चीजें धीरे धीरे बदलती हैं या यूं कहें कि बेहतर होती हैं। अगर हम भारत में म्युचुअल फंड के सफर को देखें तो यह बात साफ नजर आती है। पहले क्लोज्ड एंड प्लान का चलन था फिर बाजार में ओपेन एंड प्लान आए। एक समय बाजार में सिर्फ रेग्युलर प्लान थे फिर डायरेक्ट प्लान आए और ऊंचे कमीशन के बाद कम कमीशन का दौर आया। एक समय बाजार में एक्टिव फंड का बोलबाला था फिर पैसिव फंड भी आए। इसी तरह से सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी भी बाजार में आई। आज बहुत से निवेशक इस बात को मानते हैं कि एसआईपी एकमुश्त निवेश की तुलना में इक्विटी में निवेश का बेहतर तरीका है।
एसआईपी कोई जादू नहीं है। यह निवेश करने का एक सुव्यवस्थित तरीका है। आप एक तय समय पर खास हर महीने एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं। इससे आप में निवेश को लेकर अनुशासन आता है। अनुशासन के अलावा एसआईपी इक्विटी निवेशकों को बाजार के उतार चढ़ाव से भी बचाती है। कम अवधि में उतार चढ़ाव बाजार का अभिन्न हिस्सा है। इससे बचा नहीं जा सकता। ऐसे में जरूरत ऐसे तंत्र की है जो इसके असर को खत्म कर सके। जब आप एसआईपी के जरिए बाजार में हर माह नियमित तौर पर निवेश करते हैं तो आप का पैसा बाजार में बढ़त के दौर में भी लगता है और गिरावट के दौर में भी। जब आप बाजार में तेजी होने पर निवेश करते हैं तो आपकी एसआईपी को कम यूनिट मिलती है और जब आप गिरावट के दौर में निवेश करते हैं तो एसआईपी को ज्यादा यूनिट मिलती है। इस तरह से आपकी कुल निवेश लागत औसत हो जाती है।
बाजार कब चढ़ेगा या कब गिर जाएगा। इसका सही अनुमान लगाना संभव नहीं है। यानी आप बाजार की चाल नहीं भांप सकते। अगर बाजार में निवेश के लिए सही समय आने का इंतजार करेंगे तो शायद यह समय कभी नहीं आएगा। बाजार में तेजी का दौर सालों तक रह सकता है और गिरावट का दौर महीनों तक रह सकता है। एसआईपी आपको इस मुश्किल से बचाती है। आपको इस पर माथापच्ची करने की जरूरत ही नहीं है कि निवेश का सही समय कौन सा है। एसआईपी आपको कई गलत फैसलों से भी बचाती है। ये गलत फैसले आपके निवेश के अनुभव को खराब कर सकते हैं। जैसे जब बाजार गिरना शुरू होता है तो बहुत से निवेशक एसआईपी बंद कर देते हैं। उनको लगता है कि वे पूंजी गंवा देंगे। इसके अलावा कई निवेशक बाजार में तेजी का दौर आने पर एसआईपी शुरू करते हैं। वे बाजार में तेजी के दौर में मुनाफा कमाने का मौका गंवाना नहीं चाहते।
निवेश को रखें सरल: अगर आप चाहते हैं कि एसआईपी आपको ज्यादा से ज्यादा मुनाफा दे तो आपको इसे सरल रखना होगा। आजकल एसआईपी में नए नए फीचर आ गए हैं। यानी एसआईपी भी कई तरह की हैं। ऐसी एसआईपी में आप निवेश की रकम अलग अलग हालात के हिसाब से कम या ज्यादा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए एसआईपी का एक फीचर आपको बढ़ते बाजार में निवेश की रकम कम करने और गिरते बाजार में निवेश की रकम बढ़ाने की अनुमति देता है। इससे जब शेयर सस्ते होते हैं तो आपको ज्यादा निवेश करने में मदद मिलती है। कई निवेशकों का इस ती की जटिल एसआईपी आकर्षित करती है। कागज पर जटिल एसआईपी ज्यादा आकर्षक लगती है। लेकिन जटिल एसआईपी को मैनेज करना मुश्किल होता है। इन मुश्किलों को आसानी से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए ऊपर बताई गई एसआईपी के जरिए निवेश करने से निवेशक को नुकसान भी हो सकता है। मान लेते हैं कि बाजार में तेजी का दौर लंबे समय तक बना रहता है तो आपका कम पैसा निवेश होगा ऐसे में एसआईपी में कम रकम जाएगी और बाजार में लंबे समय तक गिरावट का दौर रहता है तो ज्यादा वित्तीय दबाव पड़ेगा। हमारी रिसर्च बताती है कि सरल एसआईपी ही निवेश का सबसे बेहतर तरीका है। यह रिटर्न के लिहाज से और निवेश करने के लिहाज से भी बेहतर है। ऐसे में अपनी एसआईपी को जटिल बनाने का प्रयास न करें।
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