कुछ दिन पहले की बात है। मैं अपनी सोसायटी के पार्क में बैठा था। छुट्टी का दिन था। पार्क में और लोग भी धूप का आनंद ले रहे। वहीं पर एक शख्श से मुलाकात हुई। वे आईटी प्रोफेशनल हैं। मैंने भी बताया कि मैं वैल्यू रिसर्च में काम करता हूं।
बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा तो पता चला कि वे म्युचुअल फंड एसआईपी में निवेश कर रहे हैं। एसआईपी के जरिए म्युचुअल फंड में निवेश करना वैसे भी बेहतर होता है। फिर पता चला कि वे बहुत सारी एसआईपी कर रहे हैं। कुल मिला कर वे एसआईपी के जरिए 10 से 12 फंडों में निवेश कर रहे हैं।
मैंने पूछा इतने ज्यादा फंड आपने क्यों ले रखे हैं तो पहले तो वे कुछ बता नहीं पाए। बोले ऐसे ही नए- नए फंड खरीदता गया। थोड़ा कुरेदने पर पता चला कि किसी एजेंट ने उनको ये फंड बेच दिए थे। या किसी ने बता दिया कि फला फंड बहुत अच्छा है तो उन्होंने खरीद दिया। ऐसा करते- करते उनके फंडों की संख्या 12 तक पहुंच गई।
कुल मिला कर बात यह थी कि मेरी सोसायटी के इस उत्साही निवेशक ने निवेश के प्रति उत्साह तो दिखाया लेकिन निवेश के बारे में बुनियादी जानकारी जुटाने की जहमत नहीं उठाई। जबकि वे अच्छी तरह पढ़े लिखे प्रोफेशनल हैं। और निवेश के बारे में बुनियादी जानकारी आसानी से जुटा सकते हैं। मैंने उनको बताया भी कि वे वैल्यू रिसर्च की वेबसाइट पर जाकर निवेश के बारे में ज्यादातर जानकारी हासिल कर सकते हैं।
अगर मेरी सोसायटी में रहने वाले निवेशक को पता होता कि 10 या 12 फंडों में निवेश करने से उसके लिए अपने निवेश पर नजर रखना मुकिश्ल हो जाएगा। इसके अलावा उसके 10 12 फंडों में से कई फंड एक ही तरह के हैं। यानी इतने ज्यादा फंड रखने से उनको डायवर्सीफिकेशन के मोर्चे पर भी कोई खास फायदा नहीं हुआ। तो शायद वे इतने ज्यादा फंडों में निवेश नहीं करते। किसी भी निवेशक के लिए तीन चार अच्छे फंड निवेश के लिए बहुत हैं। इससे ज्यादा फंडों में निवेश का कोई मतलब नहीं है।