हुए, कॉस्ट (एक्सपेंस रेशियो) के मौजूदा स्तर को घटाए जाने की संभावना है?

हम मानते हैं कि भारत में बुनियादी चुनौती कॉस्ट नहीं बल्कि पहुंच है। हमारे देश में अब भी बहुत बड़ी संख्या में लोगों के पास फ़ाइनेंशियल मार्केट तक पहुंच नहीं है। तो, जहां कॉस्ट पर फ़ोकस एक अच्छी बात है, वहीं ये भी ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है कि निवेश के विकल्प उन लोगों तक पहुंच ही न पाएं जो अब भी इसके दायरे बाहर हैं।

हमारी इंडस्ट्री ने बड़े से बड़े निवेशकों को कवर किया है। आने वाले वक़्त में जैसे-जैसे इस पिरामिड का बेस और बड़ा होता जाएगा, औसत लेन-देन का साइज़ कम ही होगा। कॉस्ट को नीचे रखने से उन लोगों को सर्विस देना, जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, डिस्ट्रीब्यूटरों के लिए आर्थिक तौर पर व्यावहारिक नहीं रह जाएगा। इसे बड़े परिप्रेक्ष्य में देखें तो पैसिव फ़ंड निवेश के चुनाव में कोई मदद नहीं करते, इसलिए ये काफ़ी कम कॉस्ट पर काम कर सकते हैं, दूसरे फ़ंड्स के लिए, मौजूदा एक्सपेंस-रेशियो का ढांचा ख़र्च में कमी की बहुत कम ही गुंजाइश छोड़ता है। हमारे नज़रिए से कहें तो, हर तरह का फ़ायदा हम अपने निवेशकों तक बढ़ाना चाहेंगे, साथ ही ये भी पक्का करना चाहेंगे कि डिस्ट्रीब्यूट्रस को लोगों तक आर्थिक फ़ायदों पहुंचाने की कोशिशों के लिए सही फ़ीस मिले।

आपका स्ट्रैटेजिक रोडमैप क्या है? AMC को आप पांच साल बाद कहां देखते हैं?
हमने नियमों के आधार पर किए जाने वाले एक्टिव इन्वेस्टमेंट पर अपना पूरा फ़ोकस बनाए रखा है। इस तरह का निवेश विकसित बाज़ारों में बहुत सफल रहा है और ये निवेश को ले कर एक अनुशासित रुख बनाने में मदद करता है। इसके साथ ही पैसिव निवेश और एक्टिव निवेश, दोनों के फ़ायदों के साथ, इंडैक्स से बेहतर प्रदर्शन की संभावना भी पैदा करता है। हम, एक पोर्टफ़ोलियो मैनेजर के तौर पर पिछले एक दशक से ज़्यादा समय से इसी सोच पर चलते रहे हैं, और इस दौरान हमने इस तरह के निवेश के लिए ज़रूरी योग्यताएं भी हासिल कर ली हैं और इसके लिए ज़रूरी इन्टलैक्चुअल प्रॉप्रटी भी हमारे पास है। बहुत से अलग-अलग निवेशकों के हम पर भरोसे ने हमें देश के सबसे बड़े पोर्टफ़ोलियो मैनेजरों में से एक बना दिया है, जहां क़रीब 3,500 निवेशकों के ₹3,000 करोड़ के एसेट हमारे पास हैं।

हमें भरोसा है कि हमारे प्रॉडक्ट को निवेशक पसंद करेंगे। हम लोगों में, और टेक्नोलॉजी में निवेश करना जारी रखेंगे। साथ ही सक्रिय तौर पर एकेडेमिक कम्यूनिटी के साथ मिल कर नए और बेहतर तरीक़ों को अपने निवेश की प्रक्रिया में शामिल करते रहेंगे।

हमारा गोल है - सरल, बिना जटिलता वाला, और अपनी ख़ास बातों को साफ़ तरह से दिखाने वाले प्रॉडक्ट, निवेशकों तक पहुंचाना, ताकि उनकी निवेश और उससे संपन्न होने की यात्रा सुखद रहे। हमारा फ़ोकस इन्वेस्टर के एक्सपीरियेंस पर है क्योंकि निवेश के ज़रिए बड़ी पूजीं खड़ी करने के लिए लंबा वक़्त चाहिए और ये अच्छे अनुभवों से आता है न कि सिर्फ़ ज़्यादा रिटर्न हासिल कर लेने से।

रैपिड-फ़ायर राउंड:

निवेश गुरु/ मैनेजर जिसे आप सबसे ज़्यादा पंसद करते हैं: डेविड बूथ
बिज़नस लीडर जिसकी तरह आप होना चाहेंगे: हर्ब कैलेहर, साउथवेस्ट एयरलाइन्स के संस्थापक। उन्होंने साबित कर दिया कि कस्टमर सैटिस्फ़ैक्शन का मतलब सिर्फ़ क़ीमत घटाना ही नहीं है।
आपका अब तक का सबसे फ़ायदेमंद निवेश: 40 साल की उम्र में, करियर के बीच में हासिल की मेरी मास्टर्स की डिग्री जो मैंने यू.के. से ली।
आपका धन का मंत्र:
डाइवर्सिफ़िकेशन और कंपाउंडिंग अपने असर में ज़बर्दस्त हैं। मगर डाइवर्सिफ़िकेशन का स्थायित्व कंपाउंडिंग में मदद करता है।
अगर आप मनी मैनेजर नहीं होते तो क्या होते: शिक्षाविद।


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