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अच्‍छा बेचा तो सब अच्‍छा

अच्‍छी खरीदारी जैसी कोई चीज नहीं होती है और सिर्फ अच्‍छी तरह से बेचना मायने रखता है अगर आप अच्‍छी तरह से नहीं बेचते हो तो खरीदारी का कोई मतलब नहीं होता है

अच्‍छा बेचा तो सब अच्‍छा

वर्षों पहले, मैंने एक फंड मैनेजर का इंटरव्‍यू किया था। उसने 21 वीं सदी की शुरूआत में जब आईटी और डॉटकॉम सेक्‍टर उभर रहा था, काफी अच्‍छा प्रदर्शन किया था। लेकिन इसके बाद बाजार में आई गिरावट में उसने बहुत खराब प्रदर्शन किया। वे ऐसे दिन थे जब जोखिम को कम करने वाले इंडस्‍ट्री/ सेक्‍टर्स नार्म्‍स नहीं थे। कुछ फंड में ऐसे नियम थे लेकिन ज्‍यादातर में नहीं थे। जब आईटी सेक्‍टर में निवेश बहुत फायदेमंद दिख रहा था उस समय ऐसे फंड भी लालच में आ गए और नियमों की परवाह नहीं की।

बाद में आए तेजी के दौर के विपरीत, वह समय खास तौर पर एक सेक्‍टर में बहुत ज्‍यादा निवेश के जोखिम से भरा हुआ था। क्‍योंकि आईटी स्‍टॉक्‍स ने बाजार की तुलना में बहुत अच्‍छा प्रदर्शन किया था। ऐसे फंड जिन्‍होंने अपने असेट का बड़ा हिस्‍सा आईटी में निवेश किया था और ऐसे फंड जो डायवर्सीफाइड रहे उनके प्रदर्शन के बीच अंतर इतना अधिक था जिसे नजरअंदाज करना मुश्किल था। पीछे मुड़ कर देखने पर लगता है कि यही वजह है कि समझदार निवेशकों ने बूम और बस्‍ट साइ‍कल से काफी कुछ सीखा।

उस इंटरव्‍यू में फंड मैनेजर ने मुझे बताया "हमने खरीदा अच्‍छा लेकिन हम अच्‍छी तरह से बेच नहीं सके”। यह दो दशक पहले की बात है। यानी उस समय मेरा अनुभव भी आज की तुलना में दो दशक कम था तो मुझे यह विचार काफी दिलचस्‍प लगा। बाद में जब मैं इसके बारे में और सोच रहा था तो मेरा रवैया इस विचार को लेकर कम पॉजिटिव हो गया। वास्‍तव में यह मेरे लिए एक निवेशक के लिहाज से पूरा फायदा न उठा पाने वाला रवैया बन गया। प्रोफेशनल फंड मैनेजर की बात ही क्‍या करना।

निवेश की बात करें तो सबसे अहम बेचना है। आप रकम बनाने के लिए निवेश करते हैं। जब आप खरीदते हैं तो कोई और रकम बनाता है। जब आप बेचते हो तभी आप रकम बना सकते हो। जब हम किसी फंड या किसी और चीज में निवेश करते हैं तो हम कुछ भी हासिल नहीं करते हैं। वास्‍तव में जब हमारे बैंक अकाउंट से रकम म्‍यूचुअल फंड होल्डिंग में बदल जाती है तो जोखिम और अनिश्चितता बढ़ जाती है। निवेश के अंत में जब निवेश वापस कैश में बदलता है तो हमें अपना गोल मिलता है।

दिलचस्‍प बात यह है कि एक ओपेन एंड म्‍यूचुअल फंड के फंड मैनेजर के लिए यह लम्‍हा कभी नहीं आता है। वास्‍तव में, इक्विटी निवेशक को यह बात भी समझनी चाहिए कि यह लम्‍हा उस कंपनी के मैनेजमेंट के लिए कभी नहीं आता जिसके स्‍टॉक्‍स में उन्‍होंने निवेश किया है। यह लगातर चलने वाली गतिविधि है जिसकी सफलता हर रोज की एनएवी या सालाना रिटर्न या हर साल के मुनाफे या इसी तरह की कुछ और चीजों से मापी जाती है। इसलिए, यह सुनिश्चित करने की जिम्‍मेदारी हमारी है कि हम सिर्फ अच्‍छी खरीदारी में ही न सीमित हो जाएं और अच्‍छी तरह से बेच न पाएं। अच्‍छी खरीदारी जैसी कोई चीज नहीं होती, सिर्फ अच्‍छी तरह बेचना होता है क्‍योंकि अगर आप अच्‍छी तरह नहीं बेचते हैं तो खरीदारी का कोई मतलब नहीं होता है।

तो आप कैसे अच्‍छा बेचते हैं ? इसका जवाब बहुत साफ है न सिर्फ अच्‍छे फंड चुनना और अच्‍छे फंड खरीदना बल्कि लगातार अपने निवेश की निगरानी करना और कदम उठाने के लिए तैयार रहना। यह बात कहना आसान है लेकिन करना उतना ही मुश्किल है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि ज्‍यातर भारतीय निवेशक ज्‍यादा से ज्‍यादा संख्‍या में फंड खरीदना और रखना चाहते हैं। मैं अक्‍सर लिखता हूं कि दो जो सबसे खराब चीजें हम करते हैं उनमें एक है कि हम कई सारे फंड इकठ्टा करते हैं और दूसरा, उनको ठीक से मॉनीटर नहीं करते हैं। दूसरी चीज पहले की सिर्फ बाइ प्रोडक्‍ट है। जब बात इन्‍वेस्टिंग की आती है तो जितना कम हो उतना ही अच्‍छा है वाली बात अहम हो जाती है। चाली मंगर ने कहा है "मुझे चार या पांच निवेश चुनना काफी आसान लगता है जहां इस बात की संभावना काफी अधिक है कि मेरा फैसला सही होगा। मेरा मानना है कि 100 निवेश चुनने से पांच निवेश चुनना ज्‍यादा आसान है। मैं इसे डिवर्सीफिकेशन कहता हूं”।

हालांकि जब आपके पास कुछ ही फंड हैं तो इनको मॉनिटर किया जाना चाहिए अगर जरूरी हो फंड को बेच कर दूसरे फंड खरीदने चाहिए। वैल्‍यू रिसर्च के पास इसका बहुत सरल जवाब है। जवाब यह है कि हम हमारी प्रीमियम सर्विस के मेंबर बन जाएं। एक बहुत आसान कदम उठाने से आपको चार क्षमताएं मिल जाएंगी।

· अपने गोल को साफ तौर पर देख पाने का तरीका मिलेगा
· इस गोल के लिए निवेश का सेल और निवेश के बारे में सुझाव
· इस बात को प्रमाणित करता है कि आपका मौजूदा निवेश आपके गोल के लिए सही है और अगर ऐसा नहीं है तो बदलाव का सुझाव देता है।
· यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार आपके निवेश को मॉनिटर करना कि निवेश गोल तक पहुंचने के लिए सही ट्रैक पर है और जरूरत पड़ने पर बदलाव का सुझाव देना।

यहां पर आखिरी बात को निवेशक और एडवाइजर आम तौर पर उतनी अहमियत नहीं देते लेकिन हमारे यह सबसे अहम है। निवेश को ट्रैक करने के सरल तरीके के विपरीत अपने निवेश को मौजूदा और कम अवधि की क्‍वालिटी पर लगातार खुद को अपडेट रखने में लगातार रिसर्च करना पड़ता है। ट्रैकिंग, मॉनिटरिंग और बदलाव। ये चीजें सुनिश्चित करती हैं कि एक दिन आप अच्‍छा बेचेंगे।

लेकिन अच्‍छी शुरूआत के लिए आपको to vro.in/premium ! पर जाना होगा।


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