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एसआईपी की सफलता का राज

एसआईपी के जरिए निवेश करके आप बड़ी रकम बना सकते हैं और एसआईपी बहुत सरल तरीके से काम करती है

एसआईपी की सफलता का राज

आजकल एसआईपी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। एसआईपी इक्विटी में निवेश का एक ताकवर टूल या जरिया बन गई है। अगस्‍त 2018 में हर माह एसआईपी के जरिए 7,500 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। तो सवाल उठता है कि एसआईपी की इस लोकप्रियता की वजह क्‍या है ?
एसआईपी की सबसे अच्‍छी बात यह है कि यह बहुत सरल तरीके से काम करती है। आप एसआईपी के जरिए नियमित अंतराल पर एक तय राशि इक्विटी फंड में निवेश करते हैं। और ऐसा करते हुए आप इस बात की परवाह नहीं करते हैं कि बाजार ऊपर है या नीचे। ऐसा करते हुए लंबी अवधि में आपको न सिर्फ कंपांउंडिंग का फायदा मिलता है बल्कि आपके निवेश की लागत भी औसत हो जाती है। क्‍योंकि बाजार नीचे रहने पर आपको ज्‍यादा यूनिट मिलती है और बाजार ऊपर रहने पर कम यूनिट मिलती है।
एसआईपी का अधिकतम फायदा उठाने के लिए जरूरी है कि आप निवेश की अवधि को सरल रखें। इससे आप अपनी आय के आधार पर तय अंतराल पर लगातार निवेश कर पाएंगे और एसआईपी को आसानी से मैनेज कर पाएंगे। लोगों में एक गलत धारणा है कि एसआईपी में निवेश की फ्रीक्‍वेंसी आपका रिटर्न तय करती है। लेकिन सिर्फ एसआईपी की फ्रीक्‍वेंसी ही इतनी अहम नहीं है। आजकल बाजार में कई तरह की एसआईपी उपलब्‍ध हैं। ये आपको बाजार के हालत के आधार पर एसआईपी की रकम कम करने या बढ़ाने की अनुमति देती हैं। उदाहरण के लिए एक एसआईपी बाजार गिरने पर निवेश की रकम बढ़ा देती है और बाजार बढ़ने पर निवेश की रकम कम कर देती है। अगर गिरते हुए बाजार में आपका निवेश बढ़ रहा है तो यह शानदार बात है लेकिन हमेशा यह आसान नहीं होता है। बहुत से निवेशक गिरते हुए बाजार में निवेश बढ़ाने में सक्षम नहीं होते हैं। और जब बाजार गिरना शुरू होता है तो आपके पास सरप्‍लस रकम नहीं होती है। ऐसे में यह सुनने में तो आकर्षक लगता है लेकिन इस पर अमल करना इतना आसान नहीं है। कई लोग दूसरी तरह की इनोवेटिव एसआईपी में निवेश करते हैं। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि आप अपनी एसआईपी को सरल रखें। अगर अनुशासित तरीके से मंथली एसआईपी निवेश किया जाए तो इसे मैनेज करना ज्‍यादातर लोगों के लिए आसान होगा।

एसआईपी के जरिए निवेश करने का एक और बड़ा कारण निवेशक की मानसिकता है। एसआईपी इक्विटी में में नियमित तौर पर निवेश करने करते हुए अच्‍छा रिटर्न पाने का सरल तरीका है। ऐसा करते हुए आपको आपको इस बात की चिंता नहीं करनी पड़ती है कि कब निवेश किया जाए और कब नहीं किया जाए। इस तरह से निवेश करने में बड़ा खतरा इस बात का होता है कि आप निवेश के बेहतर अवसरों को गवां देते हैं। जब बाजार गिरावट की जद में आता है तो आम तौर पर बहुत से निवेशकों की सोच होती है कि निवेश बंद कर दिया जाए।

निवेशक ऐसा इसलिए करते हैं क्‍योंकि या तो वे डरे हुए होते हैं या बाजार के एकदम निचले स्‍तर पर जाने का इंतजार कर रहे होते हैं। उनको लगता है कि बाजार जब अपने निचले स्‍तर पर पहुंच जाएगा तब वे निवेश करेंगे। लेकिन यह बात भरोसे के साथ कोई नहीं बता सकता कि बाजार का निचला स्‍तर कौन सा है या बाजार इससे ज्‍यादा नीचे नहीं जाएगा। वहीं बढ़ते बाजार में निवेश बढ़ाने की सोच होती है जिससे बढ़त के दौर में मुनाफा कमाया जा सके। लेकिन कोई भी अनुभवी निवेशक आपको बता सकता है कि आम तौर पर ऐसे लोगों को नुकसान ही उठाना पड़ता है। वैसे एसआईपी कोई जादुई टूल नही है जो बेहतर रिटर्न की गारंटी देता है। आप एसआईपी के जरिए किसी फंड में निवेश करते हैं यह भी बेहद अहम है। अगर आप किसी खराब प्रदर्शन करने वाले फंड में एसआईपी के जरिए निवेश कर रहे हैं तो आप अच्‍छा रिटर्न हासिल नहीं कर सकते हैं।


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