पिछले सप्ताह मैंने बात की थी कि किस तरह से म्युचुअल फंड की कीमत को लेकर भ्रम से भरे विचार ने निवेशकों के लिए समस्याएं पैदा की। निवेशक सोचते हैं कि फंड की एनएवी उसकी कीमत है। इसकी वजह से वे फंड चुनने के लिए गलत विचार को अपना आधार बनाते हैं। इसका सबसे खराब पहलू एनएवी के आधार पर दो फंड की तुलना करना है और सोचना है कि समान एनएवी वाले फंड एक समान ही होंगे।
अब सवाल उठता है कि क्या इक्विटी निवेशक इस समस्या से बचे हुए हैं ? म्युचुअल फंड में कीमत जैसा कुछ नहीं होता है स्टॉक में कीमत होती है। स्टॉक की कीमत निवेश में बहुत अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में इक्विटी निवेशक से उम्मीद की जाती है कि वह कीमत को लेकर कोई गलत धारणा न रखे।
दुर्भाय से यह सच नहीं है। स्टॉक निवेशक स्टॉक कीमतों को लेकर गलत सोच का शिकार हो सकते हैं जिस तरह से म्युचुअल फंड निवेशक एनएवी को लेकर होते हैं। बहुत से निवेशक मानते हैं कि कम कीमत वाला स्टॉक सस्ता है इसलिए ऊंची कीमत वाले स्टॉक की तुलना में यह स्टॉक खरीदना बेहतर है। वास्तव में यहां हालात म्युचुअल फंड एनएवी की तुलना में अधिक भ्रम वाले हैं। इस विचार पर सावधानी से गौर करें। सरल शब्दों में कहें तो स्टॉक की कम कीमत इसे खरीदने का वैध कारण है और स्टॉक की ऊंची कीमत स्टॉक न खरीदने या बेचने का वैध कारण है। सभी इक्विटी निवेश में यह विचार अहम है।
हालांकि कीमतों का ऊंचा होना या कम होना अपने आप में स्टॉक खरीदने या न खरीदने के बारे में पूरी बात नहीं बताता है। कीमतें अधिक या कम किसी खास स्टॉक के लिए आपके हिसाब से वाजिब कीमत की तुलना में हैं। यह स्टॉक के बीते समय या भविष्य की कीमतों की तुलना में हो सकती हैं। 15 रुपए कीमत वाला स्टॉक एक दूसरे स्टॉक जिसकी कीमत 500 रुपए है की तुलना में सस्ता नही है। 15 रुपए कीमत वाला स्टॉक इस कीमत पर भी महंगा हो सकता है और 500 रुपए कीमत वाला स्टॉक खरीदने के लिए बेहतर स्टॉक हो सकता है। या इसक उलटा भी हो सकता है। दोनों कीमतों की तुलना नहीं की जा सकती हैं।
म्युचुअल फंड के मामले में मेरा मानना है कि इस गलत सोच को फंड बेचने वालों ने बढ़ावा दिया है। सालों से नए फंड निवेशकों को यह कह कर बेचे गए हैं कि यह फंड 10 रुपए में उपलब्ध है इसलिए यह सस्ता है। फंड बेचने वाले खास तौर से कहते हैं कि 10 रुपए वाला फंड खरीदिए जिससे इस फंड के बढ़ने की गुंजाइश काफी अधिक रहेगी। इस तरह की बात एक तरह की धोखाधड़ी है।
इसी तरह की बात सस्ते स्टॉक्स के लिए कही जाती है। यह निवेश की एक उपसंस्कृति है जो सस्ते स्टॉक खरीदने पर आधारित है और यह पूरी दुनिया में है। भारत में इसे रूपी स्टॉक्स कहा जाता है और अमेरिका में पेनी स्टॉक्स। एक समय था जब अमेरिका में इसे सिगार बट स्टॉक्स कहा जाता था। सोच यह थी कि आपने कहीं से सिगार बट हुई और मुफ्त में कुछ कश लिए। यहां तक कि इक्विटी रिसर्च टूल्स और वेबसाइट हैं जो रूपी स्टॉक्स को चुनने में मदद करती हैं।
स्टॉक्स में कीमतों का विचार इस तथ्य के द्वारा स्थापित किया गया है कि स्टॉक्स से तुलना के लिए निकाले गए रेशियो स्टैंडर्ड हैं और बहुत फायदेमंद टेक्निक है। प्राइस टू अर्निंग, प्राइस टू बुक वैल्यू जैसे रेशियो फंडामेंटल स्टॉक रिसर्च के लिए बहुत जरूरी हैं। ये रेशियो हैं। ऐसे में इसकी क्या वैल्यू होनी चाहिए के साथ अलग-अलग कंपनियों के बीच इसकी तुलना की जा सकती है। सभी निवेशक जानते हैं कि ऐसी तुलना फंडामेंटल इक्विटी रिसर्च का अहम बिंदु है। लेकिन रेशियो के विचार को कीमतों तक ले जाना एक बुनियादी गलती है। मेरा अंदाजा है कि यह बहुत से क्षेत्रों के लिए सही है लेकिन निवेशकों द्वारा यह समझने के बजाए कि चीजें कैसे काम करती हैं कॉपी पेस्ट और ट्रिक्स अपनाना लगातार मुनाफा देने वाला निवेश पोर्टफोलियो बनाने का अच्छा तरीका नहीं है।