मैंने एक बार ‘मानसून, भारत का वास्तविक वित्त मंत्री’ शीर्षक से एक लेख लिखा था। यह बारिश की अहमियत पर था। यह लेख कई अलग अलग हेडलाइन से प्रकाशित हुआ था। लेकिन हर साल पतझड़ खत्म होने के साथ दिन का तापमान बढ़ने के साथ लोग मानसून के बारे में बात करने लगते हैं। आजादी के इतने दिनों बाद भी बारिश की मात्रा और गुणवत्ता इकोनॉमी के लिए सबसे अहम फैक्टर्स में से एक बनी हुई है। देश भर में रात के खाने के समय जब आम का सीजन आने के बारे में बात होने लगती है तो इकोनॉमी पर नजर रखने वाले मानसून के बारे में मौसम विभाग के अनुमान को ट्रैक करने लगते हैं। क्योंकि खरीदारी, बिक्री, निवेश और खर्च के फैसलों पर इसका सबसे अहम असर होता है।
यह लेख और हज़ारों दूसरे लेख पढ़ें
फ़्री रजिस्टर करें और जब तक चाहें पढ़ें!
रजिस्टर करेंक्या पहले से आपका अकाउंट है? लॉग इन करें