जब मैं ये पेज लिख रहा हूं, तब भारत में सभी 249 डाइवर्सिफ़ाइड इक्विटी फ़ंड अपनी ऐतिहासिक ऊंचाई के 5 प्रतिशत के भीतर हैं। यानि, जिसने भी इक्विटी फ़ंड में इस वक़्त निवेश किया हुआ है उसने पैसा बनाया है।
कृपया इस स्टेटमेंट को फिर से एक बार ध्यान से पढ़ें। इसमें सबसे अहम बात है, 'इस वक़्त निवेश'। तो, मैं ये नहीं कह रहा कि सभी ने पैसा बनाया है। बहुत से ऐसे म्यूचुअल फ़ंड निवेशक हैं, जिन्होंने अपने पैसे गंवाए भी हैं। ये वो लोग थे, जिन्होंने निवेश करने और निवेश से बाहर निकलने के लिए मार्केट का पूर्वानुमान लगाया। कुछ ऐसे लोग भी रहे, जिन्होंने सक्रिय रूप से तो कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया, मगर ये वो लोग थे जिन्होंने SIP के बजाए बहुत बड़ी रक़म एकमुश्त निवेश कर दी। और इसे भी मार्केट का पूर्वानुमान लगाना ही कहा जाएगा, चाहे ऐसा करने के कारण कुछ भी रहे हों।
पूर्वानुमान कभी काम नहीं करते। फ़रवरी 2020 के बाद, जब से चीन ने ये वायरस दुनिया भर में फैलाया है, तब से इस वायरस के इक्विटी पर असर को लेकर की गई सारी भविष्यवाणियां फ़ेल हुई हैं। इसका पूर्वानुमान जिसने भी लगाया, उसे बुरे नतीजे देखने को मिले। मुझे याद है, पिछले साल अगस्त में, ऑल इंडिया रेडियो के मेरे साप्ताहिक शो में, एक श्रोता ने अपनी मुश्किल का हल पूछा था। उसने बताया कि उसे खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, और उसकी मुश्किल का हल क़रीब-क़रीब असंभव था। इस शख़्स ने कई इक्विटी फ़ंड में निवेश किया था।
अप्रैल 2020 में, चीनी वायरस की वजह से आए पहले रिएक्शन में जब मार्केट क्रैश हुआ, तो वो मार्केट से बाहर हो गया और अपना निवेश बाहर निकाल लिया था। उसका अंदाज़ा था कि आने वाले वक़्त में मार्केट और ज़्यादा गिरेगा। इसलिए उसने निवेश के लिए इंतज़ार करना ही सबसे सेफ़ समझा और फ़ैसला किया कि निवेश कुछ समय बाद किया जाएगा। पिछली बार जब सुना, तब से अब तक तो ये ‘कुछ समय बाद’ का ‘सेफ़’ वक़्त नहीं आया था। क्योंकि उसने मार्केट के सबसे निचले स्तर पर अपने निवेश को बेचा था। मुझे उम्मीद है कि किसी एक समय बाद, उसने इंतज़ार करना छोड़ दिया होगा।
ये एक ऐसी सोच है, जिससे काफ़ी ज़्यादा निवेशक प्रभावित होते हैं। ऐसा, उस समझ की कमी से होता है जो फ़ायदा के पीछे असली वजह होती है। एक सरल से सवाल पर ग़ौर कीजिए: निवेश के रिटर्न मिलते कैसे हैं? कई निवेशक आपसे कहेंगे कि जब आप अच्छे निवेश की पहचान कर लेते हैं और उसे सही मौक़े पर ख़रीदते हैं तो आपको अच्छे रिटर्न मिलते हैं। मगर सवाल ये है कि निवेश के रिटर्न का मूल स्रोत क्या है? असल में वो कहां से आते हैं? इसका जवाब मुश्किल नहीं है: रिटर्न आते हैं, अर्थव्यवस्था में ग्रोथ से। यही इसका मूल स्रोत है। अर्थव्यवस्था बढ़ती है तो बिज़नस बढ़ते हैं, वो ज़्यादा पैसा कमाते हैं, ज़्यादा मुनाफ़ा होता है, शेयरहोल्डरों को फ़ायदा होता है, और इन्हीं शेयरहोल्डरों में वो म्यूचुअल फ़ंड भी होते हैं जिनमें आपने निवेश किया होता है। उम्मीद है आपने किया ही होगा।
मैं ‘उम्मीद है’ कह रहा हूं, क्योंकि ये निवेश अपने-आप नहीं हो जाता। आपको सही विकल्प पर अमल करना होता है और इसका अहम हिस्सा है, ग़लत फ़ैसले नहीं करना। रेग्युलर निवेश करना और मार्केट का पूर्वानुमान नहीं लगाना भी इसी का हिस्सा है। आजकल बहुत से ग़लत विकल्प मौजूद हैं। क्रिप्टो का क्रेज़ ऐसा ही ग़लत विकल्प है। इस बात के अलावा कि ये पूरी तरह से पूर्वानुमान के आधार पर किया जाने वाला काम है, ये तो रेग्युलेटेड भी नहीं है और क़ानून के दायरे से भी बाहर है।
हालांकि, कुछ ऐसे निवेश भी हैं जिनके रेग्युलेशन तो मौजूद हैं, पर ये ग़लत तरह के निवेश के सबसे बड़े उदाहरण कहे जाएंगे, जैसे नए ‘डिजिटल’ IPO. ज़ोमाटो, नायका और पेटीएम; जैसे-जैसे सफल होते रहेंगे, इनका अंतहीन सिलसिला जारी रहेगा। ऐसी कंपनियों में निवेश जिन्होंने मुनाफ़ा कमाने की कोई क़ाबिलियत ही नहीं दिखाई है ठीक इसी कैटेगरी में आते हैं, जिसमें निवेशकों को पैसा बिल्कुल नहीं डालना चाहिए।
जैसे-जैसे स्टॉक मार्केट ऊंचा-और-ऊंचा उठता रहता है, ऐसे लोगों की कमी नहीं होती जो ये पता लगाने में जुट जाते हैं कि आगे क्या होने वाला है। मैं उन्हें दो बातें बिल्कुल सटीक भविष्यवाणी के तौर पर बता सकता हूं। भविष्य में, ऐसा वक़्त होगा जब मार्केट आज से ऊंचा होगा और एक समय भी होगा जब मार्केट नीचे होगा। ये एक सटीक पूर्वानुमान है, और हां! ये बेकार का है। तो मुझे एक काम की भविष्यवाणी करने दीजिए: वो निवेशक जो बिना बहुत उत्साहित हुए या बिना हताश हुए, निवेश की बेसिक बातों का ध्यान रखेंगे वो हमेशा बेहतर करेंगे। ये फॉलो करने का एक सफल फॉर्मूला होना चाहिए।
ये एडिटोरियल म्यूचुअल फ़ंड इनसाईट के दिसंबर 2021 इशू में छपा था।
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