इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लानिंग यानी एसआईपी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। रोज नए नए निवेशक एसआईपी के जरिए निवेश शुरू कर रहे हैं। यह निश्चित तौर पर अच्छी खबर है। एसआईपी निवेशक के रिटर्न को बढ़ाने में मदद करती है। लेकिन किसी भी चीज की लोकप्रियता बढ़ने से उसके बार में गलत धारणा भी फैलती है। एसआईपी के साथ भी ऐसा ही है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बहुत से निवेशक एअआईपी के बारे में दूसरों से जानकारी लेते हैं या सुनते हैं। ऐसे निवेशक खुद से समय लगा कर एसआईपी के बारे में रिसर्च नहीं करते हैं। एसआईपी कैसे काम करती है और एसआईपी के फायदे क्या हैं खुद से समझने का प्रयास नहीं करते हैं। और ऐसे निवेशक जब दूसरों को एसआईपी के बारे में सलाह देते हैं वे एसआईपी के बारे में गलत धारणा को और आगे बढ़ाते हैं और मजबूत करते हैं। क्योंकि उनको भी किसी और ने ऐसा बताया है। हम एसआईपी के बारे में चार गलत धारणा के बारे में आपको बता रहे हैं जो अक्सर निवेशकों में देखी जाती है और हम यह भी बता रहे हैं कि सच क्या है।
एसआईपी में निवेश: अगर आप किसी नए या कम अनुभवी से पूछेंगे कि वह कहां निवेश कर रहा है तो वह दिलचस्प जवाब देगा कि मैं एसआईपी में निवेश कर रहा हूं। और अगर आप पूछेंगे किस फंड में तो निवेशक को इसके बारे में शायद ही कुछ पता होगा। उसे फंड का नाम और फंड की कैटेगरी शायद ही याद होगी। उसे अगर कुछ याद होगा तो असेट मैनेजमेंट कंपनी या फंड हाउस का नाम। आपको यह याद रखना चाहिए कि आप एसआईपी में निवेश नहीं करते हैं। आप एसआईपी के जरिए इक्विटी फंड में निवेश करते हैं। एसआईपी अपने आप में खुद एक निवेश नहीं है। यह निवेश का एक तरीका है। ऐसे में आपका रिटर्न सिर्फ एसआईपी नहीं तय करेगी। आपका रिटर्न वह फंड तय करेगा जिसमें आप एसआईपी के जरिए निवेश कर रहे हैं। यह अच्छी बात है कि आपने एसआईपी के जरिए निवेश करने का फैसला किया है लेकिन अच्छे रिटर्न के लिए यह भी जरूरी है कि आप अच्छा इक्विटी फंड चुनें।
डेली या वीकली एसआईपी है बेहतर
एसआईपी के जरिए इक्विटी में पैसा निवेश करने से निवेश की लागत को औसत रखने में मदद मिलती है और इससे आपको बाजार के उतार चढ़ाव का फायदा मिलता है। लेकिन कुछ निवेशक इस बात को जरूरत से ज्यादा गंभीरता से लेते हैं। उनको लगता है कि अगर वे मंथली के बजाए हर 15 दिन में, वीकली या डेली एसआईपी करेंगे तो इससे उनको ज्याद रिटर्न मिलेगा।
नेकिन बार बार की गई रिसर्च से यह साबित होता है कि 15 दिन में, वीकली या डेली एसआईपी करने रिटर्न के मोर्चे पर कोई फायदा नहीं होता है बल्कि आपके लिए एसआईपी को मैनेज करना और कठिन हो जाता है। मंथली एसआईपी आपको बाजार के उतार चढ़ाव से बचाने में सक्षम है और इसमें आपको कम से कम कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है।
सरल एसआईपी से बेहतर है जटिल एसआईपी: आजकल एसआईपी में नए नए फीचर आ गए हैं। यानी एसआईपी भी कई तरह की हैं। ऐसी एसआईपी में आप निवेश की रकम अलग अलग हालात के हिसाब से कम या ज्यादा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए एसआईपी का एक फीचर आपको बढ़ते बाजार में निवेश की रकम कम करने और गिरते बाजार में निवेश की रकम बढ़ाने की अनुमति देता है। इससे जब शेयर सस्ते होते हैं तो आपको ज्यादा निवेश करने में मदद मिलती है। कई निवेशकों का इस ती की जटिल एसआईपी आकर्षित करती है। कागज पर जटिल एसआईपी ज्यादा आकर्षक लगती है। लेकिन जटिल एसआईपी को मैनेज करना मुश्किल होता है। इन मुश्किलों को आसानी से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए ऊपर बताई गई एसआईपी के जरिए निवेश करने से निवेशक को नुकसान भी हो सकता है। मान लेते हैं कि बाजार में तेजी का दौर लंबे समय तक बना रहता है तो आपका कम पैसा निवेश होगा ऐसे में एसआईपी में कम रकम जाएगी और बाजार में लंबे समय तक गिरावट का दौर रहता है तो ज्यादा वित्तीय दबाव पड़ेगा। हमारी रिसर्च बताती है कि सरल एसआईपी ही निवेश का सबसे बेहतर तरीका है। यह रिटर्न के लिहाज से और निवेश करने के लिहाज से भी बेहतर है। ऐसे में अपनी एसआईपी को जटिल बनाने का प्रयास न करें।
बाजार में गिरावट आने पर निवेश बंद कर देना: कुछ निवेशक डर की वजह से या ज्यादा सतर्कता बरतने के चक्कर में गिरावट के दौर में एसआईपी के जरिए निवेश बंद कर देते हैं। उनको लगता है कि पैसा क्यों गंवाया जाए। और जब बाजार में वापस तेजी का दौर आता है तो वे निवेश फिर से शुरू कर देते हैं।
लेकिन बाजार में तेजी या गिरावट के आधार पर निवेश बंद करना या शुरू करना निवेशक के लिए किसी तरह से भी फायदेमंद नहीं है उलटा इससे नुकसान ही होता है। जब आप गिरावट के दौर में निवेश बंद करते हैं तो आप खरीद कीमत के औसत को कम करने का मौका गंवा देते हैं। और जब आप सही समय पर निवेश करने का प्रयास करते हैं तो आप बाजार से बाहर हो जाते हैं और मुनाफा कमाने का मौका गंवा देते हैं। निवेशकों के इस तरह के व्यवहार को हतोत्साहित करने के लिए ही तो एसआईपी बनाई गई है। एसआईपी के जरिए निवेश करने का मतलब है कि आप बाजार में गिरावट हो या तेजी आप हर दौर में में निवेश करते हैं। एसआईपी निवेशक के डर और लालच को पर नियंत्रण रखती है। अगर आप एसआईपी के जरिए निवेश कर रहे हैं तो सबसे ज्यादा अनुशासन मायने रखता है न कि निवेश का समय।