नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), भारत के हर नागरिक को पेंशन का लाभ देने की योजना है। भारत सरकार की ये योजना, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है और कुछ राज्य सरकारों के कर्मचारी भी NPS में निवेश करते हैं। प्राईवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने का अच्छा विकल्प है। इस योजना में आमतौर पर कर्मचारियों का योगदान उनके बेसिक वेतन और DA का 10 प्रतिशत होता है। बराबर के अनुपात में कंपनियां भी इसमें अपना योगदान करती है। अब केंद्र-सरकार के कर्मचारियों के लिए योगदान राशि को बढ़ा कर 14 प्रतिशत कर दिया गया है। आप NPS के तहत दो तरह के अकाउंट खुलवा सकते हैं - टियर I और टियर II. इसके अलावा अब एक विकल्प और आ गया है, जिसे टियर II - टैक्स सेवर स्कीम या NPS-TTS कहा जाता है। ये विकल्प सिर्फ़ केंद्र-सरकार के कर्मचारियों के लिए है।
पूंजी की सुरक्षा और महंगाई से बचाव
इसमें आपकी पूंजी की सुरक्षा नहीं होती, क्योंकि NPS इसका कुछ हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता है। इससे मिलने वाले रिटर्न मार्केट से लिंक होते हैं। हालांकि, आमतौर पर लंबी अवधि में इक्विटी से मिलने वाले रिटर्न महंगाई दर से ऊपर ही रहते हैं। इसी वजह से कुछ हद तक NPS में महंगाई से सुरक्षा मिल जाती है।
नक़दी पाने की सुविधा
तीन साल बाद, आप NPS से रक़म निकाली जा सकती है। आप जमा की गई रक़म के अपने हिस्से का 25 प्रतिशत तक, कुछ ख़ास ज़रूरतों के लिए निकाल सकते हैं। ये ज़रूरतें इस तरह की हो सकती हैं - बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, मकान बनवाना या पहला घर ख़रीदना, और किसी गंभीर बीमारी का ईलाज (अपना, जीवन-साथी, बच्चों या आप पर निर्भर मां-पिता का ईलाज)। रेग्युलेशन के मुताबिक़, 13 गंभीर बीमारियां शामिल की गई हैं और एक्सीडेंट या जीवन के ख़तरे में डालने वाली बीमारियों, जैसे - कोविड19 के लिए भी रक़म निकालनी जा सकती है।
जो बात ग़ौर करने की हैं, वो ये कि 25 प्रतिशत की सीमा आपके द्वारा जमा किए पैसों के आधार पर कैलकुलेट की जाती है, न की पूरे बैलेंस पर। मान लीजिए, आपने ₹5,000 मासिक का योगदान तीन साल तक दिया है। तो आप स्कीम की अवधि के दौरान इसमें से ₹45,000, यानि ₹1.8 लाख का 25 प्रतिशत निकलवा सकते हैं।
बाहर निकलने का विकल्प
टियर I: अगर आप 60 वर्ष की उम्र से पहले ही रक़म निकालना चाहते हैं, तो आपको खाते में मौजूद 80 फ़ीसदी रक़म एन्युटी ख़रीदने के लिए इस्तेमाल करनी होगी। आप अपने बाक़ी के कॉर्पस को निकाल सकते हैं, इस रक़म पर आपके टैक्स-स्लैब के हिसाब से टैक्स लागू होगा।
उन लोगों के लिए NPS से निकाली गई 60 प्रतिशत तक की रक़म टैक्स-फ़्री होती है, जो 60 की उम्र पर रिटायर होते हैं। इसके बाद बची हुई रक़म की एन्युटी लेनी होती है। हालांकि, अगर पूरी जमा रक़म यानि कॉर्पस ₹5 लाख से ज़्यादा न हो, तो बिना एन्युटी ख़रीदे पूरी रक़म एक साथ निकाली जा सकती है।
टियर II: रेग्युलर: ये स्वैछिक अकाउंट है, जिससे आप जब चाहें रक़म निकालने के लिए स्वतंत्र हैं। इसमें रक़म जमा करने या निकालने पर कोई पाबंदी नहीं होती।
टियर II - TTS: बिना किसी ऊपरी सीमा के, आप तीन साल के लॉक-इन पीरियड के बाद अपनी रक़म कभी भी निकाल सकते हैं।
टैक्स ट्रीटमेंट
हर वित्तीय वर्ष में ₹1.5 लाख तक (सैक्शन 80C के तहत) और ₹50,000 (सैक्शन 80CCD (1B) के तहत) के अंशदान पर टैक्स में छूट हासिल की जा सकती है। टर्म पूरा होने पर, 60 प्रतिशत तक मिलने वाली राशि टैक्स फ़्री होती है। हालांकि टैक्स का ये फ़ायदा, टियर II रेग्युलर के NPS अकाउंट में नहीं मिलता है।
खाता कहां खोलें
आप इनमें से किसी भी पब्लिक या प्राइवेट बैंक में NPS ख़ाता खोल सकते हैं। ख़ाता खोलने के लिए जिन संस्थाओं को पैनल में रखा गया है, उन्हें देखने के लिए आप इस वेबसाइट पर जा सकते हैं -
खाता कैसे खोलें
-आपको वहां जाना होगा जहां ये सुविधा उपलब्ध है। इन्हें प्वाइंट ऑफ़ प्रेज़ेंस कहते हैं (Point of Presence या PoP)। यहां आपको फ़ॉर्म मिलेगा जिसे भरना होगा और प्रमाण पत्र जमा करवाने होंगे जो KYC के लिए चाहिए होते हैं। विकल्प के तौर पर आप enps.nsdl.com पर जा कर अकाउंट ऑनलाइन भी खोल सकते हैं।
-रजिस्टर हो जाने के बाद, सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी (Central Recordkeeping Agency - CRA), आपको परमानेंट रिटायरमेंट नंबर जारी करेगी (PRAN)। ये नंबर हर किसी का अलग होता है।
-जितनी रक़म का आप निवेश करना चाहते हैं, उसे निवेश के विकल्प में से चुन लें।
अगर KYC नहीं है तो आपको इन चीज़ों की ज़रूरत होगी।
-आधार कार्ड। अगर आधार नहीं है तो आपको आधार एप्लीकेशन की कॉपी की रसीद, अपने पते और पहचान के प्रमाण के साथ जमा करानी होगी।
-साथ ही ये भी लिख कर देना होगा कि आप पहले से NPS के सदस्य नहीं हैं।
-पासपोर्ट साइज़ कलर फ़ोटोग्राफ़।
NPS ख़ाते के प्रकार
NPS योगदान के आधार पर काम करता है और इसके तीन प्रकार हैं: टियर-I, टियर-II रेग्युलर और टियर-II TTS.
-टियर-I: ये अनिवार्य पेंशन अकाउंट है जिससे पैसे नहीं निकाले जा सकते और इसमें टैक्स पर छूट मिलती है।
-टियर-II: रेग्युलर: ये स्वैछिक-निकासी का बचत अकाउंट होता है जिससे पैसा कभी भी निकाला जा सकता है। इसमें टैक्स पर कोई छूट नहीं मिलती।
-टियर II: TTS: इसमें सेक्शन 80CCD के तहत टैक्स में छूट मिलती है और तीन साल के लॉक-इन पीरियड के बाद इससे पैसा निकाला जा सकता है। ये स्कीम सिर्फ़ केंद्र-सरकार के कर्मचारियों के लिए है।
किसके लिए है
· ऐसे कंज़रवेटिव निवेशक जो अपना रिटायरमेंट कॉर्पस बनाना चाहते हैं और सेक्शन 80CCD के तहत टैक्स में छूट पाना चाहते हैं।
किसके लिए नहीं है
· ऐसे निवेशक जो ज़्यादा रिस्क उठा कर इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश कर सकते हैं, जो उन्हें लंबी-अवधी में बेहतर रिटर्न दे सकता है।
विकल्प क्या हैं
· इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड/ सीधे स्टॉक में निवेश