टैक्स प्लानिंग के लिए आपके पास अब भी कुछ समय बचा है। फरवरी और मार्च में अचानक लोगों को पता चलता है कि उन्होंने वित्तीय वर्ष की शुरूआत में कंपनी को टैक्स सेविंग डिक्लेयरेशन दिया था। और अगर अब वे निवेश नहीं करेंगे उनकी सैलरी से टीडीएस कट जाएगा। टीडीएस कटने की नौबत न आए इसके लिए वे आनन फानन में वे टैक्स बचाने वाले निवेश के कुछ विकल्पों में निवेश करके राहत की सांस लेते है। चलो अब टैक्स तो नहीं कटेगा।
लेकिन टैक्स प्लानिंग के लिहाज से लोगों का यह व्यवहार आम तौर पर लंबी अवधि में बड़े नुकसान का सबब बनता है। ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि टैक्स बचाने के लिए आनन फानन में वे निवेश के ऐसे विकल्पों में निवेश कर बैठते हैं जो न सिर्फ बहुत मामूली रिटर्न देता है बल्कि रकम को भी लंबी अवधि के लिए लॉक कर देता है। यानी ऐसे निवेश का लॉक इन पीरियड काफी लंबा होता है। इसके अलावा इन्श्योरेंस प्लान जैसे टैक्स सेविंग निवेश में एक बार निवेश शुरू कर देने के बाद आपको अगले कुछ सालों तक मजबूरी में निवेश करना होता है क्योंकि इसमें कुछ सालों तक निवेश करना जरूरी होता है।
टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट शुरू करने का सबसे सही समय तो वित्त वर्ष की शुरुआत में ही होता है। लेकिन अगर आप ने अब तक टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट की शुरूआत नहीं की है तो आप इस लेख को रिमाइंडर समझ सकते हैं। अगर आप इन्वेस्टमेंट की शुरूआत नए वित्त वर्ष के साथ ही कर देते हैं तो आपके पास समय रहता है और आप अपने लिए टैक्स सेविंग के सही विकल्प चुन सकते हैं। आपको आखिरी समय में एक बार में ही बड़ी रकम का निवेश नहीं करना पड़ेगा और आपकी जेब पर भी अचानक बड़ा बोझ नहीं पड़ेगा। इसके अलावा अगर आप मार्केट लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट जैसे टैक्स सेविंग फंड में निवेश कर रहे हैं तो आपके निवेश की लागत भी औसत हो जाएगी।
वैसे तो टैक्स बचाने के कई तरीके हैं। लेकिन हम यहां इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट की बात कर रहे हैं। सेक्शन 80 सी के तहत आप एक साल में 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स छूट क्लेम कर सकते है। सेक्शन 80 सी के तहत निवेश के विकल्पों में टैक्स सेविंग फंड यानी ईएलएसएस, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, इम्पलाईज प्रॉविडेंट फंड, टैक्स सेविंग डिपॉजिट, नेशनल पेंशन सिस्टम और इन्श्योरेंस पॉलिसी शामिल है।
80 सी के तहत निवेश के विकल्पों में टैक्स सेविंग फंड यानी ईएलएसएस खास है। टैक्स सेविंग फंड आपकी रकम इक्विटी में लगाता है जिससे लंबी अवधि में आपकी रकम तेजी से बढ़ती है। 80 सी के तहत आने वाले निवेश के सभी विकल्पों में लॉक इन की अवधि होती है। ऐसे में आपके लिए ऐसे विकल्प में निवेश करना बेहतर होगा जो ऊंचा रिटर्न दे सके। टैक्स सेविंग फंड दूसरे इक्विटी लिंक्ड प्रोडक्ट की तुलना में ज्यादा पारदर्शी है। टैक्स सेविंग फंड में लॉक इन पीरियड सिर्फ तीन साल का है जबकि इन्श्योरेंस प्लान में लॉक इन पीरियड 5 साल का है। वहीं पीपीएफ में लॉक इन पीरियड 15 साल और एनपीएस में रिटायरमेंट तक है।
लेकिन आपको ईएलएसएस में एकमुश्त रकम निवेश करने से बचना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो हो सकता है कि आपकी सारी रकम बाजार में उस समय निवेश हो जब बाजार अपने उच्चतम स्तर पर हो। और ऐसे में बाजार गिरने पर रिटर्न को लेकर आपका अनुभव खराब हो सकता है। और आगे शायद आप निवेश ही न करें। ऐसे में टैक्स सेविंग फंड में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी के जरिए निवेश करना बेहतर है। एसआईपी न सिर्फ आपके निवेश की लागत को औसत कर देती है बल्कि रिटर्न के अनुभव को भी बेहतर बनाती है।
अपने टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट को लंबी अवधि के नजरिए से देखना भी अहम है। अगर आप इसे रिटायरमेंट प्लानिंग से जोड़ दें तो यह और भी बेहतर होगा। इससे आपको न सिर्फ लंबी अवधि के लक्ष्य के लिए रकम जुटाने में मदद मिलेगी बल्कि आप टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट को लेकर ज्यादा जिम्मेदार होंगे। और यहां रकम जुटाने के लिए लिहाज से एसआईपी आपकी उम्मीद से भी बेहतर नतीजे दे सकती है। मान लेते हैं कि आप हर माह 12,500 रुपए (lसालाना 1.50) लाख टैक्स सेविंग फंड में निवेश करते हैं और इस पर सालाना 12 फीसदी रिटर्न मिलता है। आपने निवेश 25 साल की उम्र में शुरू किया है और 60 साल की उम्र होने तक निवेश जारी रखते हैं। ऐसे में इन 35 सालों में आप 8.04 करोड़ रुपए की रकम जुटा लेंगे। ऐसा आप अनुशासन के साथ नियमित तौर पर एसआईपी में निवेश करते हुए और टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट को गंभीरता से लेते हुए कर पाएंगे।
चीन में एक कहावत बहुत लोकप्रिय है। पेड़ लगाने का सबसे अच्छा समय 20 साल पहले था। और दूसरा सबसे अच्छा समय अब है।