फ़र्स्ट पेज

कड़वी सच्‍चाई

बुनियादी बातों पर दोबारा गौर करना सिर्फ एक बात नहीं है, यह कुछ ऐसी चीज है जिसे इक्विटी निवेशकों को हमेशा करते रहना चाहिए

कड़वी सच्‍चाई

हाल के कुछ सप्‍ताह में एक खास तरह के निवेशकों और इन्‍वेस्‍टमेंट एनॉलिस्‍ट ने नुकसान में चल रहे हाई प्रोफाइल स्‍टार्ट अप्‍स में निवेश का सख्‍ती से विरोध किया है। यह जोमैटो के बारे में नहीं है क्‍योंकि यह पहला मामला है कि साफ तौर पर ऐसे कई मामले आएंगे। व्‍यक्तिगत तौर पर मैं भी इसी समूह के साथ हूं और मेरा मानना है कि और ज्‍यादा निवेशकों को यह नजरिया अपनाना चाहिए।


इससे उलट राय रखने वालों का मानना है कि जोमैटो आईपीओ आने के बाद सात- आठ सप्‍ताह की लंबी अवधि बीत चुकी है और उनका नजरिया साबित हो चुका है। और अब इसी तरह के दूसरे आईपीओ की ओर जाया जा सकता है।

इस बात को समझने के लिए वापस जाकर बुनियादी बातों पर गौर करते हैं और खुद से पूछते हैं कि कंपनी का गोल क्‍या है। इस बात पर गौर करें कि हम यहां वास्‍तविक गोल की बात कर रहें न कि उस तरह के गोल की जिनको कंपनी की ओर से जारी किए जाने वाले बयानों और पीआर सामग्री में शामिल किया जाता है। तो कंपनी का गोल कया है ? रकम बनाना। शेयरधारकों का गोल क्‍या है चाहे वह संस्‍थापत शेयरधारक हो या नहीं। छोटा हो या बड़ा ? रकम बनाना।

जब तक पहला कदम काम नहीं करता है तब तक उसके बाद उठाए जाने वाला कदम काम नहीं करेगा। कुछ समय तक ऐसा भ्रम हो सकता है कि ये नियम कानून को तोड़ कर काम कर रहे हैं। लेकिन शेयरधारकों के पास लगातार और वैध तरीके से रकम बनाने का कोई ओर तरीका नहीं है जब तक कि कंपनी मुनाफा न कमा रही हो। एक बार निवेशक जब इस बात को समझ जाता है तो उनका निवेश का सारा नजरिया बदल जाता है।

इसका एक गहरा असर यह है कि कंपनी का रकम बनाना या न बनाना दो बातें नहीं हैं। एक समय के बाद शेयरधारक कंपनी के कारोबार के हिसाब से रकम बनाएगा। यह रकम कभी ज्‍यादा कभी कम हो सकती है लेकिन आखिरकार शेयरधारक की बढ़ती हुई रकम कारोबार से बना रहा है जो मुनाफा न कमा हो रहा है यह नहीं हो सकता है। यह बात बुनियादी बातें और निवेश के लिए भी यह बुनियादी बात है। और जब मैं यह लिख रहा हूं तो मुझे यह सरल और स्‍वाभाविक चीज लिखने में थोड़ा संकोच हो रहा है। हालांकि, प्रचार पर आधारित आज के निवेश के माहौल में यह लगभग ऐसा नजरिया है जिससे शायद कम ही लोग इत्‍तफाक रखते हैं।

निश्चित तौर पर इसका एक जवाब यह है कि किसी असेट या संपत्ति की कीमत इस बात से नहीं तय होती है कि आज क्‍या हो रहा है, बल्कि इस बात से तय होती है कि भविष्‍य में क्‍या होगा। निश्चित तौर पर यह सच है। हालांकि, स्‍टार्ट अप्‍स के मामले में भविष्‍य के मुनाफे को तय मान लेना आसान नहीं है। बेसिक लेवल पर मुनाफे के दो बड़े वाहक हैं। कारोबार जिसमें कंपनी काम कर रही है और कारोबार को मुनाफे वाला बनाने की मैनेजमेंट की क्षमता। फिर एक बार बात वहीं आ जाती है कि नई पीढ़ी के कारोबार में ये दोनों बातें साबित नहीं हुई हैं।

पारंपरिक तौर पर यह बात स्‍वत:सिद्ध थी कि मैनेजमेंट की गुणवत्‍ता का मतलब मुनाफे वाला बिजनेस चलाने की क्षमता है। आप देख सकते हें कैसे यह बदल गया है। आज हमारे पास बहुत से ऐसे लोग हैं जो उद्मियों और बिजनेस लीडर्स के तौर पर रोल मॉडल बन गए और इन लोगों ने कोई ऐसा बिजनेस खड़ा नहीं किया है जो रकम बना सके। बहुत से लोग बड़े पैमाने पर रकम कमाने में सफल रहे हैं और यह उनके और उनके परिवार के लिए बहुत अच्‍छी बात है। यह बात उनको दूसरे युवाओं के लिए रोल मॉडल बनाती है जो उनकी तरह बनना चाहते हैं। हालांकि, किसी कंपनी में निवेश की संभावना तलाश रहे इक्विटी निवेशक के लिए सबसे अहम बात यह है कि ऐसे उद्मियों का मुनाफा कमाने वाला बिजनेस खड़ा करने और उसे बनाए रखने के मामले में ट्रैक रिकॉर्ड शून्‍य है।

इससे भी खराब बात यह है कि यह बिजनेस मॉडल भी अपने आप में खुद को भी साबित नहीं कर पाया है। मेरा मतलब है कि अगर ऐसे लोग एक कंपनी चला रहे हैं जो स्‍कूटर या पेंट या कपड़े बना रही है तो आप कहते हैं कि ऐसे बिजनेस मुनाफा कमाने के लिहाज से सफल हो सकते हैं। और यह बात साबित भी हो चुकी है। हालांकि, दुर्भाग्‍य की बात है कि कोई भी ई कॉमर्स कंपनी या रेस्‍टोरेंट डेलिवरी कंपनी या डिजिटल वॉलेट कंपनी ने भारत में कभी भी मुनाफा नहीं कमाया है। एक व्‍यावहारिक निवेशक को सोचना चाहिए कि क्‍या ऐसी चीजें की जानीं चाहिए।

यह ऐसे जोखिम हैं जिनको उद्यमी या वेंचर फंड को निश्चित तौर पर उठाना चाहिए। लेकिन एक इक्विटी निवेशक जिसके पास बाजार में और भी दूसरे विकल्‍प हैं को ऐसा ही करना चाहिए इस बात के लिए मैं सहमत नहीं हूं।


टॉप पिक

क्या रिलायंस इंडस्ट्रीज़ का बोनस शेयर इश्यू वाक़ई दिवाली का तोहफ़ा है?

पढ़ने का समय 3 मिनटAbhinav Goel

म्यूचुअल फ़ंड, ऑटो-पायलट और एयर क्रैश

पढ़ने का समय 4 मिनटधीरेंद्र कुमार

मल्टी-एसेट फ़ंड आज दूसरी सबसे बडी पसंद हैं. क्या इनमें निवेश करना चाहिए?

पढ़ने का समय 3 मिनटपंकज नकड़े

क्या आपको इस मोमेंटम इंडेक्स फ़ंड में निवेश करना चाहिए?

पढ़ने का समय 1 मिनटवैल्यू रिसर्च down-arrow-icon

Stock Update: 20 शानदार स्टॉक की इस हफ़्ते की लिस्ट

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

स्टॉक पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

समय, व्यावहारिकता और निराशावाद

पूंजी बनाने के लिए ज़्यादा बचत करना और ज़्यादा लंबे समय तक बचत करना, क्यों बहुत ज़्यादा रिटर्न पाने की उम्मीद से बेहतर है.

दूसरी कैटेगरी