हम सब की कुछ जरूरतें होती हैं। जैसे खाना, कपड़ा, रहने के लिए घर बच्चों की पढ़ाई और दवाई या इलाज की सुविधा। ये जरूरतें हर परिवार की होती हैं। और एक सामान्य या बेहतर जीवन जीने के लिए इन जरूरतों का पूरा होना जरूरी भी है।
यहां तक तो बात ठीक है लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब हम अपनी चाहत को जरूरत समझने लगते हैं और चाहत पूरी करने में जुट जाते हैं। और कई बार अपनी चाहत को पूरा करने के चक्कर में अपने कल को भी दांव पर लगा देते हैं। यहां कल को दांव पर लगाने का मतलब बचत और निवेश को नजर अंदाज करने से है।
अपनी चाहत को पूरा करना गलत नहीं है। लेकिन बचत और निवेश की कीमत पर ऐसा करना गलत है। जैसे कार किसी के लिए जरूरत हो सकती है तो किसी के लिए चाहत। और किसी के लिए दोनों हो सकती है। अगर आप कार लोन की किश्त आराम से चुका सकते हैं और इससे कल की जरूरतों के लिए बचत और निवेश पर असर नहीं पड़ता है तो आपके लिए ऐसा करना ठीक है। लेकिन अगर आप या कोई और व्यक्ति बचत और निवेश की कीमत पर ऐसा कर रहा है तो यह रवैया बहुत महंगा पड़ सकता है।
कारोना काल ने एक बात हम सबको नए सिरे से बताई है कि आज की जरूरतें पूरी करने के साथ कल की चिंता करना भी उतना ही जरूरी है। कल की चिंता यानी भविष्य की जरूरतों के लिए बचत और निवेश। कोरोना का कहर जब अपने चरम पर था उस समय भी ऐसे लोग काफी हद तक चिंतामुक्त जीवन जी रहे थे जिनके पास अच्छी बचत थी। और जिनके पास बचत नहीं थी वे एक अदृश्य डर में जीने की मजबूर थे। मसलन नौकरी चली गई तो क्या होगा। दूसरी नौकरी जल्दी नहीं मिलती तो क्या होगा।