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SIP के ज़रिए स्टॉक में इन्वेस्ट करना एक अच्छी स्ट्रैटजी है?

धीरेंद्र कुमार से समझेंगे कि एक इन्वेस्टर को बाज़ार में अपने अनुभव के आधार पर निवेश की पायदानों पर आगे बढ़ना चाहिए.

Invest in stocks through an SIP? Is it a good strategy to follow?

क्या डायरेक्ट इक्विटी स्टॉक में SIP करना एक अच्छी स्ट्रैटेज़ी है? ये म्यूचुअल फ़ंड में SIP से कैसे अलग है?
-दुर्गेश किन्नरकर

आम तौर पर,ये वैसा ही है. मैं इक्विटी फ़ंड में SIP का सुझाव इसलिए देता हूं क्योंकि हर शख्स को सटीक तौर से सीधे शेयर में इन्वेस्ट करना चाहिए. आप एक अच्छी कंपनी चुन सकते हैं, मगर ये तय नहीं किया जा सकता कि वो बेस्ट प्राइस पर ही होगी या नहीं. इसलिए समय के साथ निवेश को फैलाने से रिस्क और चिंता दोनों कम हो जाती है.

लेकिन ये म्यूचुअल फ़ंड में इन्वेस्ट करने जैसा नहीं है. म्यूचुअल फ़ंड में इन्वेस्ट करते वक्त आपको बेहतर सहूलियत और प्रोफ़ेशनल मैनेजमेंट का लाभ मिलता है. इसके अलावा, इसमे टैक्स तब ही लगेगा जब आप अपने निवेश को बेचतें हैं. पोर्टफ़ोलियो में फ़ंड मैनेजर द्वारा की गई बिक्री और ख़रीद लेनदेन पर टैक्स नहीं लगता है.

इसकी तुलना में अगर आप सीधे शेयर में इन्वेस्ट करते हैं तो आपको अपने निवेश पर नज़र रखनी होगी. जैसे कि कौन सा स्टॉक महंगा हो गया है, कौन सा स्टॉक आकर्षक है, क्या ख़रीदना है और क्या बेचना है, इस पर आपको ध्यान देना ज़रूरी है. इसलिए इसमें कुछ हद तक आपके ऐक्टिव भागीदारी (involvement) की ज़रूरत होती है, भले ही आप क्रमबद्ध (staggered) तरीके से निवेश क्यों न करते हो. इसलिए अगर आपके पास वक्त, शौक़, रिस्क लेने वाला मिजाज़ है और आपको इस काम को करने में मज़ा आता है, तो शेयर में आप निवेश कर सकते है. वरना, अपना पैसा किसी अच्छी म्यूचुअल फ़ंड स्कीम में डालें. इसके अलावा, अगर आप हर महीने केवल ₹5,000- ₹10,000 तक का निवेश करते है तो आपका ऐक्टिव निवेशक होना ठीक नहीं रहेगा.

मैं कहूंगा कि आपके अनुभव के आधार पर एक वरीयता (hierarchy) है, जसे हर लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर को फ़ॉलो करना चाहिए. हर किसी को बैलेंस्ड फ़ंड या टैक्स-सेविंग फ़ंड से शुरुआत करनी चाहिए. कम से कम एक-दो साल के लिए इसमें निवेश करें, और फ़िर आप इसके उतार-चढ़ाव को समझ जाएंगे. फिर दो-तीन डायवर्सिफ़ाइड इक्विटी फ़ंड में इन्वेस्ट शुरू करिए. और अपना सारा पैसा यहां ट्रांसफ़र सकते हैं, जो बैलेंस्ड फ़ंड में जमा हुआ है. अगले दो-तीन साल तक अपने निवेश को जारी रखिए.

इन पांच सालों के बाद, अगर आपको लगता है कि आप मार्केट के उतार-चढ़ाव के साथ मेल बिठा सकते हैं, तब आपको किसी कंपनी की सालाना रिपोर्ट को पढ़ने में काफ़ी मजा आता है, क्योंकि आप समझ चुके होते हैं कि एक अच्छा स्टॉक कैसे चुनना है, और शेयर में निवेश करने का मिज़ाज कैसा होना चाहिए , भले ही वो नीचे जा रहे हो क्योंकि आपको विश्वास है कि यही सही समय है शेयर में निवेश करने के लिए. सीधे तौर पर शेयर में निवेश करने के लिए इसी तरह की समझ और स्किल की ज़रूरत पड़ती है.

बहरहाल, इसे एक बार में न करें. अपनी जमा की हुई इक्विटी का केवल 20-25 फ़ीसदी सीधे तौर पर शेयर में लगाने से शुरुआत करें. इसे एक साल तक आज़माएं. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो इसे 50 फ़ीसदी तक बढ़ा दें, और अलगे साल तक इंतज़ार करें और फ़िर इसे 75 फ़ीसदी तक बढ़ा दें. ये इक्विटी में निवेश सीखने का बेहतर तरीक़ा है. इसका फ़ायदा ये होगा कि आप उस मैनेजमेंट फ़ीस पर बचत करेंगे जो आप उनकी और दूसरी सर्विस के लिए म्यूचुअल फ़ंड में खर्च करते हैं. इसलिए मुझे नहीं लगता कि किसी को जल्दबाज़ी करनी चाहिए. इसके बजाय, आप 5 साल का प्लान बनाएं और जल्दी पैसा कमाने के लिए बाज़ार की ओर आकर्षित न हों.

अगर आप ये सोचकर बाज़ार की ओर आकर्षित हो रहे हैं कि लोग आसानी से पैसा कमा लेते हैं, तो ये ज़रूर याद रखें कि लोग उतनी ही आसानी से पैसा खोते भी हैं. इस जगह आप फ़्यूचर और ऑप्शंस की ओर भी आकर्षित हो सकते हैं. मगर इन चक्करों में न पड़िए. इसमें बहुत रिस्क है. डेरिवेटिव के लिए, वॉरेन बफ़े ने एक बार उदाहरण के तौर पर उन्हें सामूहिक विनाश के हथियार के रूप बताया था. और अगर आप इसके प्रति आकर्षित होते हैं, तो पहले इसे थोड़े से पैसों के साथ आज़माएं ताकि आप अपना सारा पैसा रिस्क में डाले बिना इसकी बारीक़ियों को समझ सकें.

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