34 साल निशांत एक IT कंपनी में काम करते हैं. उन्होंने और उनकी पत्नी सृष्टि ने एक घर लिया है, जिसमें दोनों पति-पत्नी अपनी चार साल की बेटी के साथ रहेंगे. निशांत अपने रिटायरमेंट और बेटी की शादी और पढ़ाई के लिए निवेश के बारे में सलाह चाहते हैं.
PPF लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए क्यों बेहतर नहीं है
- निशांत जानना चाहते हैं कि लॉन्ग-टर्म निवेश के तौर पर PPF कितना अच्छा विकल्प रहेगा. अब तक उन्होंने PPF अकाउंट में ₹4.7 लाख जुटा लिए हैं. निशांत को इन बातों पर ग़ौर करना चाहिए.
- PPF पूरी तरह से डेट (debt) पर आधारित प्रोडक्ट है. आम तौर पर इक्विटी (equity) लंबे समय में ज़्यादा रिटर्न देती है. ऐसे में ये बड़ी रक़म बनाने में मदद करती है. इस स्थिति में लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए इक्विटी आपकी स्वाभाविक पसंद होनी चाहिए न कि डेट.
ये बात सही है कि PPF में ₹1.5 लाख तक निवेश करने पर इनकम टैक्स से छूट मिलती है. इसके बजाए, निशांत इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ELSS या टैक्स सेविंग फ़ंड में निवेश करके टैक्स बचा सकते है. PPF में लॉक-इन पीरिअड 15 साल है. वहीं ELSS में लॉक-इन सिर्फ़ तीन साल का है. लिक्विडिटी के लिहाज़ से भी ELSS बेहतर है.
निशांत को उनका लक्ष्य कैसे मिलेगा?
निशांत अपने लॉन्ग-टर्म गोल को हासिल करने के लिए ELSS, इम्पलाइज़ प्रॉविडेट फ़ंड EPF, नेशनल पेंशन स्कीम यानी NPS और अग्रेसिव हाइब्रिड/ फ़्लेक्सी कैप फ़ंड का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें उनकी बेटी की 13 साल में हायर एजुकेशन, 22 साल में शादी ओर 26 साल में उनका रिटायरमेंट भी शामिल है.
उनकी बेटी की शादी की मौजूदा अनुमानित लागत ₹10 लाख है. महंगाई के हिसाब से जोड़ने पर जब उन्हे पैसों की ज़रूरत होगी, तब तक ये लागत ₹21 लाख हो जाएगी. इसी तरह से आज बेटी पर जो ख़र्च लगभग ₹15 लाख का होगा. महंगाई की वजह से शादी के समय तक यही ख़र्च बढ़ कर लगभग ₹54 लाख हो जाएगा. ₹7,000 की मंथली SIP इन दोनों लक्ष्यों को पूरा करने के लिए काफ़ी नहीं होगी. हालांकि इसके लिए ज़रूरी है कि वे SIP की रक़म हर साल 10 प्रतिशत तक बढ़ाते रहें. इस कैलकुलेशन में ये माना गया है कि महंगाई दर 6 प्रतिशत रहेगी. निशांत को अपने लक्ष्य के क़रीब पहुंचने से एक या दो साल पहले ही पैसा इक्विटी से निकाल कर फ़िक्स्ड इनकम निवेश में शिफ़्ट करना शुरू करना होगा.
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निशांत को रिटायर होने के समय ₹6.6 करोड़ की ज़रूरत होगी. इसके लिए उनको नीचे बताई गई बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है.
- बाक़ी ₹13,000 का सरप्लस और EPF कॉर्पस रिटायरमेंट के लिए रखें.
- निवेश की रक़म सालाना 10 फ़ीसदी बढ़ाते रहें.
- ELSS और NPS के ज़रिए ज़्यादा से ज़्यादा टैक्स बेनिफ़िट हासिल करें.
- बचत करके पैसे को किसी अच्छे अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड में निवेश करें.
- इक्विटी का तीन से पांच साल तक अनुभव लेने के बाद इसे फ़्लेक्सी कैप फ़ंड में शिफ़्ट कर दें.
- रिटायरमेंट से दो तीन साल पहले रिटायरमेंट कॉर्पस का एक हिस्सा फ़िक्स्ड इनकम में शिफ़्ट करना शुरू करें.
- रिटायरमेंट के बाद भी कम-से-कम एक तिहाई कॉर्पस इक्विटी में निवेश करें. इस प्लान में रिटायरमेंट के बाद रिटर्न आठ प्रतिशत माना गया है.
एक्स्ट्रा टैक्स बचाने के लिए NPS में निवेश करें
NPS में निवेश करते हुए निशांत, सेक्शन 80CCD (1B) ₹50,000 तक की अतिरिक्त टैक्स छूट पा सकते हैं.
- NPS में आपका निवेश 60 साल की उम्र तक के लिए लॉक हो जाता है. रिटायरमेंट पर आपको कुल कॉपर्स की 40 फ़ीसदी रक़म से एन्युटी प्लान ख़रीदना होगा.
- NPS में निवेश करते हुए निशांत को ऐसा ऑप्शन चुनना चाहिए, जो कुल रक़म के 75 फ़ीसदी तक इक्विटी में निवेश की अनुमति देता है. निशांत इक्विटी में निवेश कर सकते हैं क्योंकि उनका रिटायरमेंट अभी काफ़ी दूर है.
टैक्स बचाने वाले निवेश को लॉन्ग-टर्म गोल से जोड़ें
अपने टैक्स बचाने वाले निवेश को लॉन्ग-टर्म गोल से जोड़ कर आप न ही सिर्फ़ टैक्स बचा सकते हैं बल्कि एक बड़ा कॉर्पस भी बना सकते हैं. निशांत के मामले में ये उनका रिटायरमेंट या उनकी बेटी की शिक्षा और शादी के लिए हो सकता है.
हर साल निवेश की रक़म को बढ़ांए
आप SIP के ज़रिए हर साल निवेश की रक़म बढ़ा कर न सिर्फ बड़ा पैसा बना सकते हैं बल्कि जल्दी से अपना गोल हासिल कर सकते हैं.
इन बातों को न करें नज़रअंदाज़
- आपके पास एक इमरजेंसी कॉर्पस होना चाहिए जो कि कम से कम आपके 6 महीने के ख़र्च के बराबर हो. इमरजेंसी कॉर्पस की रक़म स्वीप-इन फ़िक्स्ड डिपॉज़िट और लिक्विड फ़ंड में रखें.
- लाइफ इंश्योरेंस ज़रूर ख़रीदें. ये आपकी ज़रूरतों को पूरा करने लायक़ हो सकता है.
- फ़ैमिली के लिए एक हेल्थ कवर ज़रूर लें, भले ही आपकी कंपनी ने हेल्थ इन्श्योरेंस कवर मुहैया कराया हो.
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