पहली बात...

टैक्‍स बचाने के लिए कैसे चुनें सही ऑप्‍शन

टैक्‍स बचाने के लिए आपको ऐसे ऑप्‍शन चुनने चाहिए जो आपकी जोखिम उठाने की क्षमता और वित्‍तीय जरूरतों के हिसाब से सही हों

टैक्‍स बचाने के लिए कैसे चुनें सही ऑप्‍शन

आप इन्‍श्‍योरेंस, फिक्‍स्ड इनकम ऑप्‍शन या इक्विटी लिंक्‍ड इन्‍वेस्‍टमेंट जैसे ईएलएसएस के जरिए इनकम टैक्‍स बचा सकते हैं। लेकिन ऐसा करते हुए यह बहुत जरूरी है कि आप ऐसे ऑप्‍शन चुनें जो आपकी वित्‍तीय जरूरतों को पूरा कर करने में मदद कर सकें। सिर्फ टैक्‍स बचाने के लिए किसी भी ऑप्‍शन में निवेश करना सही फैसला नहीं है। हम आपको बता रहे हैं कि आप टैक्‍स बचाने के लिए सही ऑप्‍शन कैसे चुन सकते हैं।
इन्‍श्‍योरेंस से बचाएं टैक्‍स
सेक्‍शन 80 सी के तहत टैक्‍स बचाने के लिए इन्‍श्‍योरेंस कवर खरीदना बहुत अच्‍छा विकल्‍प नहीं कहा जा सकता है। खास कर अगर आप ऐसा लाइफ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान खरीद रहे हैं जिसमें इन्‍श्‍योरेंस के साथ इन्‍वेस्‍टमेंट कंपोनेंट भी है। ऐसे प्‍लान में लाइफ इन्‍श्‍योरेंस कवर बहुत कम होता है। इसके अलावा इन्‍वेस्‍टमेंट के लिहाज से भी ये प्‍लान सही नहीं हैं क्‍योंकि ये बहुत कम रिटर्न देते हैं। इसके अलावा अगर आप ऐसे प्‍लान से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको निवेश की गई रकम का नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके बावजूद बहुत से टैक्‍सपेयर्स आखिरी समय में टैक्‍स बचाने के लिए ऐसे कई प्‍लान खरीद लेते हैं। आपको इस फाइनेंशियल ईयर में ऐसे प्‍लान से दूर रहना चाहिए।
लाइफ इन्‍श्‍योरेंस कमाने वाले सदस्‍य पर वित्‍तीय रूप से निर्भर लोगों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए होता है। लेकिन अगर लाइफ इन्‍श्‍योरेंस कवर जरूरतों को पूरा करने के लायक नहीं है तो इसका कोई मतलब नहीं है। ऐसे में टर्म इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान आपके काम का हो सकता है। टर्म इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान पारंप‍रिक लाइफ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान की तुलना में काफी सस्‍ता होता है तो और आप कम प्रीमियम में जरूरतों को पूरा करने के लायक कवर पा सकते हैं। ऐसे में आपको टर्म इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान के अलावा किसी और लाइफ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान के चक्‍कर में नहीं पड़ना चाहिए।
हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान भी टैक्‍स बचाने का विकल्‍प देता है। लेकिन आपको सिर्फ टैक्‍स बचाने के लिए हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस नहीं खरीदना चाहिए। आपको खुद को अपने परिवार को हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान का कवर देना चाहिए। इससे आपकी गाढ़ी कमाई इलाज पर खर्च नहीं होगी और इलाज का खर्च इन्‍श्‍योरेंस कंपनी उठाएगी।
आप इनकम टैक्‍स एक्‍ट के सेक्‍शन 80 डी के तहत अपने लिए, पत्‍नी और बच्‍चों के लिए 25,000 रुपए के हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। वहीं वरिष्‍ठ नागरिक को 50,000 रुपए तक के प्रीमियम पर टैक्‍स छूट मिल सकती है। इसके अलावा अगर आप अपने माता पिता के लिए हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस खरीदते हैं तो अतिरिक्‍त 25,000 पर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं और अगर आपके माता पिता वरिष्‍ठ नागरिक हैं तो 50,000 तक के प्रीमियम पर आप टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। इसके अलावा खुद के लिए, पत्‍नी, बच्‍चों या मा‍ता पिता के हेल्‍थ चेक अप पर भी आप 5,000 रुपए तक टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। हालांकि यह 80 डी की कुल लिमिट में ही शामिल है।
फिक्‍स्ड रिटर्न ऑप्‍शन
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी पीपीएफ, नेशनल सेविंग्‍स सर्टिफिकेट यानी एनएससी और पांच साल की बैंक एफडी फिक्‍स्ड रिटर्न देने वाले ऑप्‍शन हैं जो आपकी टैक्‍स देनदारी कम करने में मदद कर सकते हैं। इन ऑप्‍शन में आप तय अवधि के लिए रकम निवेश करते हैं और आपको एक तय ब्‍याज यानी रिटर्न मिलता है। अब आप सुकन्‍या समृद्धि स्‍कीम में भी निवेश करके टैक्‍स बचा सकते हैं।

इन सेविंग स्‍कीमों में टैक्‍स बचाने के लि निवेश करते समय आपको रिटर्न के अलावा लॉक इन पीरियड, ब्‍याज पर लगने वाले टैक्‍स और मैच्‍योरिटी पर मिलने वाली रकम का भी ध्‍यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए पीपीपीएफ में अकाउंट मैच्‍योर होने पर मिलने वाली पूरी रकम टैक्‍स फ्री होती है। वहीं एनएससी में मैच्‍योरिटी पर मुनाफे पर टैक्‍स देना होता है। वहीं पांच साल की बैंक एफडी में मिलने वाले ब्‍याज पर निवेशक के टैक्‍स ब्रैकेट के हिसाब से टैक्‍स लगता है। इसमें बैंक टीडीएस काट लेता है जिससे कंपाउंडिंग का फायदा कम हो जाता है।
इक्विटी लिंक्‍ड ऑप्‍शन
टैक्‍स बचाने वाले सभी ऑप्‍शन में सिर्फ तीन उत्‍पाद हैं जो इक्विटी में निवेश करते हैं। नेशनल पेंशन स्‍कीम यानी एनपीएस, इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग्‍स स्‍कीम यानी ईएलएसएस और यूनिट लिंक्‍ड प्‍लान यानी यूलिप। लेकिन यूलिप इन्‍श्‍योरेंस प्‍लान के तौर पर बेकार है। ऐसे में उसकी बात करने की जरूरत नहीं है।
अगर कोई फंड 65 फीसदी से अधिक रकम इक्विटी में में निवेश करता है तो वह ईएलएसएस की कैटेगरी में आता है। ईएलएसएस में लॉक इन पीरियड 3 साल का होता है। वहीं लाइफ इन्‍श्‍योरेंस प्रोडक्‍ट में लॉक इन पीरियड 5 साल और पीपीएफ में लॉक इन पीरियड 3 साल का होता है। ऐसे में ईएलएसएस टैक्‍च बचाने के लिए बेहतर ऑप्‍शन है और यह बेहतर रिटर्न भी देता है।
एनपीएस की बात करें तो अगर आप एनपीएस टियर 1 अकाउंट में निवेश करके सेक्‍शन 80 सी के तहत 1.5 लाख के अलावा अतिरिक्‍त 50,000 रुपए निवेश करके टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं। एनपीएस में आप असेट अलॉकेशन खुद चुन सकते हैं। एनपीएस में आप अधिकतम 75 फीसदी रकम इक्विटी में लगा सकते हैं। हालांकि 50 साल की उम्र के बाद यह सीमा हर साल 2.5 फीसदी घटती जाती है। आपको इस बात का ध्‍यान रखना होगा कि एनपीएस टियर 1 में लॉक इन पीरियड 60 साल की उम्र पहुंचने तक होता है। यानी 60 साल की उम्र के बाद ही रकम निकाली जा सकती है। उस समय भी आप कुल कार्पस का 60 फीसदी ही निकाल सकते हैं बाकी रकम से एन्‍युटी खरीदना जरूरी है। एन्‍युटी आपको मासिक पेंशन मुहैया कराएगी।
टैक्‍स बचाने के इन सभी ऑप्‍शन के बारे में जानकर कन्‍फ्यूज होने की जरूरत नहीं है। आपको ऐसे ऑप्‍शन चुनने चाहिए जो आपकी वित्‍तीय जरूरत को पूरा करता है। इसके अलावा आपको यह भी देखना चाहिए कि ऑप्‍शन में कितना जोखिम है और आप कितना जोखिम उठा सकते हैं।
अगर आपको लगता है कि आपको पैसों की जरूरत पड़ सकती है तो आपको कम से कम लॉक इन पीरियड वाला ऑप्‍शन चुनना चाहिए। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि आप सिर्फ इसलिए ईएलएसएस में निवेश करें क्‍योंकि उसका लॉक इन पीरियड सबसे कम यानी तीन साल का है। अगर आप जोखिम नहीं उठा सकते हैं तो आपको पांच साल की बैंक एफडी में निवेश करना चाहिए।


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