हाऊस वॉयस

'सभी एसेट क्लास में फ़ीस कम होना तय है'

रवि मेनन, चीफ़ एग्ज़ीक्यूटिव ऑफ़िसर, एचएसबीसी एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, उद्योग से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब दे रहे हैं।

'सभी एसेट क्लास में फ़ीस कम होना तय है'

रेग्युलेटर का ख़र्च के स्लैब को रिवाइज़ करना, पैसिव इन्वेस्टिंग पर ज़ोर होना, और कई नई AMCs का आना, इन कारणों से ख़र्च पर और ज़्यादा फ़ोकस बढ़ जाता है। क्या आप मानते हैं कि बिज़नस को मुनाफ़े में रखते हुए, ख़र्च (एक्सपेंस रेशियो) के मौजूदा स्तर को घटाए जाने की संभावना है?

हमें ये मानना होगा कि एसेट मैनेजमेंट का बिज़नस हमेशा रेग्युलेट किया जाएगा, और इस रेग्युलेशन का अहम मक़सद है, सभी नागरिकों के लिए - आर्थिक-सहभागिता, वित्तीय-समझ और कम दाम पर आर्थिक योजनाएं उपलब्ध कराना। प्रतियोगिता की वजह से फ़ीस कम होना, दुनिया भर में होता ही है। अब इस खेल में आप, उभरते हुए फ़िन-टेक प्लेयर के साथ-साथ टेक्नोलॉजी क्षेत्र के दूसरे प्लेयर्स को भी शामिल करे लें, जिनका वित्तीय आधार, परंपरागत वित्तीय तरीक़ों से काम करने वाले प्लेयर्स से अलग हो, और जहां निवेशकों के नंबर, फ़ीस से ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हों। ये सब एक तूफ़ान लाएगा ही - अच्छे मायनों में। इसका सबसे बड़ा फ़ायदा निवेशक को होगा-उन्हें विकल्पों की बड़ी रेंज उनके मोबाइल फ़ोन पर ही मिल जाएगी जो बहुत कम दाम में ही उपलब्ध होगी। तो एक मौजूदा प्लेयर के लिए, हर एसेट क्लास में फ़ीस कम होगी ही।

एक ग्लोबल एसेट मैनेजर के तौर पर, फ़ीस और प्राइसिंग के दबाव हमारे लिए आम बात है। मगर मेरी नज़र में एक्सपेंस रेशियो उतनी बड़ी चिंता नहीं है, महत्वपूर्ण ये है, कि आपका प्रदर्शन अच्छा हो और आप ऐसे विकल्प दे पाएं जो निवेशक की ज़िंदगी और उनके गोल से मेल खाते हों। जब तक आप अपने निवेशक की महत्वकाक्षाओं को सफलता से पूरा करते रहेंगे, आपकी ज़रूरत बनी रहेगी, और आप एसेट मैनेजर के तौर पर उनकी पसंद बने रहेंगे।

बढ़ते हुए डायरेक्ट प्लान, और नए प्लेटफ़ार्म के आने की वजह से - निवेशक, डिस्ट्रिब्यूटर, और निर्माता (AMCs) तीनों के बीच के संबंधों में क्या बदलाव आ रहे हैं?

मैं डायरेक्ट प्लान पसंद करने वालों की बढ़ती संख्या से उतना चिंतित नहीं हूं, क्योंकि इससे पता चलता है कि म्यूचुअल फ़ंड को लेकर लोगों की जानकारी और जागरुकता अब बढ़ रही है। हालांकि, हम जानते हैं कि हमेशा ये इसी वजह से नहीं होता है। जो बात इंडस्ट्री में चिंता का कारण है, वो है, हमारी बड़ी जनसंख्या के मुक़ाबले, इन्वेस्टर्स की संख्या। फ़िन-टेक ने, डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने वालों को वित्तीय साधनों से जोड़ने का एक शानदार काम किया है। उन्होंने पैसे के प्रबंधन को 'कूल' बना दिया है, और 'ख़ुद करो' (do-it-yoruself) वाली इन्वेस्टिंग को प्रोत्साहित किया है। मगर हमें इस बात का ख़याल रखना होगा कि वित्तीय समझ अब भी बहुत कम लोगों में है। जहां मोबाइल टेक्नोलॉजी ने फ़ाइनेंशियल सर्विस को सभी तक पहुंचा दिया है, वहीं, मेरा मानना है, कि डिस्ट्रीब्यूटर का रोल अब भी अहम है और डिस्ट्रीब्यूटर निवेशक और निवेश को सही विकल्पों से जोड़ने का 'सेतु' बने रहेंगे।

रैपिड-फ़ायर राउंड:

निवेश गुरु/ मैनेजर जिसे आप सबसे ज़्यादा पंसद करते हैं: मेरी दिंवगत मां। किसी के बिना जाने, जिसमें मेरे पिता भी शामिल हैं, वो चुपचाप और कुशलता से बचत करती रहीं। ये वो दौर था जब निवेश के अवसर न तो लोगों को पता थे, और न ही उनके लिए उपलब्ध थे। अगर ऐसा होता, तो पक्का है, कि वो एक बेहद क़ाबिल इन्वेस्टमेंट मैनेजर भी होतीं।
बिज़नस लीडर जिसकी तरह आप होना चाहेंगे: आनंद महिंद्रा - प्रतिस्पर्धा करने और जीतने के संदर्भ में, उन्होंने बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले सैक्टर्स में, और बहुत अलग-अलग सैक्टर्स में सफल हो कर दिखाया है। उनके विचार और ट्विटर के मैसेज पढ़ना हमेशा ही सुखद होता है और कुछ नया सिखाता है।
आपका अब तक का सबसे फ़ायदेमंद निवेश मंत्र: एक सरल मंत्र - निवेश जारी रखो। कंपाउंडिग की खुशी हमेशा ही अचंभे में डालने वाली होती है।
आपका धन का मंत्र: जिसे आप नहीं समझते हैं, उसमें निवेश मत कीजिए।
अगर आप मनी मैनेजर नहीं होते तो क्या होते: एक बैंकर।


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