आजकल ज्यादातर निवेशक एसआईपी की अहमितय जानते हैं। वे जानते हैं कि इसके जरिए बड़ी रकम बनाई जा सकती है। लेकिन बहुत से निवेशक यह भी जानना चाहते हैं कि उनकी एसआईपी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन क्यों नहीं कर रही है या उनकी रकम तेजी से क्यों नहीं बढ़ा रही है। वैसे तो इसकी कई वजह हो सकती हैं। हो सकता है कि जबसे आपने एससआईपी में निवेश शुरू किया हो तब से बाजार गिर रहा हो। या आपने एसआईपी बढ़ते बाजार में की हो और अब बाजार में गिरावट का दौर हो। या हो सकता है कि आपको एसआईपी शुरू किए हुए कुछ ही माह हुए हों। इन सब वजहों में से एक बड़ी वजह यह हो सकती है कि आपने एसआईपी के लिए गलत फंड का चुनाव कर लिया हो।
दिलचस्पत बात यह है कि निवेशक इस बात पर चौंक जाता है कि उसने गलत फंड चुन लिया है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि निवेशक एसआईपी को निवेशक का तरीका नहीं बल्कि निवेश का विकल्प समझता है। इसीलिए जब निवेशक से पूछा जाता है कि वे कहां निवेश कर रहे हैं तो वे अक्सर कहते हैं एसआईपी में। एसआईपी सिर्फ निवेश का एक तरीका है। इसके जरिए आप सिस्टमेटिक तरीके से इक्विटी फंड में निवेश करते हैं। ऐसा करते हुए आप अपनी पूरी रकम बाजार के उच्चतम स्तर पर निवेश होने की गुंजाइश को कम करते हैं और आपके निवेश की लागत औसत हो जाती है। जब बाजार गिरता है तो आपकी एसआईपी को इक्विटी फंड की ज्यादा यूनिट मिलती है। और जब बाजार चढ़ता है तो आपकी एसआईपी को कम यूनिट मिलती है। कुल मिला कर एसआईपी अनुशासित तरीके से निवेश करने और छोटी छोटी रकम निवेश करके बड़ा कॉर्पस बनाने में मदद करती है। लेकिन अगर आपने ऐसे फंड में निवेश किया है जो पिछले काफी समय से अपनी कैटेगरी के दूसरे फंड की तुलना में खराब प्रदर्शन कर रहा है तो ज्यादा संभावना इस बात की है कि आप औसत से भी कम रिटर्न हासिल करेंगे। भले ही आप एसआईपी के जरिए निवेश कर रहे हों। ऐसे में एसआईपी के लिए सही फंड चुनना बेहद अहम हो जाता है। तो आप ऐसा कैसे करेंगे? हम आपको इसके लिए कुछ गाइडलाइंस दे रहे हैं।
सही कैटेगरी चुनें: बाजार में कई तरह के इक्विटी फंड होते हैं। ये इक्विटी फंड छोटी बड़ी और मझोली कंपनियों में आपकी रकम निवेश करते हैं। सबसे पहले इन फंडों में से अपनी जरूरत के हिसाब से सबसे उपयुक्त फंड चुनें। कुछ इक्विटी फंड आपकी रकम का बड़ा हिस्सा लार्ज कैप यानी बड़ी कंपनियों में निवेश करते हैं। कुछ इक्विटी फंड मिड कैप यानी मझोली कंपनियों में। कुछ फंड आपकी रकम सिर्फ एक सेक्टर या थीम में निवेश करते हैं। मल्टी कैप फंड छोटी बड़ी सभी तरह की कंपनियों में निवेश कर सकते हैं। ऐसे में ये बाजार के अवसरों को बेहतर तरीके से भुना सकते हैं। जो लोग अतिरिक्त रिटर्न के लिए थोड़ा ज्यादा जोखिम लेना चाहते हैं वे मिड और स्माल कैप फंडों को चुनने पर भी विचार कर सकते हैं। और अगर आप टैक्स बचाना चाहते हैं तो आप टैक्स सेविंग फंड में निवेश कर सकते हैं।
लंबी अवधि के रिटर्न का आंकलन करें: इक्विटी फंड का आंकलन करते समय अक्सर निवेशक एक बड़ी गलती करते हैं। वे फंड का सिर्फ पिछले चार छह माह का ही रिटर्न देखते हैं। कोई फंड कम अवधि में जोखिम अधिक लेने के कारण या बाजार में बढ़त का दौर होने की वजह से अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। लेकिन बाद में ऐसे फंड अपना प्रदर्शन बरकरार नहीं रख पाते हैं। ऐसे आपको फंड चुनते समय पिछले 5 या 10 साल का रिटर्न देखना चाहिए। इसके अलावा यह देखना भी जरूरी होता है कि 2008 जैसी बड़ी गिरावट के दौर में फंड कितना गिरा। बाजार में बड़ी गिरावट के दौर में खुद को बड़ी गिरावट से बचाने की क्षमता रखने वाले फंड निवेश के लिए बेहतर होते हैं।
फंड मैनेजमेंट की स्थिरता चेक करें। आपको फंड के फंड मैनेजर का कार्यकाल चेक करना चाहिए। अगर फंड काफी सालों से फंड मैनेज कर रहा है तो यह अच्छी बात होती है। एक अनुभवी फंड मैनेजर बाजार के उतार चढाव के कई दौर देख चुका होता है और वह जानता है कि मुश्किल समय के फंड को कैसे संभाला जाए। इसके अलावा मैनेजमेंट की स्टाइल में निरंतरता भी अहम बात होती है जिस पर निवेशक को गौर करना चाहिए।
खर्च की करें तुलना: लंबी अवधि में फंड एक्सपेंश यानी खर्च आपके कुल रिटर्न में बड़ा अंतर पैदा कर सकता है। ऐसे में फंड के खर्च को चेक करें। लेकिन इसे फंड चुनने का सबसे अहम कारक न बनाएं। अगर आप खुद से फंड चुन सकते हैं और उसके प्रदर्शन पर नजर रख सकते हैं तो आपको डायरेक्ट प्लान लेना चाहिए। इसमें डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन नहीं होता है। वहीं, अगर आपको फंड के प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए फाइनेंशियल एडवाइजर या डिस्ट्रीब्यूटर की मदद चाहिए तो आपके लिए रेग्युलर प्लान में निवेश करना बेहतर है। आखिरी बात इक्विटी फंड में निवेश करना है तो एसआईपी के जरिए निवेश करना सबसे अच्छा तरीका है। एक अच्छे फंड में की गई एसआईपी लंबी अवधि में आकर्षक रिटर्न दिलाने में मदद करती है।