नवीन मित्तल एक जानी-मानी इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेल आउटलेट में सेल्स मैनेजर हैं। वे कॉलेज से निकलने के बाद इस कंपनी में पिछले छह साल से काम कर रहे हैं। वे सिर्फ पांरपरिक डेट आधारित इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर रहे हैं। हालांकि 2017 में उनके बैंक ने उनको एक वेल्थ मैनेजर बीके मूर्ति असाइन किया। मूर्ति का काम इक्विटी बेस्ड इंस्ट्रूमेंट में निवेश शुरू करने में नवीन की मदद करना था।
मूर्ति ने नवीन को एक शानदार प्रेजेंटेशन किया। प्रेजेंटेशन में बताया कि किस तरह से एसआईपी के जरिए इक्विटी में निवेश करते हुए वे कैसे दोहरे अंकों में रिटर्न यानी 12-14 फीसदी से भी अधिक रिटर्न हासिल कर सकते हैं। नवीन को यह प्रेजेंटेशन काफी पसंद आया। वे मीडिया में चल रहे म्युचुअल फंड सही है एड कैंपेन से पहले से ही काफी प्रभावित थे।
हाल के सालों में बड़े पैमाने पर नवीन जैसे ही बहुत से उत्साही निवेशकों ने म्युचुअल फंड में निवेश शुरू किया है। सेबी के चेयरमैन ने भारतीय म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के संगठन एएमएफआई की 25 वीं सालाना आम बेठक को संबोधित करते हुए कहा था कि मार्च में 2015 में पोर्टफोलियो की संख्या 4.16 करोड़ थी जो अगस्त 2020 में बढ़ कर 9.26 करोड़ हो गई। यानी सालाना आधार पर 15-16 फीसदी ग्रोथ रही। यही नहीं हमने पिले पांच फाइनेंशियल ईयर में सालाना निवेश का कुल प्रवाह 1.89 लाख करोड़ रुपए रहा है। और मौजूदा वित्त वर्ष के पहले पांच माह में 1.99 लाख रुपए पहले ही आ चुके हैं। इससे पता चलता है कि लोग किस तरह से हाल के सालों में बड़े पैमाने पर म्युचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं।
हालांकि, पिछले साल खास कर मार्च की बड़ी गिरावट के बाद नवीन जैसे निवेशकों के लिए रिटर्न बहुत बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। इसके विपरीत नवीन के नए सेल्स एसोसिएट लकी सिंह एकमुश्त रकम निवेश करते हुए चार पांच माह की अवधि में लगभग 20 से 25 फीसदी रिटर्न हासिल किया है। उन्होंने यह निवेश बाजार में तेज गिरावट के बाद किया था।
साफ है कि नवीन सालों तक एसआईपी में अनुशासन के साथ निवेश करने के बावजूद अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन की वजह से निराश हैं। उनके सहयोगी ने एकमुश्त निवेश पर ऊंचा रिटर्न हासिल किया है। इसकी वजह से नवीन का एसआईपी पर शक बढ़ गया है।
नवीन जैसे नए निवेशकों को एसआईपी के विचार को नए सिरे से याद करना चाहिए। हम लोगों में से ज्यादातर लोग हर माह इनकम हासिल करते हैं। एसआईपी के जरिए आप अपनी हर माह की छोटी बचत को निवेश करते हुए लंबी अवधि में बड़ी रकम में बदल सकते हैं। दूसरी बात, एसआईपी के जरिए निवेश करने से निवेश की लागत औसत हो जाती है क्योंकि आप पूरे मार्केट साइकल में निवेश करते हैं। कभी बाजार ऊपर होता है और कभी नीचे। इसके अलावा एसआईपी आपको निवेश को लेकर अनुशासित बनाती है।
यह सही है कि अगर आपने मार्च में एकमुश्त रकम निवेश की होती तो आपको शानदार रिटर्न मिला होता। लेकिन यह आपके लिए तभी फायदेमंद हो सकता है जब आपको पता हो कि बाजार में क्या होने वाला हो। यह बात कोई नहीं जानता है कि बाजार में कब बड़ी गिरावट आएगी। गिरावट के इंतजार में हो सकता है कि आपको बाजार के बाहर बैठ कर लंबे समय तक इंतजार करना पड़े। इससे आपको रिटर्न का नुकसान होगा। इसके अलावा बाजार में गिरावट के दौरान हो सकता है कि आप निवेश को लेकर भरोसा न जुटा पाएं। क्योंकि इस बात की संभावना हमेशा रहती है कि बाजार और गिरेगा।
यह सही है कि अगर आपने मार्च में एकमुश्त रकम निवेश की होती तो आपको शानदार रिटर्न मिला होता। लेकिन यह आपके लिए तभी फायदेमंद हो सकता है जब आपको पता हो कि बाजार में क्या होने वाला हो। यह बात कोई नहीं जानता है कि बाजार में कब बड़ी गिरावट आएगी। गिरावट के इंतजार में हो सकता है कि आपको बाजार के बाहर बैठ कर लंबे समय तक इंतजार करना पड़े। इससे आपको रिटर्न का नुकसान होगा। इसके अलावा बाजार में गिरावट के दौरान हो सकता है कि आप निवेश को लेकर भरोसा न जुटा पाएं। क्योंकि इस बात की संभावना हमेशा रहती है कि बाजार और गिरेगा।
तो आप एसआईपी को बाजार से जुड़ी चिंताओं की दवा समझ सकते हैं। एसआईपी के जरिए निवेश करते हुए आपको बाजार के उतार चढ़ाव की चिंता नहीं करनी होती है क्योंकि आप बाजार के हर दौर में निवेश करते हैं। लंबी अवधि में आपका रिटर्न बाजार के उतार चढ़ाव को अपने आप समायोजित कर लेता है।