आजकल बहुत से IPO बाज़ार में आ रहे हैं. इसके अलावा, तमाम घाटे में चल रही इंटरनेट बेस्ड कंपनियां काफ़ी ज़्यादा वैल्यूएशन पर अपना IPO लॉन्च कर रही हैं. आप इस इंडस्ट्री का क्या भविष्य देख रहे हैं और क्या म्यूचुअल फ़ंड इन कंपनियों में निवेश करेंगे? - आशीष
Mutual Funds Investment in IPO: बिल्कुल, म्यूचुअल फ़ंड IPO में निवेश करते हैं लेकिन वो ऐसा चुनिंदा IPO के साथ ही करते हैं. हाल के किसी IPO में म्यूचुअल फ़ंड्स को बड़ी रक़म निवेश करते नहीं देखा गया है. आख़िरी सबसे पॉपुलर IPO SBI कार्ड का था. IPO में कम निवेश की वजह ये भी हो कि म्यूचुअल फ़ंड के पास कई विकल्प मौजूद होते हैं जो जांचे परखे हों. IPO में प्रदर्शन की जांच संभव नहीं होती.
IPO वाली कंपनियों का गहरा अनालेसिस करने की ज़रूरत होती है. जैसे कि कंपनी कैसी है, इसका मैनेजमेंट कैसा है, और सबसे ज़रूरी है होता है कंपनी की वैल्युएशन. आमतौर पर देखा गया है कि IPO काफ़ी बड़े वैल्यूएशन पर लॉन्च होते हैं. तो, म्यूचुअल फ़ंड अगर IPO में निवेश करते हैं तो बड़ी सावधानी के साथ वो ऐसा करते हैं. IPO में रक़म, कम अवधि से लेकर मध्यम अवधि के लिए लगाई जाती है.
घाटे में चल रही कंपनियों के IPO की बात करें, तो पहले भारतीय बाज़ार में घाटे की कंपनियों को अपने IPO लॉन्च करने की अनुमति नहीं हुआ करती थी, लेकिन बाद में ये बदल गया. धीरेंद्र कुमार का मानना है कि फ़ंड मैनेजर को आपके पैसे के साथ सही फ़ैसले लेने की ज़िम्मेदारी दी गई है. इसलिए आप मान सकते हैं कि वे आपके पैसे को लेकर समझदारी भरे फ़ैसले करेंगे और हाई वैल्यूएशन वाली कंपनियों से दूर ही रहेंगे. हालांकि, कई बार ऐसा होता भी है, ख़ासतौर पर तब, जब निवेशकों की ज़्यादा मांग के चलते घाटे में चलने वाली कंपनियों के शेयरों की मांग भी ज़्यादा हो जाती है. मगर धीरेंद्र मानते हैं कि फ़ंड मैनेजर काफ़ी अनुभवी और अपने काम में माहिर होते हैं और आपके पैसों को लेकर बहुत सोच-समझकर ही फ़ैसला लेते हैं.
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